क्यों भारत छोड़कर जा रहीं कुछ विदेशी कंपनियां… आखिर क्या है जो नहीं आ रहा पसंद?
हाइलाइट्स
- मेट्रो ने रिलायंस इंडस्ट्रीज को बेचा है अपना भारत का कारोबार
- रिलायंस जैसे बड़े घरेलू प्लेयर्स के पास जा रहा है रिटेल कारोबार
- अपने कमर्शियल कारणों के चलते कुछ MNCs ने छोड़ा देश
रिलायंस जैसे बड़े प्लेयर्स के पास जा रहा रिटेल कारोबार
नुवामा ग्रुप (Nuvama Group) के अवनीश रॉय ने कहा, ‘भारत में रिटेल तेजी से रिलायंस (Reliance) जैसे बड़े खिलाड़ियों के पक्ष में कंसोलिडेट हो रहा है।’ उन्होंने कहा कि किराना व्यापारी भी कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना कर रहे हैं। उनका कारोबार क्विक कॉमर्स, ई-कॉमर्स और दूसरे मॉडर्न ट्रेड प्लेयर्स के पास जा रहा है।
कम मार्जिन वाला कारोबार है बी2बी सेगमेंट
आठ साल पहले फ्रांस की कैरेफोर (Carrefour) ने भारत में अपने होलसेल आउटलेट बंद कर दिए थे। विश्लेषकों का कहना है कि बी2बी सेगमेंट (कैश एंड कैरी) कम मार्जिन वाला कारोबार है। यही एक प्रमुख कारण है कि कैरेफोर जैसी अन्य मल्टीनेशनल कंपनियां भी भारत से बाहर हो गई हैं।
घट रही MNCs की बाजार हिस्सेदारी
घरेलू कंपनियों की मजबूत होती पकड़ के चलते भारत के विभिन्न सेक्टर्स में डायनेमिक्स चेंज हो रहे हैं। इसके साथ ही मल्टीनेशनल कंपनियों की बाजार हिस्सेदारी घट रही है। उदाहरण के लिए आप कंज्यूमर मोबाइल सर्विसेज के बिजनस और सीमेंट इंडस्ट्री को देख सकते हैं। स्विस दिग्गज होल्सिम (Holcim) द्वारा अपना भारतीय सीमेंट कारोबार अडानी (Adani) को बेचने के बाद इस सेक्टर में टॉप प्लेयर्स घरेलू कंपनियां हैं।
अपने बिजनस और कमर्शियल कारणों से देश छोड़ रहीं MNCs
जे सागर एसोसिएट्स के पार्टनर ललित कुमार ने कहा, ‘बड़ी इंटरनेशनल कंपनियों का देश छोड़ना उनके बिजनस और कमर्शियल कारणों का हिस्सा है, ना कि यह भारत में नियामक और कानूनी जरूरतों के चलते हो रहा है।’ होल्सिम ने कहा था कि उसका भारत छोड़ना ग्रीन बिजनस पर फोकस करने के लिए था। इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स के अनुसार, कुछ मल्टीनेशनल कंपनियों के भारत छोड़ने के पीछे कई कारण हैं। उनका बिजनस मॉडल मूल कंपनी के ग्लोबल बिजनस मॉडल के साथ मेल नहीं खा रहा था। मार्जिन कम हो रहा था। इसके अलावा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से भी कंपनियों का बिजनस बडे़ पैमाने पर प्रभावित हुआ।