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तो क्या जुलाई में दिल्ली की CM बनेंगी सुनीता केजरीवाल, किन 3 बातों का इंतजार?

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कथित शराब घोटाले में गिरफ्तार किए गए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अब तिहाड़ जेल पहुंच चुके हैं। 10 दिन तक ईडी की रिमांड पर रहने के बाद दिल्ली की एक विशेष अदालत ने केजरीवाल को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। केजरीवाल के जेल चले जाने के बाद अब इस बात को लेकर एक बार फिर अटकलें तेज हो गईं हैं कि क्या वह तिहाड़ से सरकार चला पाएंगे या फिर वह इस्तीफा देकर दिल्ली के नए मुख्यमंत्री के लिए रास्ता साफ करेंगे? चर्चा यह भी है कि यदि जेल से सरकार नहीं चल पाई तो वह अपनी पत्नी सुनीता केजरीवाल को गद्दी सौंप सकते हैं। हालांकि, आम आदमी पार्टी की ओर से बार-बार यही कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री केजरीवाल ही रहेंगे।

अरविंद केजरीवाल जेल में रहकर भी मुख्यमंत्री बने रह सकते हैं। संवैधानिक जानकारों का कहना है कि एक मंत्री या मुख्यमंत्री के जेल जाने (तब तक दो या दो साल से अधिक की सजा ना हुई हो) पर पद छोड़ने की कोई बाध्यता नहीं है। पिछले दिनों केजरीवाल को पद से हटाए जाने की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने भी यही सवाल उठाया था। हालांकि, जानकारों का यह भी कहना है कि भले ही केजरीवाल पर इस्तीफा देने के लिए कोई कानूनी दबाव ना हो, लेकिन व्यवहारिक तौर पर यह संभव नहीं है कि वह जेल से सरकार चला सकें। एक मुख्यमंत्री के तौर हर दिन कई बैठकें लेनी होती है, बहुत से लोगों से मुलाकातें करनी होती हैं। कैबिनेट मिलकर फैसले करती है। यह सब केजरीवाल जेल से कैसे कर पाएंगे यह साफ नहीं है। यह पहला मौका है जब कोई मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए जेल गया हो।

अदालत का सहारा ले सकते हैं केजरीवाल
एलजी वीके सक्सेना साफ कर चुके हैं कि वह दिल्ली सरकार को जेल से चलाने की इजाजत नहीं देंगे। उनका बयान इसलिए बेहद महत्वपूर्ण क्योंकि जानकारों का मानना है कि एलजी यदि चाहें को केजरीवाल आसानी से जेल में रहकर भी सरकार चला सकते हैं। उनका कहना है कि एलजी किसी विशेष इमारत को जेल घोषित कर सकते हैं और वहां रहकर केजरीवाल मुख्यमंत्री के तौर पर कामकाज कर सकते हैं। हालांकि एलजी के इनकार के बाद अब आम आदमी पार्टी के पास कोर्ट का रुख करने का ही रास्ता बचा है। माना जा रहा है कि केजरीवाल जल्द ही अदालत का दरवाजा खटखटाकर विशेष इजाजत मांग सकते हैं।

अदालत से इनकार पर क्या होगा?
अदालत से यदि केजरीवाल को सरकार चलाने की इजाजत मिल जाती है तो वह अपना कामकाज आसानी से जारी रख पाएंगे। हालांकि, यदि अदालत अपील स्वीकार नहीं करता है तो केजरीवाल को आने वाले समय में पद छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है। अटकलें है कि यदि केजरीवाल को इस्तीफा देना पड़ा तो उनकी जगह उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल कमान संभाल सकती हैं, जो अचानक बेहद सक्रिय हो चुकी हैं और रामलीला मैदान में विपक्ष की रैली में उनके भाषण को राजनीतिक एंट्री के तौर पर देखा जा रहा है।

किन बातों का है इंतजार?
जानकारों का मानना है कि सुनीता केजरीवाल को सीएम बनाए जाने से पहले आम आदमी पार्टी फूंक-फूंककर कदम रख रही है। केजरीवाल जानते हैं कि यदि उन्होंने सुनीता केजरीवाल को सीएम बनाया तो भाजपा जैसे विपक्षी दल उन पर परिवारवादी होने का आरोप चस्पा करेंगे। लेकिन वह यह भी जानते हैं कि पार्टी के लगभग सभी बड़े नेताओं के कानूनी पचड़े में पड़ जाने के बाद ऐसा कोई नेता नहीं है जिसके नाम पर पूरी पार्टी सहमत हो। अटकलें है कि सुनीता को कमान देने से पहले आम आदमी पार्टी को तीन बातों का इंतजार है, पहला यह कि केजरीवाल को लोकसभा चुनाव तक जमानत मिलती है या नहीं, जेल से सरकार चलाने की इजाजत मिलती है या नहीं, और तीसरी बात यह कि लोकसभा चुनाव का परिणाम क्या होगा।

यदि तीनों ही मोर्चों पर निराशा मिलती है तो तो जून या जुलाई तक सुनीता को कमान सौंपी जा सकती है। इसके पीछे यह भी दलील दी जा रही है कि यदि जुलाई तक वह सीएम बनती हैं तो दिल्ली में विधानसभा चुनाव में करीब छह महीने का ही वक्त बचा होगा और ऐसे में उन्हें उपचुनाव का सामना नहीं करना पड़ेगा। वह बिना विधायक बने छह महीने तक पद पर रह सकती हैं।

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