अफगानिस्तान में क्रूर हत्यारों के हाथ में तालिबान सरकार की कमान
हाइलाइट्स
- तालिबान आतंकियों ने लंबे इंतजार के बाद अपनी कार्यवाहक सरकार का ऐलान किया
- इस कैबिनेट में मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद को देश का प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया है
- तालिबान ने क्रूरता की सभी हदें पार करने वाले हत्यारों को अपनी कैबिनेट में जगह दी है
काबुल
अफगानिस्तान पर खूनी कब्जा करने वाले तालिबान आतंकियों ने लंबे इंतजार के बाद देश को चलाने के लिए बुधवार को अपनी कार्यवाहक सरकार का ऐलान कर दिया। इस कैबिनेट में मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद को प्रधानमंत्री नियुक्त किया है जिसे संयुक्त राष्ट के वैश्विक आतंकियों की सूची में शामिल है। तालिबान ने क्रूरता की सभी हदें पार करने वाले हत्यारों को अपनी कैबिनेट में जगह दी है। इनमें 36 करोड़ रुपये का इनामी आतंकी सिराजुद्दीन हक्कानी गृहमंत्री बनाया गया है। यही नहीं लश्कर आतंकियों के साथ गहरे संबंध रखने वाले मुल्ला उमर के बेटे मुल्ला याकूब को रक्षा मंत्री बनाया गया है। आइए जानते हैं कि तालिबान क्रूर हत्यारों को अपने मंत्रिमंडल में जगह देकर क्या संदेश देना चाहता है….
अफगानिस्तान के चर्चित पत्रकार और इन दिनों कनाडा में शरण लिए बिलाल सरवरी कहते हैं, ‘सिराजुद्दीन हक्कानी, अब्दुल हक वासेक, ताज मीर और अन्य क्रूर हत्यारों को तालिबान की नई कैबिनेट में सुरक्षा, खुफिया एजेंसी की जिम्मेदारी जैसे पद दिए गए हैं। यह एक चेतावनी भरा संकेत है।’ उन्होंने कहा कि इस तैनाती से यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि तालिबान के काम करने की प्रक्रिया में 20 साल बाद भी कोई बदलाव नहीं आया है।
‘सिराजुद्दीन हक्कानी और उसके समर्थक विजेता बनकर उभरे’
सरवरी ने कहा कि तालिबान का भूतकाल, वर्तमान और भविष्य एक ही है और वह बदला नहीं है। उन्होंने कहा कि कैबिनेट में कयूम जाकिर, सादर इब्राहिम, दाऊद मोजामिल को जगह नहीं मिलना यह दर्शाता है कि मुल्ला उमर के कंधार समर्थकों और पाक्ट्या के समर्थकों के बीच सत्ता की जंग में सिराजुद्दीन हक्कानी और उनके लोग विजेता बनकर उभरे हैं। क्रूर हत्यारा सिराजुद्दीन हक्कानी पाकिस्तानी सेना के हाथ की कठपुतली है और वह अब अफगानिस्तान की कमान संभालेगा। बिलाल सवाल करते हैं कि अब देखना यह है कि सिराजुद्दीन अपने मालिक (पाकिस्तान) को क्या लौटाते हैं।
The Taliban’s “new” cabinet with the appointment of ruthless assassins like Seraj Haqqani, Waseeq, Taj Mir and others in key security & intelligence positions is a warning sign. Despite some proclamations to the contrary, the appointments provide the most clear indication the
— BILAL SARWARY (@bsarwary) September 8, 2021
वहीं कुछ अन्य अफगान विश्लेषकों का कहना है कि यह तालिबान की कैबिनेट एक समावेशी कैबिनेट नहीं है। इस कैबिनेट के साथ अभी तक चीफ जस्टिस और अटार्नी जनरल की नियुक्ति नहीं हुई है। किसी देश में कानून का शासन चलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट और अटार्नी जनरल का कार्याल महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। तालिबान ने अभी तक यह भी नहीं बताया कि यह ‘कार्यवाहक’ सरकार कितने लंबे समय तक काम करेगी।
हामिद करजई की हत्या के प्रयास की साजिश में शामिल था हक्कानी
‘डॉन’ अखबार की खबर के मुतााबिक, कार्यवाहक प्रधानमंत्री मुल्ला हसन ने एक लिखित बयान में अफगानिस्तान की जनता को ‘विदेशी फौजों की वापसी, कब्जे की समाप्ति और देश की पूर्ण स्वतंत्रता’ की बधाई दी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान के शीर्ष नेता मुल्ला हेबतुल्लाह अखुंदजादा ने खुद अफगानिस्तान के नए प्रमुख के रूप में मुल्ला हसन का नाम प्रस्तावित किया। तालिबान के पिछले शासन के अंतिम वर्षों में अखुंद ने अंतरिम प्रधानमंत्री के तौर पर काबुल में तालिबान की सरकार का नेतृत्व किया था।
मुल्ला हसन तालिबान के शुरुआती स्थल कंधार से ताल्लुक रखते हैं और सशस्त्र आंदोलन के संस्थापकों में से हैं। उन्होंने ‘रहबरी शूरा’ के प्रमुख के रूप में 20 साल तक काम किया और मुल्ला हेबतुल्लाह के करीबी माने जाते हैं। उन्होंने 1996 से 2001 तक अफगानिस्तान में तालिबान की पिछली सरकार के दौरान विदेश मंत्री और उप प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया था। सिराजुद्दीन हक्कानी का नाम वैश्विक स्तर के आतंकवादियों की सूची में है। अमेरिका के संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) की वेबसाइट के अनुसार, 2008 में अफगान राष्ट्रपति हामिद करजई की हत्या के प्रयास की साजिश में भी वह कथित रूप से शामिल था।