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काश! वो करिश्मा फिर दिखा पाते वरुण सिंह, जिंदगी से जंग हार गया वो आखिरी योद्धा

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  • हेलिकॉप्टर हादसे में गंभीर रूप से घायल वायु सेना के ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह का निधन
  • इस हादसे में CDS जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी और 11 सैन्य कर्मियों की जान चली गई थी
  • वायु सेना ने ट्वीट कर दी जानकारी, देश में शोक की लहर
नई दिल्ली
ओह…दिल बैठ सा गया। धड़कनें थम सी गईं। खबर ही कुछ ऐसी थी जिसने भी सुना, गम में डूब गया। आंखें भीग गईं। आज दोपहर 1 बजने वाले थे और अचानक खबर आई ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह नहीं रहे। 8 दिसंबर 2021 को हुए हेलिकॉप्टर क्रैश में वह अकेले शख्स थे, जो बचाए जा सके थे। तब से लगातार देशभर के लोग दुआएं कर रहे थे कि ईश्वर उस योद्धा को नई जिंदगी दे। उन्हें क्रिटिकल सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया था लेकिन आज वह योद्धा सदा सदा के लिए अमर हो गया।जब उन्हें क्रैश हेलिकॉप्टर के मलबे से निकाला गया था, वह गंभीर रूप से घायल थे। उनकी हालत लगातार नाजुक बनी हुई थी। इसी हादसे में CDS जनरल विपिन रावत, उनकी पत्नी और 11 अन्य सैन्य कर्मियों की जान चली गई थी। वरुण सिंह का बेंगलुरु के सैन्य अस्पताल में इलाज चल रहा था।दिन में दो बार फोन करते थे राजनाथ सिंह
अस्पताल में ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह भर्ती कराए गए तो सरकार और सेना की तरफ से उन्हें बेस्ट मेडिकल सुविधा उपलब्ध कराई जा रही थी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह दिन में एक नहीं, दो-तीन बार फोन करके परिवार के सदस्यों से बात करते थे। वह ग्रुप कैप्टन का इलाज कर रहे डॉक्टरों से भी बात कर रहे थे जिससे हरसंभव सहायता दी जा सके।
देश को उस सवाल के जवाब की थी उम्मीद
वायुसेना की तरफ से आज दोपहर जानकारी दी गई कि ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह नहीं रहे। लोगों को उम्मीद थी कि वरुण सिंह के स्वस्थ होने पर क्रैश की वजह का पता चल सकता था। उस दिन आखिरी मिनटों में हेलिकॉप्टर में क्या हुआ था? कैसे अचानक हेलिकॉप्टर जंगल में क्रैश हो गया? लेकिन दुखद है कि देश के बहादुर सपूत को बचाया नहीं जा सका।


वरुण यूपी के देवरिया जिले के रुद्रपुर गांव के रहने वाले थे। जैसे ही उनके निधन की खबर मिली, परिवार में कोहराम मच गया। घरवालों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। उनके पिता कर्नल रहे हैं और फिलहाल परिवार भोपाल में रहता है। हर चेहरा उदास और गम में डूब गया।

देश को फिर थी करिश्मे की उम्मीद
पिछले साल ऐसी ही एक घटना होते-होते बची थी, जिसके लिए वरुण सिंह को शौर्य चक्र मिला था। तब उनके फाइटर प्लेन में खराबी आ गई थी लेकिन वह उसे सुरक्षित लैंड कराने में कामयाब रहे थे। दरअसल, पिछले साल एक बड़ी तकनीकी खामी आने के बाद वरुण सिंह ने लड़ाकू विमान तेजस को दुर्घटना से बचा लिया था। उनकी इस बहादुरी पर ग्रुप कैप्टन को अगस्त महीने में शौर्य चक्र से नवाजा गया था। उन्हें लगा कि भगवान ने उन्हें बचाया है। उनके बारे में कहा जाने लगा था कि वह किसी भी मुश्किल से बच निकलते हैं।

परिवार को पूरी उम्मीद थी कि वरुण मौत को मात देकर फिर से घर लौटेंगे। पिछली बार भी कुछ ऐसा ही हुआ था। लोगों को उसी करिश्मे की उम्मीद थी। प्रार्थनाएं पूरे देश में हो रही थीं पर होनी को कुछ और ही मंजूर था।

95 प्रतिशत झुलस गया था शरीर, पर आखिरी सांस तक लड़ा योद्धा
वह हेलिकॉप्टर क्रैश के इकलौते सर्वाइवर थे। उनका शरीर 95 प्रतिशत झुलस गया था पर इस योद्धा ने हार नहीं मानी। पूरी जीवटता के साथ वह आखिरी सांस तक लड़े लेकिन जिंदगी-मौत की इस जंग को वह जीत नहीं सके। कांग्रेस नेता अखिलेश प्रताप सिंह उनके चाचा हैं। इतना बर्न था लेकिन सबको भरोसा था कि वरुण घर जरूर लौटेंगे। वरुण के निधन पर अब भी परिवार को यकीन नहीं हो रहा। देश भी गहरे सदमे में है।

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