PM Modi Speech Today: किसानों को फिर बातचीत का न्योता देकर बोले पीएम मोदी- आंदोलन खत्म कर दीजिए
हाइलाइट्स:
- राज्यसभा में आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संबोधन, धन्यवाद प्रस्ताव का दे रहे जवाब
- कोरोना लड़ाई जीतने का यश किसी सरकार का नहीं, लेकिन भारत का तो है: मोदी
- परंपरा के अनुसार, संसद के दोनों सदनों में धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब देते हैं पीएम
- अगर लोकसभा में नहीं बोलते पीएम मोदी तो संसदीय इतिहास में ऐसा पहली बार होगा
नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब दिया। एक से एक चुटीली टिप्पणियों के जरिए मोदी ने विपक्ष पर निशाना साधा। दिल्ली की सीमाओं पर जमे आंदोलनकारी किसानों को उन्होंने फिर से बातचीत का न्योता दिया है। पीएम मोदी ने खालिस्तानी साजिश पर कहा कि देश हर सिख के लिए गर्व करता है। उन्हें गुमराह करने से कभी देश का भला नहीं होगा। प्रधानमंत्री मोदी ने राज्यसभा में अपने संबोधन में क्या-क्या बड़ी बातें कहीं, आइए जानते हैं।
पीएम ने कहा, हमें आंदोलनजीवी लोगों को पहचानना होगा
प्रधानमंत्री ने कहा, “हम लोग कुछ शब्दों से बड़े परिचित हैं। श्रमजीवी… बुद्धिजीवी… ये सारे शब्दों से परिचित हैं। लेकिन मैं देख रहा हूं कि पिछले कुछ समय से इस देश में एक नई जमात पैदा हुई है और वो है आंदोलनजीवी। ये जमात आप देखोगे वकीलों का आंदोलन है, वहां नजर आएंगे… स्टूडेंट का आंदोलन है वो वहां नजर आएंगे… मजदूरों का आंदोलन है वो वहां नजर आएंगे… कभी पर्दे के पीछे कभी पर्दे के आगे। ये पूरी टोली है जो आंदोलनजीवी है। वो आंदोलन के बिना जी नहीं सकते हैं। हमें ऐसे लोगों को पहचानना होगा।”
‘देश हर सिख के लिए गर्व करता है’
हम ये न भूलें कि कुछ लोग हमारे खासकर पंजाब के… खासकर सिख भाइयों के दिमाग में…गलत चीजें भरने में लगे हैं। ये देश हर सिख के लिए गर्व करता है। देश के लिए क्या कुछ नहीं किया इन्होंने। उनका जितना हम आदर करें, उतना कम है। मेरा भाग्य रहा है कि मुझे पंजाब की रोटी खाने का अवसर मिला है। जो भाषा उनके लिए कुछ लोग बोलते हैं, उनको गुमराह करने का जो लोग प्रयास करते हैं… इसे कभी देश का भला नहीं होगा।”
कुछ लोग हैं जो भारत अस्थिर रहे, अशांत रहे… इसकी लगातार कोशिशें कर रहे हैं। हम ये न भूलें कि पंजाब के साथ क्या हुआ। जब बंटवारा हुआ, सबसे ज्यादा पंजाब के लोगों को भुगतना पड़ा। जब 1984 के दंगे हुए, सबसे ज्यादा पंजाब के आंसू बहे। जब जम्मू कश्मीर, नॉर्थ-ईस्ट में अशांति हुई, लोग परेशान हुए।
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मोदी ने किसानों को फिर दिया बातचीत का न्योता
पीएम ने कहा, “हमारे कृषि मंत्री लगातार किसानों से बातचीत कर रहे हैं। अभी तक कोई तनाव पैदा नहीं हुआ है। एक-दूसरे की बात को समझने का, समझाने का प्रयास चल रहा है। हम आंदोलन करने वालों से प्रार्थना करते हैं कि आंदोलन करना आपका हक है। लेकिन इस प्रकार से बुजुर्ग लोग वहां बैठे हैं, ये ठीक नहीं है आप उनको ले जाइए। आप आंदोलन को खत्म कीजिए। आगे बढ़ने के लिए मिल-बैठ करके चर्चा करेंगे। मैं सदन के माध्यम से भी निमंत्रण देता हूं।”
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मनमोहन सिंह का नाम लेकर कसा तंज
पीएम मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह एक कथन पढ़ा जिसमें उन्होंने कृषि से जुड़े एक बड़े बाजार की वकालत की थी। मोदी ने कहा, “मजा ये है जो लोग पॉलिटिकल बयानबाजी करते हैं उछल-उछल के, उनकी सरकारों ने भी अपने-अपने राज्यों में थोड़ा-बहुत तो किया ही है। किसी ने कानूनों की मंशा पर सवाल नहीं उठाए हैं। शिकायत ये है कि तरीका ठीक नहीं था… जल्दी कर दिया… ये रहता है। वो तो परिवार में शादी होती है तो फूफी नाराज होकर कहती है.. मुझे कहां बुलाया.. वो तो रहता है… इतना बड़ा परिवार है तो वो तो रहता ही है।”
हमारे कृषि क्षेत्र में समस्याएं हैं। लेकिन समस्याओं का समाधान हम सबको मिलकर करना होगा। मैं मानता हूं कि अब समय ज्यादा इंतजार नहीं कर सकता।
प्रधानमंत्री मोदी किसानों की दयनीय हालत पर क्या बोले पीएम?
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “सदन में किसान आंदोलन की भरपूर चर्चा हुई। ज्यादा से ज्यादा समय जो बातें बताई गईं, वो आंदोलन के बारे में बताई गईं। किस बात को लेकर आंदोलन है, उसपर चुप्पी रही। जो मूलभूत बात है, अच्छा होता कि उसपर चर्चा होती। हमारे कृषि मंत्री ने जो सवाल पूछे हैं, उनके जवाब तो नहीं मिलेंगे। मैं आदरणीय देवेगौड़ा जी का बहुत आभारी हूं। उन्होंने इस चर्चा हो एक गाम्भीर्य दिया। उन्होंने अच्छे प्रयासों की सराहना भी की और अपने सुझाव भी दिए।”
2014 के बाद हमने फसल बीमा योजना का दायरा बढ़ा दिया। ताकि छोटा किसान भी उसका फायदा उठा सके। पिछले चार-पांच साल में फसल बीमा योजना के तहत 90 हजार करोड़ रुपये उसके क्लेम किसानों को मिले हैं।
पीएम ने कहा, “मैं आज पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की बात का जिक्र करना चाहता हूं। उनका कथन है, “किसानों का सेंसस लिया गया तो 33% किसान ऐसे हैं जिनके पास जमीन दो बीघे से कम हैं, दो बीघे नहीं है। 18 फीसदी जो किसान कहलाते हैं, उनके पास दो बीघे से चार बीघे जमीन हैं। ये 51% किसान चाहे जितनी मेहनत करें, अपनी थोड़ी सी जमीन पर ईमानदारी से इनकी गुजर नहीं हो सकती।” छोटे किसानों की दयनीय स्थिति हमेशा चौधरी चरण सिंह को परेशान करती थी। अब हम आगे देखें। ऐसे किसान जिनके पास 1 हेक्टेयर से भी कम जमीन है, 1971 में वे 51% थे। आज 68% हो चुके हैं। यानी देश में ऐसे किसानों की संख्या बढ़ी है जिनके पास बहुत थोड़ी सी जमीन है। आज लघु और सीमांत किसानों को मिलाएं तो 86% से ज्यादा किसानों के पास दो हेक्टेयर से भी कम जमीन है। ऐसे किसान 12 करोड़ है। क्या इन किसानों के प्रति हमारी कोई जिम्मेवारी नहीं?”
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जब मैं पहली बार यहां आया था… इस परिसर में… तो कहा था कि मेरी सरकार गरीबों के लिए है। और आज भी मैं यही कहता हूं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘दुनिया ने देखा भारत का दम’
पीएम मोदी ने कहा, “याद कीजिए, यहां इसी सदन का भाषण मैं दो-तीन साल पहले का मैं सुन रहा था। मोबाइल कहां हैं, लोग डिजिटल ट्रांजेक्शंस कैसे करेंगे…. आज हर महीने यूपीआई से चार लाख करोड़ के ट्रांजेक्शंस हो रहे हैं। जल हो, नभ हो, अंतरिक्ष हो… भारत हर क्षेत्र में अपनी क्षमता के साथ खड़ा है। सर्जिकल स्ट्राइक हो, एयर स्ट्राइक हो… दुनिया ने भारत का पराक्रम देखा है।”
पीएम ने सुनाया नेताजी के भाषण का अंश
पीएम मोदी ने कहा, “मैं एक कोट सदन के सामने रखना चाहता हूं। ‘हमारा लोकतंत्र किसी भी मायने में वेस्टर्न इंस्टिट्यूशन नहीं है। ये एक ह्यूमन इंस्टिट्यूशन है। भारत का इतिहास लोकतांत्रिक संस्थानों से उदाहरणों से भरा पड़ा है। प्राचीन भारत में 81 गणतंत्रों का वर्णन हमें मिलता है। आज देशवासियों को भारत के राष्ट्रवाद पर चौतरफाप हो रहे हमले से आगाह करना जरूरी है। भारत का राष्ट्रवाद न तो संकीण है, न स्वाथी है और न ही आक्रामक है। ये सत्यम शिवम सुंदरम के मूल्यों से प्रेरित है’ आदरणीय सभापति जी, ये कोटेशन आजाद हिंद फौज की प्रथम सरकार के प्रथम प्रधानमंत्री नेताजी सुभाष चंद्र बोस का है। और संयोग है कि उनकी 125वीं जयंती हम मना रहे हैं। दुर्भाग्य इस बात का है कि जाने-अनजाने में नेताजी की इस भावना को, नेताजी के इन विचारों को, नेताजी के इन आदर्शों को भुला दिया है। और उसका परिणाम है कि आज हमीं हमको कोसने लग गए हैं।”
विपक्ष पर दनादन कटाक्ष कर रहे पीएम मोदी
पीएम मोदी ने विपक्ष को आड़े हाथों लेते हुए कहा, “यहां पर लोकतंत्र को लेकर बहुत उपदेश दिए गए हैं।’ उन्होंने कहा, “भारत का लोकतंत्र ऐसा नहीं कि जिसकी खाल हम उधेड़ सकते हैं। मैं डेरेक (ओ’ब्रायन) जी की बात सुन रहा था। बढ़िया-बढ़िया शब्दों का प्रयोग हो रहा था। मैं सुन रहा था तो सोच रहा था कि ये बंगाल की बात है? कांग्रेस के हमारे (प्रताप सिंह) बाजवा साहब बोल रहे थे, मुझे लग रहा था थोड़ी देर में वह 84 तक पहुंच जाएंगे। खैर ऐसा नहीं हुआ। कांग्रेस देश को बहुत निराश करती है, एक बार फिर वही किया।”
भावनाओं का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए: पीएम
मोदी ने कहा, “हमारे यहां कोरोना को लेकर डराने की कोशिशें भी हुईं। कई विशेषज्ञों ने अपनी समझ के हिसाब से बताया। आज दुनिया इस बात पर गर्व कर रही है कि भारत ने कोरोना से लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह लड़ाई जीतने का यश किसी सरकार को नहीं जाता है, लेकिन भारत को तो जाता है। विश्व के सामने आत्मविश्वास से बोलने में क्या जाता है।” पीएम ने कहा, “आपने सोशल मीडिया पर देखा होगा, फुटपाथ पर झोंपड़ी में रहने वाली मां भी बाहर दीया जलाकर बैठी है। हम उसकी भावनाओं का माखौल बना रहे हैं? उसका मजाक उड़ा रहे हैं।” उन्होंने कहा, ‘विरोध करने के लिए कितने मुद्दे हैं और करना भी चाहिए लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए कि देश का मनोबल टूटे। ‘
पीएम मोदी ने सुनाई कविता
पीएम मोदी ने कहा कि मैथिलीशरण गुप्त ने लिखा था,
“अवसर तेरे लिए खड़ा है
फिर भी तू चुपचाप पड़ा है
तेरा कर्मक्षेत्र बड़ा है
पल-पल है अनमोल
अरे भारत उठ, आंखें खोल“
इसके बाद उन्होंने कहा कि अगर आज के माहौल में मैथिलीशरण गुप्त लिखते तो कुछ ऐसा लिखते:
“अवसर तेरे लिए खड़ा है
तू आत्मविश्वास से भरा पड़ा है
हर बाधा हर बंदिश को तोड़
अरे भारत, आत्मनिर्भरता के पथ पर दौड़“
पीएम मोदी का भाषण शुरू
अपने संबोधन की शुरुआत में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को धन्यवाद देते हुए पीएम मोदी ने विपक्षी दलों पर तंज कसा। उन्होंने कहा कि ‘अच्छा होता कि अगर सभी सदस्य राष्ट्रपति जी का भाषण सुन पाते। लेकिन फिर भी राष्ट्रपति जी का अभिभाषण इतना शक्तिशाली था कि लोगों तक पहुंच गया।’ मोदी ने राज्यसभा में अभिभाषण पर चर्चा में हिस्सा लेने वाले 50 से ज्यादा सांसदों का भी शुक्रिया अदा किया।
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आज क्या बोलेंगे प्रधानमंत्री?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने भाषण में विपक्षी सदस्यों की ओर से नए कृषि कानूनों पर उठाए गए सभी सवालों पर जवाब दे सकते हैं। तीनों कृषि कानूनों के औचित्य पर सदन में उनके बोलने के काफी मायने होंगे। इसके अलावा, पीएम मोदी रविवार को उत्तराखंड में ग्लेशियर टूटने से आई बाढ़ पर भी बात कर सकते हैं। उनकी तरफ से केंद्र सरकार की ओर से उठाए गए कदमों की जानकारी दी जा सकती है।