फिनलैंड की प्रधानमंत्री के ऐलान से घबराया रूस, दी हमले की धमकी, जानें क्यों डरे हैं पुतिन
हाइलाइट्स
- यूक्रेन पर बमों की बारिश कर रहे रूस ने अब फिनलैंड को सैन्य कार्रवाई की धमकी दी है
- रूस ने कहा है कि अगर फिनलैंड ने नाटो जॉइन किया तो विनाशाक परिणाम भुगतने होंगे
- हम फिनलैंड के गुट निरपेक्ष रहने की प्रतिबद्धता को सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण फैक्टर मानते हैं
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मास्को
यूक्रेन पर बमों की बारिश कर रहे रूस ने अब यूरोप के छोटे से देश फिनलैंड को सैन्य कार्रवाई की धमकी दी है। रूस ने कहा है कि अगर फिनलैंड ने नाटो जॉइन किया तो विनाशाक परिणाम भुगतने होंगे। इसमें सैन्य के साथ- साथ राजनीतिक कार्रवाई शामिल है। रूस के विदेश मंत्रालय ने कहा कि हम फिनलैंड के गुट निरपेक्ष रहने की प्रतिबद्धता को उत्तरी यूरोप की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण फैक्टर मानते हैं। इससे पहले फिनलैंड की प्रधानमंत्री ने धमकी दी थी कि अगर उनके राष्ट्रीय हितों पर संकट आया तो वह नाटो की सदस्यता के लिए अप्लाई करेंगी।
फिनलैंड की प्रधानमंत्री साना मारिन ने देश की संसद में कहा, ‘अगर राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा बढ़ा तो फिनलैंड नाटो की सदस्यता को अप्लाइ करने के लिए तैयार है।’ रूस की यूक्रेन पर कार्रवाई ने एक बार फिर से यह डिबेट शुरू हो गई है कि क्या फिनलैंड को नाटो में शामिल होना चाहिए या नहीं। वह भी तब जब रूस यूरोप में नाटो के विस्तार का कड़ा विरोध कर रहा है। इससे पहले फिनलैंड के राष्ट्रपति और पीएम ने कहा था कि किसी भी समय उनके पास नाटो की सदस्यता लेने का विकल्प मौजूद है।
फिनलैंड की प्रधानमंत्री के ऐलान से रूस भड़का
प्रधानमंत्री मारिन ने अपने एक अलग भाषण में कहा कि प्रत्येक देश को अपनी सुरक्षा नीति पर फैसला करने का अधिकार है। उन्होंने कहा, ‘हमने दिखा दिया है कि हमने भूतकाल से सीखा है। हम अपने देश में युद्ध नहीं होने देंगे।’ फिनलैंड की प्रधानमंत्री के इस ऐलान से रूस भड़का हुआ है। दरअसल, फिनलैंड का नाटो में शामिल होना रूस के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है। फिनलैंड की भौगोलिक स्थिति रूस को हमेशा से डराती रहती है। जिस नाटो से निपटने के लिए रूस यूक्रेन में बम बरसा रहा है। वही नाटो यूक्रेन के जरिए नहीं तो फिनलैंड के जरिए रूस की सीमा तक पहुंच सकता है।
यही नहीं अगर रूस फिनलैंड को निशाना बनाता है, नाटो देश उसकी मदद के लिए आ जाएंगे। उधर, रूस के फिनलैंड के खिलाफ बढ़ते खतरे को देखते हुए ही फिनलैंड को अब यह डर सता रहा है कि उसे अपनी तैयारी को मजबूत करना होगा। रूस फिनलैंड की ऊर्जा नीति को भी प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है। एक रिपोर्ट में सलाह दी गई है कि फिनलैंड को रूस में बड़े रणनीतिक निवेश से बचना चाहिए। साथ ही रूस के साथ संबंध रखते हुए भी यूरोपीय देशों को इसकी सूचना देते रहना चाहिए।