दिल्ली : किडनी रैकेट का खुलासा, दो डॉक्टरों समेत 10 गिरफ्तार
दिल्ली : साउथ दिल्ली की हौज खास थाना पुलिस ने आखिरकार दिल्ली से ऑपरेट किए जा रहे एक बड़े किडनी रैकेट का भंडाफोड़ कर दिया। मामले में अब तक 10 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। इनमें दो डॉक्टर शामिल हैं। इनमें से एक डॉक्टर दिल्ली के एक बड़े प्राइवेट अस्पताल में प्रैक्टिस भी कर रहा है। जबकि दूसरे की अभी एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी नहीं हुई है। इन सभी आरोपियों को दिल्ली, हरियाणा और उत्तराखंड तीन राज्यों से पकड़ा गया है। मामले में अभी और भी आरोपियों को गिरफ्तार किया जाना बाकी है। इस मामले का सबसे पहले 29 और 30 मई को एनबीटी ने खबर छापकर खुलासा किया था।
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साउथ दिल्ली पुलिस ने बताया कि इस रैकेट को हौज खास थाने की एसएचओ शिवानी, इंस्पेक्टर रोहित और इंस्पेक्टर भरत की टीम ने खुलासा किया। मामले में सबसे पहले 25-26 मई को हौज खास थाना पुलिस को इस मामले में जानकारी मिली थी। जिस पर बड़े ही गुपचुप तरीके से काम करते हुए पुलिस ने सबसे पहले तीन लोगों को गिरफ्तार किया। इनमें से एक शख्स एम्स के पास उन लोगों के ब्लड और अन्य टेस्ट कराता था। जिनकी किडनी निकाली जानी होती थी। शिकार में फंसाए लोगों की सोनीपत के गोहाना में ले जाकर किडनी निकाली जाती थी। जहां आरोपियों ने ऑपरेशन थियेटर बना रखा था।
पुलिस ने सोनीपत जाकर इस ओटी का भंडाफोड़ किया। यहां से एक डॉक्टर को गिरफ्तार किया गया। साथ ही चार लोगों को बचाया भी गया। जिनकी किडनी निकालने के लिए यहां लाया जा चुका था। किडनी निकालने के लिए रैकेट शिकार में फंसाए गरीब लोगों को दो से तीन लाख रुपये प्रति किडनी देता था। फिर निकाली गई किडनी को 20-30 लाख और इससे भी अधिक कीमत पर जरूरत लोगों को बेचते थे।
इस मामले में अभी और भी राज्यों के नाम सामने आ रहे हैं। जिन लोगों की किडनी निकाली गई। वह नॉर्थ-ईस्ट राज्यों, साउथ इंडिया, गुजरात और महाराष्ट्र राज्यों से संबंध रखते हैं। पुलिस को ऐसे पीड़ित भी मिल गए हैं। जिनकी किडनी निकाली जानी थी या निकाल ली गई थी।
हमने किडनी रैकेट गैंग का भंडाफोड़ किया है। हमें 26 तारीख को हौज़ खास इलाके में गैर कानूनी तरीके से काम चलने की खबर मिली थी। वहां पर 2 लैब में जांच की जाती थी और गरीब लोगों का गैर कानूनी तरीके से जांच करवाया जाता है: बेनिता मैरी जयकर, DCP, साउथ दिल्ली pic.twitter.com/V7emSoAhCc
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 1, 2022
सूत्रों का कहना है कि इस मामले में हौज खास थाना पुलिस को सबसे पहले 25-26 मई को एक इनपुट मिला था। जिसमें एम्स के पास कोई किडनी रैकेट चलने की बात बताई गई थी। पुलिस ने मिले इस इनपुट पर काम करते हुए अगले दिन ही एक शख्स को पकड़ लिया। उसके बाद दो और आरोपी धर लिए गए। इनके पास से बरामद लैपटॉप और मोबाइल फोन से किडनी रैकेट में आगे की जानकारी पुलिस को हाथ लगी। जिसमें कुछ लोगों के नंबर मिलने समेत सोनीपत में बनाई गई ओटी के बारे में भी जानकारी मिली। पुलिस ने सोनीपत में छापा मारा।
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पुलिस सूत्रों ने बताया कि यह रैकेट फेसबुक और इंस्टाग्राम पर भी फर्जी नाम से अकाउंट बनाकर किडनी बेचे जाने का गोरखधंधा चला रहा था। पुलिस सूत्रों का कहना है कि मामले में जल्द ही कुछ और बड़े नाम सामने आ सकते हैं।
साउथ दिल्ली की डीसीपी बेनिता मेरी जयकर ने बताया कि गिरफ्तार किए गए आरोपियों में कुलदीप रे विश्वकर्मा उर्फ केडी (46), सर्वजीत जैलवाल (37), शैलेश पटेल (23), मोहम्मद लतीफ (24), बिकास उर्फ विकास (24), रंजीत गुप्ता (43), डॉक्टर सोनू रोहिल्ला (37), डॉक्टर सौरभ मित्तल (37), ओम प्रकाश शर्मा (48) और मनोज तिवारी (36) शामिल हैं। इनमें कुलदीप रे उर्फ केडी किडनी रैकेट का मास्टरमाइंड बताया गया है, जबकि सर्वजीत और शैलेश शिकार को ढूंढकर लाते थे। मोहम्मद लतीफ हौज खास की उस टेस्टिंग लैब में फील्ड बॉय के तौर पर काम करता है।
बिकास उर्फ विकास रंजीत के माध्यम से गोहाना, सोनीपत के लिए ट्रांसपोर्ट और रहने का इंतजाम कराता था। रंजीत गुप्ता पश्चिम विहार में उन लोगों को रखता था, जिन्हें किडनी निकालने के लिए सोनीपत ऑपरेशन थियेटर में ले जाना होता था और जिनकी किडनी ट्रांसप्लांट कर दी जाती थी। सोनू रोहिल्ला गोहाना में उस सेटअप का मालिक है, जहां किडनी निकाली और ट्रांसप्लांट की जाती थी।
डॉक्टर सौरभ मित्तल दिल्ली के एक बड़े प्राइवेट हॉस्पिटल में प्रैक्टिस करता है। इसका काम अवैध रूप से अन्य डॉक्टरों की मदद से किडनी निकालना और ट्रांसप्लांट करना था। कुलदीप रे इस रैकेट का मास्टरमाइंड होने के साथ ही ओटी टेक्निशियन भी था। ओम प्रकाश और मनोज तिवारी किडनी ट्रांसप्लांट में अपनी भूमिका निभाते थे। पुलिस ने गुजरात, गुवाहाटी, पश्चिम बंगाल और केरल के चार उन पीड़ितों को भी रेस्क्यू कराया है, जिनकी किडनी निकाली गई थी। इनकी उम्र 21 से 32 साल के बीच की है। पुलिस ने बताया कि किडनी निकालने के लिए 20 से 30 साल की उम्र वाले गरीब लोगों को चुना जाता था।