सीएम स्टालिन से विवाद, राज्यपाल ने तमतमाकर बीच में ही छोड़ा सदन… तमिलनाडु विधानसभा में हुआ ऐतिहासिक तमाशा
हाइलाइट्स
- तमिलनाडु में सरकार और राज्यपाल के बीच चल रहा तनाव
- राज्यपाल ने लिखे अभिभाषण से इतर दिया भाषण
- स्टालिन ने कहा सिर्फ लिखा ही सदन की कार्यवाही में होगा शामिल
- सदन में राष्ट्रगान होने से पहले ही तमतमाकर निकले राज्यपाल
विधानसभा ने मुख्यमंत्री के एक प्रस्ताव को पारित किया। यह प्रस्ताव था कि विधानसभा केवल सरकार के तैयार किए गए राज्यपाल के अभिभाषण को ही रिकॉर्ड करेगी, न कि राज्यपाल ने क्या कहा था। कहा गया कि ऐसे ही परंपरा है। AIADMK और BJP को छोड़कर, DMK, इसके सहयोगी कांग्रेस, VCK, MDMK, वाम दलों, MMK और TVK ने प्रस्ताव का समर्थन किया। प्रस्ताव पारित होने के समय पीएमके सदस्य मौजूद थे।
सदन में क्या बोले सीएम
राज्यपाल ने लगभग 50 मिनट तक विधानसभा को संबोधित किया और बाद में स्पीकर ने उनके भाषण को तमिल में पढ़ा। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने पहले ही मसौदा अभिभाषण राज्यपाल को भेज दिया था और इसे उन्होंने अनुमोदित किया था। बाद में इसे प्रिंट किया गया। सभी सदस्यों को उनके टैब पर वितरित किया गया, और हार्ड कॉपी उन सदस्यों को दी गई जिन्हें इसकी आवश्यकता थी।
राज्यपाल का सम्मान लेकिन…
स्टालिन ने आरोप लगाया कि राज्यपाल का यह काम सरकार के द्रविड़ मॉडल सिद्धांतों के खिलाफ थे और यह अस्वीकार्य है। सीएम ने कहा, ‘हमने विधानसभा के नियमों का पालन किया और राज्यपाल के भाषण शुरू होने से पहले अपनी कोई आपत्ति दर्ज नहीं की, क्योंकि हम सरकार में हैं।’ उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ दल उस राज्यपाल का सम्मान करती है जो संवैधानिक मानदंडों के अनुसार भाषण देता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्यपाल ने न केवल द्रमुक के सिद्धांतों बल्कि सरकार के खिलाफ भी काम किया है। स्टालिन ने कहा, ‘उन्होंने सरकार के तैयार किए गए और उनके अनुमोदित पाठ को पूरी तरह से और उचित तरीके से नहीं पढ़ा, जो न केवल खेदजनक था, बल्कि विधायी परंपराओं का भी उल्लंघन था।’
स्टालिन ने प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि विधानसभा को नियम 17 में ढील देनी चाहिए और संकल्प करना चाहिए कि केवल प्रिंट पाठ और विधानसभा अध्यक्ष का पढ़ा गया इसका तमिल संस्करण ही विधानसभा में रिकॉर्ड किया जाए।
सदन में जमकर हंगामा
इससे पहले जब राज्यपाल ने विधानसभा में अपना पारंपरिक संबोधन शुरू किया तो काफी ड्रामा हुआ। DMK सहयोगी दलों के सदस्यों ने सदन के वेल में जाने से पहले विरोध में वॉकआउट किया और विधेयकों पर सहमति में देरी करने और ‘सनातन धर्म’ और तमिलनाडु पर विवादास्पद टिप्पणी करने के लिए राज्यपाल के खिलाफ विरोध किया और बाहर चले गए। पीएमके सदस्यों ने ऑनलाइन गैंबलिंग बिल को जल्द मंजूरी दिलाने के लिए नारेबाजी की और वाकआउट कर दिया।