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सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज ने दिल्ली CM को पूजा स्थलों को खोलने के लिए कहा

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हाइलाइट्स

  • दिल्ली में धार्मिक स्थलों पर पूजा शुरू करने के लिए जस्टिस कुरियन जोसेफ ने केजरीवाल को लिखा पत्र
  • जस्टिस जोसेफ ने कहा- धार्मिक अधिकारों पर प्रतिबंध जारी रखना असंवैधानिक होगा
  • धार्मिक आस्था को लेकर एक बार पीएम मोदी को भी पत्र लिख चुके हैं जस्टिस जोसेफ

नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस कुरियन जोसेफ ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर धार्मिक स्थलों पर सेवाओं और पूजा को फिर से शुरू करने की अनुमति देने का अनुरोध किया। जस्टिस कुरियन जोसेफ ने अपने पत्र में कहा कि जब सरकार ने रेस्तरां, बार और थिएटर को फिर से खोलने की अनुमति दे दी है तो फिर धार्मिक अधिकारों पर प्रतिबंध जारी रखना असंवैधानिक होगा।

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बार, रेस्तरां, थिएटर जैसी गतिविधियों को अनुमति मिली
महामारी पर काबू पाने के लिए दिल्ली सरकार की प्रशंसा करते हुए जस्टिस जोसेफ ने कहा कि दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने 31अगस्त 2021 से रेस्तरां, बार, थिएटर और ऑडिटोरियम जैसी कई गतिविधियों का संचालन 50% बैठने की क्षमता के साथ फिर से शुरू करने की अनुमति दी है। साप्ताहिक बाजारों और स्पा की भी अनुमति है। अंतिम संस्कार और शादी जैसी गतिविधियों में शामिल होने वाले लोगों की संख्या को बढ़ाकर 100 कर दिया गया है।

…लेकिन धार्मिक स्थलों पर प्रतिबंध पूर्ववत जारी हैं
जस्टिस जोसेफ ने अपने पत्र में कहा- ‘ये सकारात्मक चिह्न हैं जो समाज के सामान्य स्थिति में वापस आने का संकेत देते हैं। हालांकि आदेश में वह प्रतिबंध अभी भी जारी है जिसमें कहा गया कि धार्मिक स्थलों को खोलने की अनुमति दी जाएगी, लेकिन किसी भी आगंतुक को अनुमति नहीं दी जाएगी। अगर आप याद करें तो दूसरी लहर आने से पहले प्रतिबंधों में ढील दी जा चुकी थी और सार्वजनिक पूजा स्थलों में प्रतिबंधित संख्या और अन्य कोविड -19 प्रोटोकॉल का सम्मान करते हुए सेवाएं फिर से शुरू हो गई थीं। प्रतिबंध केवल महामारी की दूसरी लहर के कारण फिर से लगाए गए थे, जो अब काफी हद तक कम हो गए हैं।’

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धार्मिक आस्था को लेकर एक बार पीएम मोदी को भी लिख चुके हैं पत्र
आपको बता दें कि इससे पहले जस्टिस कुरियन जोसेफ साल 2015 में तब विवादों में आ गए थे जब उन्होंने पीएम मोदी को पत्र लिखकर उनके डिनर और जजों की कॉन्फ्रेंस में शामिल होने में असमर्थता जताई थी। पीएम को लिखे पत्र में जस्टिस जोसेफ ने कहा था- ‘उनकी आस्था उन्हें ऐसा करने (सम्मेलन में शामिल होने) की इजाजत नहीं देती है। पीएम को लिखी चिट्ठी में उन्होंने कहा कि किसी भी पर्व के दिन कोई महत्वपूर्ण आयोजन नहीं होना चाहिए।’

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