‘रहस्यमयी बुखार’ से डरें नहीं दिल्लीवाले, वक्त पर लक्षण देखकर कराएं इलाज
हाइलाइट्स
- यूपी में फैला स्क्रब टाइफस, पैनिक न करें। दिल्ली में आते रहते हैं इसके मामले
- आमतौर पर 40 से 50 पर्सेंट लोगों में माइट (कीड़े) के काटने का निशान दिखता है
- यह गोल और ब्लैक मार्क होता है। आधे से अधिक में यह निशान नहीं भी होता है
- देरी से इलाज होने पर इसका शरीर के कई अंगों पर खतरनाक असर हो सकता है
नई दिल्ली
उत्तर प्रदेश में इन दिनों बुखार के ऐसे मामले आ रहे हैं जिसे स्क्रब टाइफस से जोड़कर देखा जा रहा है। हालांकि, यह बीमारी नई बिल्कुल नहीं है। दिल्ली में भी इसके मरीज आते रहते हैं। लेकिन, इसकी संख्या बहुत कम होती है। क्योंकि, स्क्रब टाइफस का फीवर माइट (कीड़े) के काटने की वजह से होता है। पहाड़ों में पाए जाने वाले एक खास किस्म के कीड़े टिक बाइट के काटने से फैलने वाला इन्फेक्शन है। इसके काटने से शरीर पर खास तरह का निशान बन जाता है। समय पर इस इन्फेक्शन की पहचान न हो तो इसका असर शरीर के कई अंगों पर होता है और यह जानलेवा भी साबित हो सकता है।
नई बीमारी नहीं है ये
गंगाराम अस्पताल के मेडिसिन विभाग के डॉक्टर अतुल गोगिया ने कहा कि यह कोई नई बीमारी नहीं है। हर साल इसके मामले आते रहते हैं। लेकिन बहुत कम आते हैं। उन्होंने कहा कि इसमें भी हाई ग्रेड फीवर होता है। आमतौर पर 40 से 50 पर्सेंट लोगों में माइट के काटने का निशान दिखता है। यह गोल और ब्लैक मार्क होता है। लेकिन, आधे से अधिक में यह मार्क नहीं भी होता है। उन्होंने कहा कि स्पेशलिस्ट सेंटर में फीवर के इलाज के लिए लोग तभी आते हैं, जब फीवर की वजह का पता नहीं चल रहा होता है। इस तरह के मरीज का जिनके बुखार का डायग्नोस (पहचान) नहीं हो पा रहा है, उसमें हम यह टेस्ट जरूर करते हैं। एक बार डायग्नोस होने पर इसका इलाज संभव है। लेकिन, देरी से इलाज होने पर इसका असर शरीर के कई अंगों पर हो सकता है और यह जानलेवा साबित हो जाता है।
कोविड या फ्लू की तरह नहीं फैलती
मैक्स हॉस्पिटल के इंटरनल मेडिसिन के डॉक्टर रोमेल टिक्कू ने कहा कि उनके यहां स्क्रब टाइफस के मरीज बीच-बीच में आते हैं। लेकिन इससे न तो डरने की बात है और न ही पैनिक करने की बात है। क्योंकि यह संक्रामक बीमारी नहीं है, यानी एक से दूसरे में कोविड या फ्लू की तरह नहीं फैलती है। न ही यह मच्छर के काटने से फैलती है। यह एक माइट के काटने से होती है। इसलिए, अगर यह बुखार यूपी में हो रहा है तो दिल्ली वालों को डरने की जरूरत नहीं है। हां, दिल्ली में भी कभी कभार इसके मामले आते हैं। लेकिन, इसकी संख्या बहुत कम होती है।
बीमारी की पहचान और इलाज में देरी खतरनाक
डॉक्टर रोमेल ने कहा कि जब मरीज में बुखार की मुख्य बीमारी टाइफाइड, मलेरिया, डेंगू, फ्लू जैसी जांच के बाद भी पता नहीं चले तो इस बात का संकेत होता है कि स्क्रब टाइफस हो सकता है। उन्होंने कहा कि इसके लिए जांच की जाती है। ब्लड टेस्ट किया जाता है। आसानी से इसका पता लगाया जा सकता है। इसका इलाज एंटीबायोटिक्स है। लेकिन, अगर बीमारी की पहचान होने और इलाज शुरू होने में देर हो जाए तो इसका असर लंग्स के अलावा किडनी व लिवर पर भी होता है। डॉक्टर ने कहा कि आमतौर पर यह बीमारी पहाड़ी क्षेत्रों में ज्यादा होती है, जहां पर झाड़ी या जंगल होता है। ओरिएंटिया त्सुत्सुगामुशी नामक बैक्टीरिया की वजह से होता है। यह संक्रमित माइट के काटने से संक्रमण दूसरे में पहुंचता है।