पेंशन बढ़ेगी…सैलरी भी नहीं घटेगी, फिर भी फायदा उठाने से घबरा रहे हैं लोग, जानिए हायर पेंशन किसके लिए बेहतर कौन रहें दूर
हाइलाइट्स
- 3 मई तक हायर पेंशन स्कीम का विकल्प चुनने का ऑप्शन है.
- EPS-95 का विक्लप चुनकर पेंशन बढ़ा सकते हैं.
- आपकी टेकहोम सैलरी पर कोई असर नहीं.
क्या हायर पेंशन स्कीम चुनने से टेक होम सैलरी कम हो जाएगी?
ईपीएफओ (EPFO) के हायर पेंशन स्कीम (EPS) को अगर आप चुनते हैं तो आपकी सैलरी पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। आपको जो सैलरी मिल रही थी, वैसे ही मिलती रहेगी। इस स्कीम में आपकी सैलरी, आपके कंट्रीब्यूशन पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। जो भी बदलाव होंगे वो नियोक्ता के अंशदान पर देखने को मिलेगा। ईपीएफओ में हर मेंबर के दो खाते होंते हैं, पहला कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) और दूसरा कर्मचारी पेंशन योजना (EPS)। कर्मतारी के बेसिक और डीए से हर महीने 12 फीसदी रकम EPF में डाली जाती है। वहीं नियोक्ता भी उतनी ही रकम डालता है, लेकिन नियोक्ता का पूरा कंट्रीब्यूशन EPF में नहीं जाता, बल्कि 8.33% EPS खाते में और 3.67% EPF खाते में जाती है। यानी नए नियम के बाद आपकी सैलरी , टेक होम सैलरी पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
क्या था और क्या बदल जाएगा
मौजूदा नियम के मुताबिक आपको 15000 रुपये बेसिक आय पर पेंशन का कैलकुलेशन किया जाता है। पेंशन योग्य इनकम की कैपिंग 15000 रुपये प्रति महीना है। यानी आपकी सैलरी कितनी भी हो, पेंशन फंड में 15000 का 8.33 फीसदी ही जाएगा। साल 2014 में इस कैपिंग को खत्म किया गया। कर्मचारी की बैसिक सैलरी और डीए के कुल रकम पर 8.33 फीसदी पेंशन फंड में अंशदान की छूट मिल गई। यानी कर्मचारियों की बेसिक और डीए का 12 फीसदी ईपीएफ में डाला जाता है। वहीं नियोक्ता के कंट्रीब्यूशन में से 8.33 EPS में और 3.67 फीसदी EPF में डाला जाता है। अब सवाल ये है कि हायर पेंशन का विकल्प चुनने पर क्या बदलने वाला है। नए बदलाव के बाद कितनी भी बेसिक इनकम का 8.33% आप EPS में डाल सकते हैं। पेंशन फंड में कंट्रीब्यूशन बढ़ेगा।
कर्मचारी पर असर कैसे ?
हायर पेंशन स्कीम का असर आपके रिटायरमेंट फंड पर पड़ेगा। हायर पेंशन चुनने वाले कर्मचारियों को रिटायरमेंट पर उनके पीएफ खाते में जमा रकम कम हो जाएगी। यानी एकमुश्त जमा रकम तो कम हो जाएगी, लेकिन पेंशन वाली रकम बढ़ जाएगी। अब सवाल उठता है कि इसे इनरॉल करें या नहीं? इसका जवाब अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग हो सकता है। आपको अपने हिसाब से इसका नफा-नुकसान को देखते हुए सही विकल्प चुनना चाहिए। । हालांकि एक्सपर्ट कहते हैं कि अगर आपकी नौकरी के कम साल बचे हैं और सैलरी ज्यादा बढ़ने की उम्मीद भी कम है तो पुरानी व्यवस्था के साथ एकमुश्त रकम यानी PF खाते में ज्यादा रकम जमा पर फोकस करना चाहिए। वहीं अगर नौकरी की शुरुआत है, अच्छी-खासी सैलरी है , नौकरी के लिए काफी साल बाकी है तो आप इसे चुनकर इसका लाभ उठाना चाहिए।
क्या नुकसान होगा?
हायर पेंशन का नफा-नुकसान हर कर्मचारी के लिए अलग-अलग हो सकता है। अगर आप नया ऑप्शन चुनते हैं तो आपके ईपीएफ खाते में जमा पैसा पेंशन फंड में ट्रांसफर हो जाएगा। यानी आपके पीएफ अकाउंट पर मिलने वाला कंपाउंड बेनिफिट खत्म हो जाएगा। दूसरा नुकसान आप ईपीएस से एकमुश्त पैसा नहीं निकाल पाएंगे। तीसरा नुकसान अगर बताए तो आप पीएफ अकांउट का पूरा पैसा नहीं निकाल पाएंगे। पेंशन नियम के मुताबिक आपके जाने के बाद आपकी पत्नी को आधी पेंशन मिलती रहेगी जबकि बच्चों को 25 फीसदी। यानी अगर आपका पेंशन 20 हजार है तो आपके निधन के बाद पत्नी को 10 हजार ही मिलेगा। ईपीएस स्कीम में आपको पीएफ के मुकाबले कम ब्याज मिलता है। मौजूदा वक्त में पीएफ पर 8,10 फीसदी सालाना ब्याज मिल रहा है।