चीनी ड्रैगन को टक्कर देगा भारत का ‘अग्निबाण’, जानें किसकी मिसाइल में कितना दम
हाइलाइट्स
- भारत ने अपनी सबसे घातक अग्नि-5 मिसाइल का बुधवार को सफल परीक्षण किया
- रात में किए गए इस सफल परीक्षण के जरिए भारत ने चीन को अपनी ताकत दिखाई
- परमाणु बम गिराने में सक्षम अग्नि-5 मिसाइल 5000 किमी तक मार करने में सक्षम है
चीन के साथ तनाव के बीच भारत ने ड्रैगन को कड़ा संदेश देते हुए अपनी सबसे घातक अग्नि-5 मिसाइल का बुधवार को सफल परीक्षण किया। रात के अंधेरे में किए गए इस सफल परीक्षण के जरिए भारत ने दिखा दिया कि अग्नि-5 मिसाइल अब सेना में शामिल होने के लिए तैयार है। परमाणु बम गिराने में सक्षम अग्नि-5 मिसाइल 5000 किमी तक मार करने में सक्षम है। भारत का यह ‘अग्निबाण’ चीन के उत्तरी शहरों को भी जलाकर राख करने में सक्षम है जो अभी तक भारतीय मिसाइलों की जद से बाहर थे।इसके साथ ही भारत ने यह भी साफ कर दिया है कि उसके पास चीनी दुस्साहस का करारा जवाब देने की क्षमता आ गई है लेकिन वह इसका इस्तेमाल पहले नहीं करेगा। भारत का यह ताजा परीक्षण दो लिहाज से महत्वपूर्ण था। पहला- भारतीय सेना के स्ट्रेटजिक फोर्सेस कमांड ने खुद इस अंतर महाद्वीपीय मिसाइल का परीक्षण किया, दूसरा-अब तक अग्नि-5 मिसाइल के 7 परीक्षण किए गए हैं लेकिन पहली बार रात में इसे दागा गया है। भारत के अग्नि-5 मिसाइल की चीन के डोंगफेंग मिसाइल से सीधी टक्कर होगी। आइए जानते हैं कि किस मिसाइल में कितना दम है…..
दुनिया पर राज करने के लिए चीन लगातार अपने किलर मिसाइलों का जखीरा बढ़ा रहा है। यही नहीं इन मिसाइलों को छिपाने के लिए भी चीन अपने रेगिस्तानी इलाके में कई खुफिया अड्डे बना रहा है। यही नहीं चीन ने हाल ही में अंतरिक्ष से धरती पर हाइपरसोनिक मिसाइल दागकर पूरी दुनिया को दहशत में डाल दिया है। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक चीन के पास 12 से 15 हजार किमी तक मार करने वाली डोंगफेंग अंतरमहाद्वीपीय मिसाइलें हैं। साल 2018 में चीन के पास 75 से लेकर 100 मिसाइलें थीं। चीन की ये मिसाइल कम दूरी, मध्यम दूरी और लंबी दूरी तक मार करने वाली हैं।
चीन की डोंगफेंग मिसाइल रेंज के आधार पर भारत ही नहीं अमेरिका तक तबाही मचाने में सक्षम है। डोंगफेंग मिसाइलों का निर्माण चीन ने सोवियत संघ की मदद से 1950 के दशक में शुरू किया। डोंगफेंग 1 और डोंगफेंग 2 मिसाइलें सबसे पहले बनाई गईं जिनकी मारक क्षमता क्रमश: 500 और 1250 किमी है। अब ये मिसाइलें सेवा में नहीं हैं। चीन के डोंगफेंग सीरीज में डीएफ-41 सबसे ज्यादा (12 से 15 हजार किमी तक) मारक क्षमता वाली मिसाइल है। डीएफ-41 मिसाइल 10 परमाणु बम ले जा सकती है जिनका वजन 100 से 200 किलोटन से एक मेगाटन तक हो सकता है।
गुआम किलर है चीन की डीएफ-26 मिसाइल, अग्नि से तुलना
इस तरह चीन की डीएफ-41 मिसाइल धरती के किसी भी कोने तक हमला करने में सक्षम है। MIRV तकनीक से लैस होने के कारण यह एक साथ अपनी जद में आने वाले कई ठिकानों को तबाह कर सकती है। इसके अलावा चीन की डीएफ-26 मिसाइल भी काफी खतरनाक है और इसे गुआम किलर के नाम से जाना जाता है। गुआम अमेरिकी सैन्य अड्डा है। यह मिसाइल परमाणु बम या 1200 से 1800 किलो के परंपरागत बम गिरा सकती है। इस मिसाइल की तुलना भारत की अग्नि-5 मिसाइल से की जाती है।
भारत सरकार ने आधिकारिक तौर पर अग्नि-5 मिसाइल की रेंज 5 हजार किमी बताई है लेकिन चीन का दावा है कि इस मिसाइल की रेंज 8 हजार किमी तक है। इस तरह से पूरे एशिया और यूरोप के 70 फीसदी हिस्से को भारत निशाना बना सकता है। यह मिसाइल 1500 किलोग्राम तक के परमाणु हथियार अपने साथ ले जा सकती है। इस तरह से अग्नि-5 मिसाइल भारत की सतह से सतह पर मार करने वाली सबसे घातक मिसाइल है। अग्नि-5 को डीआरडीओ और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड ने तैयार किया है। ए.पी.जे. अब्दुल कलाम द्वीप से भारत ने इसका सफल परीक्षण किया। दुश्मन के किसी भी शहर को यह देखते ही देखते नेस्तनाबूद कर सकती है। इसका वजन करीब 50 हजार किलोग्राम है। मिसाइल 1.75 मीटर लंबी है। इसका व्यास 2 मीटर है। यह अपने साथ 1.5 टन वॉरहेड ले जाने में समर्थ है।इसका निशाना अचूक है। भारतीय इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) अपनी सबसे तेज गति से 8.16 किलोमीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से चलने वाली ध्वनि की गति से 24 गुना तेज है। यह 29,401 किलोमीटर प्रति घंटे की हाई स्पीड हासिल कर सकती है। इसे मोबाइल लॉन्चर से लॉन्च किया जा सकता है। आईसीबीएम में किसी मिसाइल को कुछ खास पैमाने पूरा करने पर ही जगह मिलती है। देखा जाता है कि इन मिसाइलों की रेंज इतनी है कि वो एक कॉन्टिनेंट यानी महाद्वीप को पार कर दूसरे महाद्वीप तक पहुंच सकती हैं कि नहीं। अग्नि-5 इस पैमाने पर खरी उतरती है। अग्नि-5 मिसाइल की एक और खूबी यह है कि इसमें मेनटिनेंस की जरूरत कम है। साथ ही इसका ट्रांसपोर्टेशन भी आसान है।
अग्नि को महाविनाशक बनाने की तैयारी में डीआरडीओ
अग्नि के अलग-अलग वैरियंट बनाने वाला डीआरडीओ ‘मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल रीएंट्री व्हीकल (एमआईआरवी)’ भी तैयार कर रहा है। एमआईआरवी पेलोड में एक मिसाइल में चार से छह न्यूक्लियर वॉरहेड ले जा सकेगी। इन्हें अलग-अलग टारगेट को हिट करने के लिए प्रोग्राम किया जा सकता है। इस तरह से भारत उन चुनिंदा देशों की कतार में पहुंच जाएगा जिनके पास इस तरह की क्षमता है। अग्नि-5 का कैनिस्टर वर्जन परीक्षण किया गया है जो आसानी से कहीं भी ले जाया जा सकता है।