भीख में मिली स्वतंत्रता वाले बयान भड़का किन्नर अखाड़ा, देश की जनता से माफी मांगने की मांग
हाइलाइट्स
- कंगना रनौत के बयान पर भड़की किन्नर अखाड़ा प्रमुख
- देश से माफी मांगने की कही बात, बयान वापस लेने की दी सलाह
- स्वतंत्रता को राजनीतिक चश्मे से न देखने की मांग की
प्रयागराज
बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनौत की ओर से 1947 में मिली स्वतंत्रता को ‘भीख में मिली आजादी’ के बयान पर विवाद लगातार गहराता जा रहा है। इस बयान पर अब किन्नर अखाड़ा ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई है। किन्नर अखाड़ा ने मामले में प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि एक्ट्रेस को इस प्रकार के बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए।
किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने अभिनेत्री से देश की जनता से माफी मांगने और अपना बयान वापस लेने की मांग की है। उन्होंने कंगना के बयान को गलत करार दिया है। त्रिपाठी ने कहा कि देश की आजादी को लेकर इस तरह का बयान लोकतंत्र और संविधान का अपमान है।
सेनानियों के बलिदान से मिली आजादी
किन्नर अखाड़े की प्रमुख ने कहा कि देश के कई महान स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना खून बहाया है। सत्याग्रह में भाग लिया और अपना जीवन आजादी के लिए बलिदान कर दिया है। वे चाहते थे कि देश को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त को। कंगना रनौत का बयान देश के स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान है। उन्होंने यह भी कहा कि देश की आजादी के बारे में अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करना सही नहीं है। चाहे यह जान बूझकर दिया गया बयान हो या अनजाने में।
कंगना का बयान देशद्रोह
किन्नर अखाड़े की प्रमुख ने कहा कि कंगना का बयान देशद्रोह है। किसी को भी केवल प्रचार हासिल करने के लिए ऐसी टिप्पणी करने का अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि सभी ने स्वतंत्रता के लिए एक साथ लड़ाई लड़ी थी, चाहे वह कांग्रेस, वाम, संघ या दक्षिणपंथी विचारधारा के हों। इस भूमि को ब्रिटिश राज से मुक्त कराने में सभी का समान योगदान है। ऐसे में इस प्रकार के बयान को किसी भी स्थिति में उचित नहीं ठहराया जा सकता है।
स्वतंत्रता को राजनीतिक चश्मे से देखना सही नहीं
त्रिपाठी ने कहा कि लोकतंत्र में सभी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का प्रयोग करने का अधिकार है। राजनीतिक बयानबाजी भी की जा सकती है, लेकिन देश की स्वतंत्रता को किसी सरकार या उसके पहले या बाद में बनी किसी भी राजनीतिक पार्टी के चश्मे से जोड़कर नहीं देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 से केंद्र और कई राज्यों में भाजपा की सरकार रही है, जो एक सकारात्मक बात है। देश की आजादी के बाद बनी अधिकांश सरकारों के बारे में भी यही कहा जा सकता है।