मणिपुर में अब उग्रवादी भी डाल सकेंगे वोट, चुनाव आयोग ने बताईं ये शर्तें
हाइलाइट्स
- मणिपुर में सरकार के शिविरों में रहने वाले उग्रवादियों को राहत
- चुनाव आयोग ने समझौता में हस्ताक्षर करने वालों को दी वोटिंग की अनुमति
- जिन उग्रवादियों के नाम वोटर लिस्ट में हैं, वे डाल सकेंगे वोट
- अब तक 20 से ज्यादा समूहों के सदस्यों ने किए हैं हस्ताक्षर
इंफाल
मणिपुर में अब उग्रवादी भी वोट डाल सकेंगे। शुक्रवार को चुनाव आयोग (ईसी) ने इससे संबंधित अधिसूचना जारी की। इसके तहत मणिपुर के वे उग्रवादी ग्रुप इस वोटिंग में शामिल हो सकेंगे जिन्होंने सरकार के साथ संघर्ष विराम समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जिनके नाम मतदाता सूची में सूचीबद्ध हैं और जो वर्तमान में विभिन्न नामित शिविरों में रह रहे हैं। इन सभी को अपना वोट पोस्टल बैलट से डालने की अनुमति होगी। मणिपुर में विधानसभा चुनाव 27 फरवरी को होने हैं।
मणिपुर में यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट (यूपीएफ) और कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन (केएनओ) के तहत 20 से अधिक कुकी उग्रवादी समूहों ने 2008 में राज्य और केंद्र सरकारों के साथ एक संघर्षविराम समझौते पर त्रिपक्षीय सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन (एसओओ) पर हस्ताक्षर किए थे।
कई ने किए हैं हस्ताक्षर
इन समूहों के कार्यकर्ता वर्तमान में राज्य के विभिन्न कुकी बहुल क्षेत्रों में सरकार की ओर से निर्धारित शिविरों में रखे गए हैं। इसी तरह, कुछ अन्य अंडरग्राउंड ग्रुपों ने भी सरकार के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए थे।
मणिपुर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि यह फैसला जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 60 के खंड (सी) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए और केंद्र सरकार के परामर्श से लिया गया है।
इसलिए पोस्टल बैलट से देंगे वोट
आयोग की ओर से कहा गया है कि निर्णय यह देखते हुए किया गया है कि मणिपुर में 14 नामित शिविरों में रहने वाले एसओओ और एमओयू समूहों से संबंधित कई व्यक्तियों को राज्य के विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों की मतदाता सूची में शामिल किया गया है। क्योंकि शिविरों में रह रहे ये लोग यहां से बाहर नहीं जा सकते हैं इसलिए इन्हें पोस्टल बैलट से अपना वोट देने का अधिकार दिया जाता है।