देश के इंजीनियरिंग इतिहास में पहली बार हो रहे हैं ऐसे काम… जानें इनके बारे में
नई दिल्ली. दिल्ली-मेरठ रीजनल रेल ट्रांजिट सिस्टम (Delhi-Meerut RRTS) रूट पर पर बन रहे पहले रीजनल रेल कॉरिडोर के निर्माण को डेडलाइन के भीतर पूरा करने के लिए गतिविधियां और तेज कर दी गई हैं. साथ ही इस कॉरिडोर के निर्माण में ऐसे कार्य भी किए जा रहे हैं जोकि देश के इंजीनियरिंग में पहली बार हो रहे हैं. कुल 82 किमी लंबे कॉरिडोर में 70 किमी हिस्सा एलिवेटिड है और 12 किमी भाग अंडरग्राउंड है.
इस कॉरिडोर के अंडरग्राउंड स्टेशनों का निर्माण कार्य भी शुरू हो गया है. दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर के साहिबाबाद से दुहाई के बीच 17 किमी के प्राथमिकता खंड को मार्च 2023 तक और पूरे कॉरिडोर को 2025 तक चालू करने का लक्ष्य है.
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (National Capital Region Transport Corporation) ने इस प्रोजेक्ट को समय सीमा के भीतर पूरा करने की कवायद को और तेज करते हुए पहले रीजनल रेल कॉरीडोर के चुनौतीपूर्ण सेक्शन के लिए स्पेशल स्पैन की स्थापना प्रारम्भ कर दी है. यह भारत का पहला आरआरटीएस कॉरिडोर है जो दिल्ली को गाजियाबाद, मुराद नगर, मोदी नगर और मेरठ के रीजनल नोड्स से जोड़ता है. वहीं, दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर का अधिकांश एलिवेटेड सेक्शन सड़क मार्ग के साथ और घनी आबादी वाले क्षेत्रों के मध्य से होकर गुजर रहा है, जहां बहुत व्यस्त यातायात भी रहता है.