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पाकिस्तान के परमाणु बम के जनक वेंटिलेटर पर, दुनियाभर में पहुंचाई थी तकनीक

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इस्लामाबाद
पाकिस्तान ने भी परमाणु बम परीक्षण किया है- यह बात दुनिया के सामने स्वीकार करने वाले वैज्ञानिक अब्दुल कादिर आज जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रहे हैं। कोरोना वायरस का शिकार बने डॉ. कादिर की तबीयत बिगड़ती चली गई है और ताजा जानकारी के मुताबिक उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया है। कादिर को पाकिस्तान के परमाणु बम का जनक कहा जाता है।

वेंटिलेटर पर रखा गया
परमाणु वैज्ञानिक डॉ. अब्दुल कादिर खान को कुछ दिन पहले ही अस्पताल में भर्ती कराया गया था जब कोरोना के कारण उनकी हालत बिगड़ने लगी थी। उनके प्रवक्ता ने बताया था कि कादिर को कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद 26 अगस्त को KRL अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वहीं, अब खबरें आ रही हैं कि उन्हें वेंटिलेटर पर रखने की जरूरत आ पड़ी है।

पद से हटा दिया गया था
पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम में जनक कहे जाने वाले कादिर खान को परमाणु प्रसार की बात स्वीकार करने के बाद पद से हटा दिया गया था। पाकिस्तान ने पड़ोसी भारत से होड़ करते हुए 1998 में पहले एटम बम का परीक्षण किया था। खान को जब से पद से हटाया गया है तभी से वह भारी सुरक्षा के बीच इस्लामाबाद एक इलाके में अलग-थलग रहते हैं। हालांकि, प्रशासन का कहना है कि उन्हें सुरक्षा कारणों से इस तरह से रखा गया है।

कई देशों की मदद की
कादिर के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने ईरान, लीबिया और उत्तर कोरिया को एटम बम बनाने के लिए मदद दी थी। कादिर ने उन्हें यूरेनियम संवर्धन के लिए सप्लाई डिजाइन, हार्डवेयर और मटीरियल उपलब्ध कराने में मदद की थी। अंतरराष्ट्रीय निगरानी एजेंसी आईएईए ने कहा था कि कादिर न्यूक्लियर ब्लैक मार्केट का महत्वपूर्ण हिस्सा रहे हैं और विभिन्न देशों के लोगों की इसमें मदद की है।

परमाणु बम बनाने की नई ‘फैक्‍ट्री’ बना रहा पाकिस्‍तान, सैटलाइट तस्‍वीरों से खुलासा

दुनियाभर के परमाणु कार्यक्रम पर नजर रखने वाली संस्था इंस्टीट्यूट फॉर साइंस एंड इंटरनेशनल सिक्योरिटी (ISIS) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पाकिस्तान के चश्मा परमाणु संयंत्र में प्लूटोनियम के रिप्रोसेसिंग प्लांट को साल 2007 में ही पहचान लिया गया था। हालांकि, 2015 में पाकिस्तान इस परमाणु संयंत्र को चालू कर पाया था। चश्मा एक्सटेंशन प्लांट में परमाणु बम को बनाने के लिए ज्यादा मात्रा में प्लूटोनियम को इकट्ठा किया जा रहा है। (तस्वीरें- Maxar Technologies)

चश्मा परमाणु संयंत्र को पाकिस्तान ने कनाडा की मदद से 1972 में शुरू किया था। इस संयंत्र में चार 300 मेगावाट के प्रेशराइज्ड वॉटर रिएक्टर ऑपरेशनल हैं। जिसमें से 2, 3 और चार को चीन की मदद से शुरू किया गया है। अब पाकिस्तान इस संयंत्र में भारी मात्रा में प्लूटोनियम का निर्माण कर रहा है। जिसका इस्तेमाल भविष्य में परमाणु बम को बनाने के लिए किया जा सकता है। बता दें कि पाकिस्तान परमाणु नियामक प्राधिकरण इस केंद्र की देखरेख करती है।

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