Assembly ElectionsElectionsUp Election NewsUttar Pradesh

राम बारात में 80 फीसदी बाराती मुसलमान, यहां हिंदू-मुस्लिम एकता को हिला न पाई कोई लहर

Spread the love

मेरठ
उत्तर प्रदेश में चुनाव आते ही मथुरा की श्रीकृष्ण जन्मभूमि का मसला फिर उछलने लगा है। अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण और काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के जीर्णोद्धार के बाद बीजेपी नेताओं ने मथुरा का नाम जपना शुरू कर दिया है। इसे लेकर प्रदेश में एक बार फिर सांप्रदायिक संघर्ष की संभावना पनपने लगी है। इन सबके बीच हिंदू-मुस्लिम में सांप्रदायिक सौहार्द की डोर थामे मेरठ का किठौर अनुकरणीय मिसाल बनकर खड़ा है।

 

हापुड़ से मेरठ की ओर बढ़ते हुए हमारी यात्रा किठौर के पड़ाव पर रुकी थी। बाजार जैसे चौराहे पर खाने-पीने के ठेले पर कुछ लोग जमा थे। सर्दी पड़ रही थी लेकिन कोहरे का निशान नहीं था। हमने चौराहे पर मौजूद लोगों से बात करने के मकसद से गाड़ी रोक दी थी। मैं सड़क पार करके दूसरी तरफ चला गया था। हमारे साथी योगेश भदौरिया उसी छोर पर दुकान के आसपास खड़े लोगों से बात करने के लिए उनके बीच चले गए।

राम बारात में मुस्लिम बाराती
यहां बातचीत में परवेज ने बताया कि किठौर में रामलीला होती है तो उसमें 70 से 80 फीसदी दर्शक मुस्लिम होते हैं। इसके अलावा जो राम बारात निकलती है, उसमें मुसलमान बाराती होते हैं। कस्बे में 90 फीसदी मुसलमान हैं लेकिन कभी भी दो संप्रदाय के बीच किसी तरह के तनाव की परिस्थिति नहीं आई। साल 1947 से ही दोनों संप्रदाय के लोग शांति और सद्भावना के साथ रहते हैं।

उन्होंने बताया कि अंबेडकर की जयंती पर जो जुलूस निकलता है, उसमें भी मुसलमान हिस्सा लेते हैं। इसके अलावा दोनों संप्रदाय के लोग एक-दूसरे के त्योहारों पर भी एक-दूसरे के घर आते-जाते हैं। मैंने उनसे सवाल पूछा कि माहौल बिगड़ रहा है। ऐमे में वे कब तक अपने आपको बचाकर रख पाएंगे।

इस पर जवाब मिलता है कि यह सब राजनीति है। लीडर्स जब आपस में एक-दूसरे से मिल सकते हैं, तो हमें भी आपस में नहीं लड़ना चाहिए। परवेज ने बताया कि यहां मंदिर और मस्जिद आसपास हैं। जब अजान होती है तो हिंदू लोग रामायण बंद कर देते हैं। ऐसे ही जब रामायण होता है, तो मुस्लिम पक्ष अपना माइक बंद कर लेता है। उन्होंने बताया कि राम बारात के दौरान बारातियों में 80 फीसदी मुसलमान होते हैं।

उन्होंने बताया कि जब अजान का वक्त होता है तो हिंदू लोग अपने माइक बंद कर लेते हैं। किठौर में हिंदुओं के घर और मस्जिद की दीवार एक है। मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुद्दे पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से राजनीतिक मामला है। यही कारण है कि सिर्फ चुनाव में ऐसे मुद्दे उठाए जाते हैं।

क्या है किठौर का राजनीतिक समीकरण
किठौर से साल 2017 में बीजेपी के सत्यवीर त्यागी चुनाव जीते थे। इससे पहले शाहिद मंजूर लगातार तीन बार से किठौर के विधायक थे। उन्हें इस बार भी सपा और आरएलडी ने अपना उम्मीदवार बनाया है। किठौर विधानसभा में तीन नगर पंचायत किठौर, शाहजहांपुर और खरखौदा, तीन ब्लाक माछरा, खरखौदा और रजपुरा आते हैं। जिनके वोटर क्षेत्र का विधायक चुनते हैं। एक लाख 17 हजार मुस्लिम, 70 हजार दलित, जाटव, करीब 20-20 हजार त्यागी-ब्राह्माण, 30 से 40 हजार गुर्जर, जाट 15 हजार, ठाकुर करीब 25 हजार और करीब 50 हजार पाल, कश्यप, प्रजापति, आदि की विधानसभा हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *