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जीत का दावा करने वाले 80% नेताओं की जब्त हो जाती है जमानत, जानिए कैसा रहा है इतिहास

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हाइलाइट्स

  • 1993 में सबसे अधिक 8652 प्रत्याशियों की जब्त हुई थी जमानत
  • 2017 में चुनाव मैदान में खड़े 3736 प्रत्याशी नहीं बचा पाए थे जमानत
  • स्थानीय स्तर के समीकरण के सहारे जीत का दावा करने वालों को होती है निराशा

लखनऊ: दो महीने तक चलने वाले सियासी संग्राम में वैसे तो हर दल और नेता अपनी जीत का दावा कर रहा है। पर जब चुनाव परिणाम आते हैं, तो नजारा कुछ और ही होता है। 1989 से लेकर उत्तर प्रदेश में जितने भी विधानसभा चुनाव (UP Vidhan Sabha Chunav) हुए हैं। उसके आंकड़ों पर नजर डालें तो इनमें 80 प्रतिशत उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई है। यानि चुनावों में करीब 20 प्रतिशत प्रत्याशी ही अपनी जमानत बचा पाते हैं। अब ये देखना दिलचस्प होगा कि 2022 के विधानसभा चुनावों (UP Chunav 2022) में क्या होता है। जानकारों का मानना है कि इस विधानसभा चुनाव (UP Election) में मुख्य रूप से ज्यादातर सीटों पर दो दलों के बीच जीत हार की लड़ाई है। ऐसे में इस बार ऐसे प्रत्याशियों की संख्या और अधिक हो सकती है।

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इस बार कितने प्रत्याशी हैं मैदान में
विधानसभा चुनाव 2022 में कुल 4441 प्रत्याशी मैदान में हैं। वहीं 2017 में 4853 प्रत्यााशी चुनाव मैदान में थे। इस बार सिर्फ चार सीटें ही ऐसी हैं, जहां 15 से अधिक प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। इस बार प्रत्याशियों की संख्या पिछले कई बार के मुकाबले काफी कम है।

क्या होती है जमानत राशि
विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए हर प्रत्याशी को 5,000 रुपये की जमानत राशि जमा करनी होती है। यह जमानत राशि प्रत्याशी को तभी वापस मिलती है जब प्रत्याशी को अपनी विधानसभा सीट में पड़े कुल वैध मतों का छठा हिस्सा मिला हो। ऐसा न होने पर प्रत्याशी को जमानत की राशि नहीं दी जाती है।

1993 में सबसे अधिक प्रत्याशियों की जब्त हुई थी जमानत
1989 के बाद से उत्तर प्रदेश में जितने भी विधानसभा चुनाव हुए। उसमें सबसे अधिक 1993 में प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी। 1993 में करीब 88.95 प्रतिशत प्रत्याशी अपनी जमानत नहीं बचा पाए थे। तब कुल 9726 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा था। जिसमें से 8652 प्रत्याशी अपनी जमानत जब्त हो गई थी। 1996 में 4429 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे, जिसमें 3244 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई थी।

2002 में 5533 कुल प्रत्याशी थे, इसमें से 4422 अपनी जमानत बचाने में सफल रहे थे। इसी तरह 2007 में 6086 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे। जिसमें से 5034 प्रत्याशी जमानत नहीं बचा पाए थे। वहीं 2012 में कुल 6839 प्रत्याशियों में से 5760 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई थी। 2017 में भी कुछ ऐसा ही हुआ। तब चुनाव मैदान में 4853 प्रत्याशी मैदान में थे। इसमें से 3736 प्रत्याशियों को जमानत की राशि भी वापस नहीं मिल पाई थी।

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आंकड़ों की जुबानी

साल कुल प्रत्याशी जमानत जब्त
1989 6102 5093
1991 7851 6811
1993 9726 8652
1996 4429 3244
2002 5533 4422
2007 6086 5034
2012 6839 5760
2017 4853 3736
2022 4441

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