ड्रैगन का विस्तारवादी रवैया दक्षिण चीन सागर तक ही सीमित नहीं, ताइवान के विदेश मंत्री ने किया आगाह
ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वू ने शनिवार को फिर चीन के विस्तारवादी रवैये पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि दुनिया के लोकतंत्रों को बीजिंग की इन गतिविधियों का मुकाबला करने के लिए एकजुट हो जाना चाहिए। वू ने एशिया और उसके बाहर चीन की बढ़ती हरकतों का जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘यह लोकतंत्र के एकजुट होने का समय है। चीन की हरकतें ताइवान या दक्षिण चीन सागर तक सीमित नहीं हैं। सोलोमन द्वीप में चीन के बढ़ते दखल को लेकर ऑस्ट्रेलिया भी चिंतित है। चीन जिबूती में भी आधार बनाने में लगा हुआ है।’
विदेश मंत्री जोसेफ वू ने श्रीलंका के आर्थिक और राजनीतिक संकट का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि चीन ने अपनी विशाल बुनियादी ढांचा परियोजनाओं और कर्ज का जाल बिछाकर इस द्वीप राष्ट्र को फंसा दिया। श्रीलंका में चीन की ओर जो कार्रवाई की गई है, वो आंखें खोलने वाली है। ताइवान के साथ जापान के मजबूती से खड़ा रहने की उन्होंने तारीफ की और कहा कि अन्य देशों को भी साथ आना चाहिए।
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भारत से भी मदद की लगाई गुहार
तनाव के बीच ताइवान ने भारत से भी मदद की गुहार लगाई है। दरअसल, ताइवान इंटरनेशनल क्रिमिनल पुलिस ऑर्गेनाइजेशन यानी इंटरपोल में शामिल होना चाहता है। इसके लिए वह भारत से मदद मांग रहा है। क्रिमिन इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो के आयुक्त ने कहा, ‘ताइवान इंटरपोल का सदस्य नहीं है। हम आम सभा में हमारा प्रतिनिधिमंडल नहीं भेज सकते। भारत मेजबान देश है, जिसके पास हमे आमंत्रित करने की शक्ति है। हम पर्यवेक्षक के तौर पर ताइवान को बुलाने की भारत और अन्य देशों से उम्मीद करते हैं।’
राजनीतिक नियंत्रण को स्वीकार करने का विरोध
ताइवान स्वशासित द्वीप पर चीन के राजनीतिक नियंत्रण को स्वीकार करने के लिए बीजिंग के दबाव का विरोध करता रहा है। कुछ दिनों पहले ही चीनी जहाजों और विमानों की ओर से ताइवान के समुद्री और हवाई क्षेत्र में मिसाइलें दागी गई थीं। मालूम हो कि अमेरिकी सदन की अध्यक्ष नैन्सी पेलोसी ने हाल ही में ताइवान की यात्रा की थी, जिसे लेकर चीन भड़का हुआ है। चीन और ताइवान के रिश्ते अब तक सबसे नाजुक दौर में बताए जा रहे हैं।