National

IIT से पद्म भूषण सम्मान तक का सफर: जानें Google CEO सुंदर पिचाई की सफलता और संघर्ष की कहानी

Spread the love

नई दिल्ली: गूगल (Google) के पहले भारतीय सीईओ सुंदर पिचाई (Sundar Pichai) को भारत सरकार ने पद्म भूषण (Padma Bhushan) सम्मान देने की घोषणा की है. सुंदर पिचाई उन 17 शख्सियतों में शामिल हैं जिन्हें यह सम्मान दिया जाएगा. सुंदर पिचाई को यह सम्मान ट्रेड और इंडस्ट्री की कैटेगरी में उनके उल्लेखनीय योगदान को ध्यान में रखते हुए दिया गया है.

तमिलनाडु में जन्मे सुंदर पिचाई साल 2015 में दुनिया की दिग्गज आईटी कंपनी गूगल के सीईओ बने. वह पहले भारतीय मूल के नागरिक थे जिन्हें गूगल में सबसे बड़ी जिम्मेदारी मिली. गूगल के को-फाउंडर लॉरी पैज ने सुंदर पिचाई को गूगल का सीईओ घोषित करते हुए कहा था कि मैं खुद को भाग्यशाली मानता हूं कि हमारे बीच ऐसी प्रतिभाशाली शख्सियत है.

सुंदर पिचाई का जन्म तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में हुआ. मध्यवर्गीय परिवार में पैदा हुए सुंदर पिचाई के पिता इलेक्ट्रिक इंजीनियर थे लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण वह उन्हें बेहतर शिक्षा देने में असमर्थ थे. सुंदर पिचाई ने 1993 में आईआईटी खड़गपुर से बीटेक किया. इसके बाद स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से एमएस और व्हार्टन स्कूल से एमबीए किया. व्हार्टन स्कूल में पढ़ाई के दौरान उन्हें दो स्कॉलरशिप मिली.

साल 2004 में सुंदर पिचाई ने गूगल ज्वाइन किया. जहां उन्होंने गूगल टूलबार और क्रोम को विकसित करने में अहम भूमिका निभाई. कुछ ही सालों में गूगल क्रॉम दुनिया का सबसे पॉप्युलर इंटरनेट ब्राउजर बन गया. 2014 में उन्हें गूगल के सभी प्रॉडक्ट्स और प्लेटफॉर्म से जुड़ी अहम जिम्मेदारी सौंपी गई. इस दौरान उनके पास लोकप्रिय प्रॉडक्ट्स जैसे गूगल टूलबार, क्रॉम, डेस्कटॉप सर्च, गैजेट्स, गूगल पैक, गूगल गियर्स, फायरफॉक्स एक्सटेंशन आदि चार्ज रहा.

फिर साल 2015 में वह वक्त आया जब उन्हें गूगल का सीईओ बनाया गया. इसके बाद जुलाई 2017 में सुंदर पिचाई अल्फाबेट के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में शामिल हुए, जो कि गूगल की पैरेंट कंपनी है. पिछले 15 सालों में सुंदर पिचाई ने गूगल में काम करके कई बेहतरीन प्रॉडक्ट्स को विकसित किया.

सुंदर पिचाई का भारत से रिश्ता

कुछ सालों पहले बीबीसी के साथ इंटरव्यू में सुंदर पिचाई ने कहा कि, मैं अमेरिकी नागरिक हूं लेकिन भारत मेरे अंदर गहरियों तक है.

2020 की यूट्यूब डियर क्लास वर्चुअल सेरेमनी में सुंदर पिचाई ने कहा था कि, जब मैं अपने बचपन को याद करता हूं तो मुझे अहसास होता है कि उस समय हम टेक्नोलॉजी का इतना उपयोग नहीं कर पाए. 10 साल की उम्र तक मुझे टेलिफोन नहीं मिला. अमेरिका आने तक मुझे नियमित रूप से कंप्यूटर पर काम करने का मौका नहीं मिला. वहीं टीवी पर हमें सिर्फ एक ही चैनल देखने को मिलता था.

वहीं अपने परिवार की आर्थिक तंगी के दिनों को याद करते हुए सुंदर पिचाई ने कहा कि, अमेरिका आने के लिए मुझे अपने पिता की एक साल की सैलरी खर्च करनी पड़ी तब जाकर मैं स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी पहुंच सका. इस वक्त मैं पहली बार प्लेन में बैठा था..अमेरिका बहुत महंगा था. भारत में घर पर फोन लगाने के लिए 1 मिनट का 2 अमेरिकी डॉलर से ज्यादा देना पड़ता था. छात्रों को संदेश देते हुए उन्होंने कहा कि, खुले विचारों के साथ जियें, धैर्य रखें और आशावादी रहें.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *