सीतारमण की नई लोन गारंटी से इकॉनमी में आएगी तेजी!
हाइलाइट्स:
- सीतारमण ने कोरोना से प्रभावित सेक्टर्स की मदद के लिए नई लोन गारंटी की घोषणा की है
- इंडस्ट्री के जानकारों और अर्थशास्त्रियों ने इकनॉमिक ग्रोथ में तेजी लाने के लिए नाकाफी बताया
- इंडस्ट्री के मुताबिक लोगों के बीच भरोसा बढ़ाने की जरूरत है ताकि खपत में स्थाई मांग पैदा की जा सके
नई दिल्ली
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने कोरोना से प्रभावित सेक्टर्स की मदद के लिए 35 अरब डॉलर की नई लोन गारंटी की घोषणा की है। इसमें से 1.1 लाख करोड़ रुपये की लोन गारंटी स्कीम हेल्थ, टूरिज्म और छोटे कारोबार के लिए है। साथ ही सरकार ने भारत आने वाले पहले 500,000 विदेशी पर्यटकों की वीजा फीस भी माफ करने की भी घोषणा की है। लेकिन इंडस्ट्री के जानकारों और अर्थशास्त्रियों का कहना है कि इससे फौरी राहत मिल सकती है लेकिन यह इकनॉमिक ग्रोथ में तेजी लाने के लिए नाकाफी है।
भारत ने इकॉनमी को कोरोना संकट की चुनौतियों से निकालने के लिए विकसित देशों की तरह स्टीम्युलस पैकेज की घोषणा नहीं की है बल्कि इन्फ्रास्ट्रक्चर में ज्यादा पैसा झोंका है, कोरोना प्रभावित कारोबार को बैंक लोन देने के लिए गारंटी दी है और गरीबों को मुफ्त अनाज बांटा है। Emkay Global Financial Services की लीड इकनॉमिस्ट माधवी अरोड़ा ने कहा कि अधिकांश फिस्कल सपोर्ट उम्मीद के मुताबिक नहीं है और लोन गारंटी के रूप में है। यह डायरेक्ट स्टीम्युलस नहीं है।
60 हजार करोड़ रुपये का बोझ
मूडीज की भारतीय यूनिट इक्रा की चीफ इकनॉमिस्ट अदिति नायर ने कहा कि नए उपायों से सरकारी खजाने पर करीब 60 हजार करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा और उनकी सफलता वास्तविक खर्च पर निर्भर करेगी। देश में वैक्सीनेशन की धीमी रफ्तार और कोरोना के नए डेल्टा वेरियंट के प्रकोप के कारण अर्थशास्त्रियों ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए जीडीपी ग्रोथ का अनुमान घटाकर 7.5 से 8 फीसदी कर दिया है जो पहले 10 से 11 फीसदी था।
इंडस्ट्री और विपक्षी नेताओं ने मांग बढ़ाने के लिए पेट्रोल और डीजल पर टैक्स (tax on petrol and diesel) में कटौती और गरीबों को कैश ट्रांसफर करने की मांग की है। फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के सीनियर वाइस प्रेजिडेंट संजीव मेहता ने कहा कि लोगों के बीच भरोसा बढ़ाने की जरूरत है ताकि खपत में स्थाई मांग पैदा की जा सके।
आरबीआई के नकदी उपाय
जनवरी-मार्च तिमाही में देशी की इकनॉमिक ग्रोथ रेट 1.6 फीसदी रही थी लेकिन इस तिमाही को लेकर इकनॉमिस्ट्स आशंकित हैं। अप्रैल-मई में कोरोना की दूसरी लहर के कारण आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुई थीं। आरबीआई ने ब्याज दरों को यथावत रखा है और खुदरा महंगाई में बढ़ोतरी के बावजूद ग्रोथ को सपोर्ट करने के लिए नकदी उपाय किए हैं।