अंतरिक्ष में अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन से टकराया मलबा, बाल-बाल बचे अंतरिक्ष यात्री
हाइलाइट्स:
- अंतरिक्ष में खतरनाक तरीके से बढ़ रहे मलबे का असर अब साफ तौर पर दिखाई देने लगा है
- पृथ्वी की कक्षा में चक्कर लगा रहे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से एक छोटा सा मलबा टकरा गया
- कनाडाई अंतरिक्ष एजेंसी के मुताबिक स्पेस स्टेशन की रोबोटिक भुजा से यह मलबा टकराया
टोरंटो
अंतरिक्ष में खतरनाक तरीके से बढ़ रहे मलबे का असर अब साफ तौर पर दिखाई देने लगा है। पृथ्वी की कक्षा में चक्कर लगा रहे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से एक छोटा सा मलबा टकरा गया। कनाडाई अंतरिक्ष एजेंसी के मुताबिक स्पेस स्टेशन की रोबोटिक भुजा से यह मलबा टकराया। इससे रोबोटिक भुजा को नुकसान पहुंचा है और यह बाहर से स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है।
स्पेस एजेंसी ने अपने ब्लॉग पोस्ट में कहा कि मलबे के टकराने से रोबोटिक भुजा के एक छोटे से हिस्से और थर्मल ब्लैंकेट को नुकसान पहुंचा है। उसने बताया कि 12 मई को सामान्य जांच के दौरान पहली बार उन्हें घटना के बारे में पता चला। उसने बताया कि जांच के दौरान इस टक्कर का कोई खास असर नहीं दिखाई दिया और रोबोटिक भुजा सामान्य तरीके से काम कर रही है।
अंतरिक्ष में यह घटना ऐसे समय पर हुई है जब वहां पर मलबे का स्तर बेहद खतरनाक तरीके से बढ़ता जा रहा है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के मुताबिक अंतरिक्ष में मलबे के 27 हजार टुकड़ों पर नजर रखी जा रही है। इतनी निगरानी के बाद भी अभी कई ऐसे टुकड़े अंतरिक्ष में तैर रहे हैं जिनके छोटे होने की वजह से निगरानी नहीं रखी जा पा रही है लेकिन उनसे इंसानों की उड़ानों और रोबोटिक मिशन को खतरा पैदा हो सकता है।
अब दुनिया को बचाने के लिए ऐस्टेरॉयड से टक्कर लेगी अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी धरती को बचाने के लिए एक यान छोड़ने की योजना बना रही है। इसके जरिए पृथ्वी की तरफ आ रहे एक एस्टेरॉयड का रास्ता बदला जाएगा। नासा एक यान छोड़कर उसे रोकना चाहता है जो 14,500 मील प्रति घंटे की रफ्तार से उस एस्टेरॉयड से टकराएगा। इस बीच 1998 ओआरटू नाम का यह विशाल एस्टेरॉयड आज पृथ्वी के बेहद करीब से गुजरा। एक विशेषज्ञ ने दावा किया कि अगर 2.5 मील चौड़ा यह एस्टेरॉयड पृथ्वी से टकराता तो पूरी मानव सभ्यता को खत्म कर सकता था।
अब नासा से खतरनाक एस्टेरॉयड से धरती को बचाने के लिए एक नई योजना बनाई है। अगले साल जुलाई में नासा एक अंतरिक्ष यान छोड़ेगा जो पृथ्वी की ओर आ रहे एक एस्टेरॉयड की सतह से टकराएगा और इसकी दिशा मोड़ देगा। यह टक्कर इतनी दूर होगी कि इससे पृथ्वी को कोई नुकसान नहीं होगा। डबल एस्टेरॉयड रिडायरेक्शन टेस्ट (डार्ट) कुछ एस्टेरॉयड को निशाना बनाएगा। यह डायडीमॉस नाम के एस्टेरॉयड का चक्कर लगा रहे एक छोटे एस्टेरॉयड पर आधा टन का प्रोजेक्टाइल छोड़ेगा। इसे डायडीमून नाम दिया गया है।
लॉरेंस लिवरमोर नेशनल लेबोरेटरी के मीगन ब्रक स्याल ने कहा कि यह किसी असली एस्टेरॉयड पर काइनैटिक इम्पैक्टर टेक्नोलॉजी का परीक्षण करने का बेहतरीन मौका है। फ्रिज के आकार के इम्पैक्टर को डायडीमून पर भेजने से पहले टक्कर को कैद करने के लिए उस पर एक छोटा कैमरा लगाया जाएगा। नासा के पूर्व अंतरिक्षयात्री एड लू ने कहा कि यह उत्सुकता जगाने वाली खबर है। लू अब बी612 फाउंडेशन के प्रमुख है। यह एक गैर सरकारी संस्था है जो एस्टेरॉयड का पता लगाने और उनका रास्ता बदलने की दिशा में काम करती है। उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि डार्ट एक शानदार अभियान है।’
नासा के प्लेनेटरी डिफेंस ऑफिसर लिंडसे जॉनसन ने कहा कि अभी करीब 2,078 एस्टेरॉयड को खतरनाक श्रेणी में रखा गया है। उन्होंने कहा, ‘अंतरिक्ष में सैकड़ों एस्टेरॉयड हैं। हम ऐसे एस्टेरॉयड को अलग करना चाहते हैं जिन पर लगातार नजर रखनी चाहिए।’ नासा 140 मीटर चौड़ी हर उस चीज को खतरनाक एस्टेरॉयड मानता है जिसके निकट भविष्य में पृथ्वी के 50 लाख मील के दायरे में आने की संभावना है। भले ही यह दूरी बहुत ज्यादा लगती है लेकिन एस्टेरॉयड के रास्ते में मामूली बदलाव उसे पृथ्वी की तरफ मोड़ सकता है।
जॉनसन ने कहा कि नासा ने सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद यह दूरी निर्धारित की है। उन्होंने कहा, ‘हमारा सबसे अहम काम उन्हें खोजना और अपनी सूची में शामिल करना है ताकि वे हमें चौंका न सकें। दो मील लंबी एक चट्टान 1990 एमयू 6 जून, 2027 को पृथ्वी के करीब से गुजरेगी। जॉनसन ने कहा, ‘हम नहीं चाहते हैं कि कोई इतनी बड़ी चीज पृथ्वी से टकराए।’ NASA के मुताबिक ऐसे करीब 22 ऐस्टरॉइड्स (उल्कापिंड) हैं जो आने वाले सालों में धरती के करीब आ सकते हैं और टक्कर की संभावनाएं हो सकती हैं।
क्या होता है अंतरिक्ष मलबा
दरअसल, मलबा और अंतरिक्ष यान दोनों ही बहुत तेज रफ्तार से यात्रा कर रहे होते हैं और ऐसे में अगर किसी छोटे से टुकड़े से भी टक्कर होती है तो परिणाम भयानक हो सकते हैं। अंतरिक्ष मलबा दो प्रकार का होता है। पहला- मानव निर्मित और दूसरा प्राकृतिक। मानव निर्मित अंतरिक्ष मलबे का मतलब ऐसे टुकड़ों से है जो मानव द्वारा भेजे गए स्पेसक्राफ्टस या सैटेलाइट्स के निष्क्रिय हो जाने के बाद गुरुत्वाकर्षण के कारण धरती का चक्कर लगाते रहते हैं। वहीं, प्राकृतिक मलबा छुद्रग्रह, धूमकेतु और उल्कापिंड को कहते हैं।