422 साल पुराने सोने और तांबे के दो भाले तमिलनाडु के मंदिर से हुए गायब, मचा हड़कंप
चेन्नै
तमिलनाडु के कराइकुडी से पलानी मंदिर तक हर साल एक अनुष्ठान जुलूस होता है। इस जुलूस में कराइकडी के मंदिर से एक सोने और तांबे के दो छोटे भाले हर साल साथ ले जाए जाते हैं। 422 वर्षों से यह हर साल यह होता है लेकिन इस बार 14 जनवरी के आयोजन के दौरान ये दोनों भाले गायब हो गए।
कराईकुडी के नगरथार (चेतियार) से रामनाथपुरम, पुदुकोट्टई और शिवगंगा 3.5 सेंटीमीटर लंबे भाले लेकर तीर्थ यात्रा पर जा रहे हैं। इस साल भी वे 13 जनवरी को नाथम पहुंचे और पेरुमल मंदिर के बगल में बनाए गए पारंपरिक मंडपम के अंदर रुके थे।
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मंदिर के गर्भगृह से चोरी हुए भाले
भाले को मंदिर के गर्भगृह में चांदी के एक डिब्बे में रखा गया था। लेकिन वे अगली सुबह गायब थे। भाले गायब होने के बाद हड़कंप मच गया। आनन-फानन में नाथम पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस ने इसकी जांच शुरू कर दी है। हालांकि तीर्थ यात्रा को लेकर चिंता हुई तो तरकीब निकाली गई।
रातभर पैदल चल रहे हैं यात्री
चूंकि भाले के बिना तीर्थयात्रा जारी नहीं रह सकती थी, जल्दबाजी में दो भाले बनवाए गए। जुलूस आमतौर पर थाईपूसम से एक दिन पहले पलानी पहुंचता है। इस बार थाईपूसम 18 जनवरी को पड़ा है। तीर्थयात्री थाइपूसम के अगले दिन दंडयुतपानी मंदिर में अनुष्ठान करते हैं। इस साल यात्रा में देरी होने के कारण तीर्थयात्री समय निकालने के लिए रात भर पैदल चल रहे हैं।
1601 से चली आ रही परपंरा
इससे पहले वर्षों के दौरान, भाले नेरकुप्पई के कुमारप्पन चेट्टियार के पैतृक घर में रखे जाते थे। यहीं से प्रतिवर्ष तीर्थयात्रा निकाली जाती है। 1601 से ऐसा ही होता चला आ रहा है।