Nitish Kumar: पावर में लौटे पापा तो विधायक बेटे ने दिखाए तेवर, सीएम नीतीश की बढ़ने वाली है मुश्किलें?
पटना: बिहार की सियासत कब क्या हो जाए, कहा नहीं जा सकता। दोस्त कब दुश्मन बन जाए, ये भी कहना मुश्किल है। कल तक शांत दिखने वाले बिहार के पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ( Sudhakar Singh ) फिर से तेवर में आ गए हैं। या यूं कहे पापा जगदानंद सिंह ( Jagdanand Singh) ने जिस तरह 60 दिन के बाद कमबैक किया है, शायद उसी के चलते सुधाकर सिंह भी पुराने तेवर में आ गए और सीएम नीतीश ( CM Nitish Kumar) के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। अगर ऐसा नहीं होता तो इतने दिनों तक शांत रहने वाले आरजेडी विधायक सुधाकर सिंह अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा नहीं खोलते।
तो पावर कम बैक?
अब सवाल उठता है कि मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद शांत रहने वाले सुधाकर सिंह को पावर कहां से मिल रहा है? क्या पापा जगदानंद सिंह बैक से पावर दे रहे हैं? क्या पार्टी ने भी मौन सहमति दे दी है या लालू यादव की रणनीति के तहत ही सुधाकर सिंह महागठबंधन सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला है? दरअसल, लालू यादव सिंगापुर जाने से पहले दिल्ली में जगदानंद सिंह से मुलाकात की थी और दोनों के बीच लगभग 90 मिनट तक बात हुई थी। इस दौरान बिहार के डेप्युटी सीएम तेजस्वी यादव भी मौजूद रहे। इसके बाद जगदानंद सिंह फुल पावर के साथ कमबैक किए थे। अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि नाराजगी के बाद जब पहली बार जगदा बाबू ऑफिस आए, तो उनको तेजस्वी यादव ने अपनी गाड़ी से लेकर आए और हाथ पकड़कर ऑफिस के अंदर ले गए थे।
लालू यादव के कहने पर माने थे जगदा बाबू
बताया जाता है कि 90 मिनट की मीटिंग में लालू यादव ने साफ-साफ कहा था कि बिहार आरजेडी का कमान जगदा बाबू ही देखेंगे। इस दौरान दोनों नेताओं में कई मुद्दों पर भी बात हुई थी। यही नहीं, दिल्ली से लौटने के बाद पटना में भी जगदा बाबू और तेजस्वी यादव के बीच दो दिनों तक कई मुद्दों पर बात हुई थी। उसके बाद ही जगदा बाबू आरजेडी ऑफिस आए थे। तब ही साफ हो गया था कि जगदा बाबू फुल पावर के साथ कम बैक किए हैं।
बेटे सुधाकर सिंह के मंत्री पद से इस्तीफे के बाद नाराज थे जगदा बाबू
दरअसल, बिहार आरजेडी के अध्यक्ष जगदानंद सिंह काफी लंबे समय तक पार्टी प्रदेश कार्यालय नहीं आए थे। बताया जा रहा था कि पार्टी से नाराजगी के कारण वे कार्यालय नहीं आ रहे थे। सियासी हलकों में ये भी चर्चा थी कि जगदानंद सिंह अपने बेटे सुधाकर सिंह के मंत्री पद से इस्तीफे के बाद नाराज थे। यही कारण है कि काफी दिनों से पार्टी की गतिविधियों से दूर रहे। हालांकि सिंगापुर जाने से पहले जगदानंद सिंह आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव से दिल्ली में जाकर मुलाकात की। लालू यादव ने लंबे समय से नाराज चल रहे जगदानंद सिंह की नाराजगी दूर की, तब जाकर वे माने और प्रदेश अध्यक्ष के पद पर बने रहने को तैयार हुए।
पापा को मिली पावर तो तेवर दिखाने लगे सुधाकर सिंह
लगभग 60 दिनों बाद जगदानंद सिंह पावर में लौटे तो 10 दिन के बाद ही सुधाकर सिंह ने अपना तेवर दिखा दिया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए सुधाकर सिंह ने कहा कि बिहार में कृषि रोड मैप दो में 10 साल पहले कृषि विपणन के लिए कानून होना चाहिए, लेकिन अब तक उसे पूरा नहीं किया गया। उन्होंने यह भी घोषणा की कि कहा कि 13 दिसंबर से शुरू हो रहे बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र में मंडी कानून को लेकर प्राइवेट मेंबर बिल लाएंगे। सुधाकर सिंह ने मंगलवार को पत्रकारों से बात करते हुए इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा विधानसभा को इसकी लिखित जानकारी दे दी है।
उन्होंने कहा कि 2006 में कृषि मंडी कानून समाप्त करने के बाद मूल्य स्तर और उत्पादन स्तर पर राज्य के किसानों को गेहूं और धान में करीब 90 हजार करोड़ रुपये जबकि सभी फसलों को मिला लें तो करीब डेढ लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। किसानों की इस स्थिति के लिए मुख्यमंत्री को जिम्मेदार बताते हुए सुधाकर सिंह ने कहा कि कई संस्थाएं यह कह चुकी हैं कि मंडी कानून होना चाहिए जिससे किसानों को फसल का न्यूनतम मूल्य मिल सके।
सुधाकर सिंह का दावा- सीएम भी देंगे साथ
उन्होंने प्राइवेट मेंबर बिल के संबंध में पूछे जाने पर कहा कि यह बिहार की 80 फीसदी आबादी को प्रभावित करना वाला बिल है। खाद्यान के रूप में देखें तो 100 फीसदी आबादी को प्रभावित करने वाला है। ऐसे मुद्दे को लेकर सदन में सहमति बन जाएगी, इसकी मुझे पूरी उम्मीद है। मुझे विश्वास है कि कोई भी किसानों के खिलाफ नहीं जाना चाहेगा। उन्होंने दावे के साथ कहा कि मुख्यमंत्री भी इसके साथ होंगे क्योंकि अगर ऐसा नहीं होता तो कृषि रोड मैप में किसानों को कृषि विपणन की जरूरत की बात नहीं लिखी होती।