Greg Chappell: दाने-दाने को मोहताज हुए ग्रेग चैपल, भयंकर गरीबी झेल रहे टीम इंडिया के पूर्व कोच
नई दिल्ली: महान ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज और टीम इंडिया के पूर्व कोच ग्रेग चैपल के तारे गर्दिश में चल रहे हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, ग्रेग चैपल वित्तीय संघर्ष से गुजर रहे हैं। ऐसे में उनके दोस्त ऑनलाइन फंड रेज कर रहे हैं, जिससे पैसे इकट्ठे कर चैपल की मदद की जा सके। ऑस्ट्रेलिया के 75 वर्षीय पूर्व कप्तान और 2005-2007 तक भारतीय टीम के हेड कोच रहे चैपल की माने तो जितना शानदार उनका क्रिकेट करियर था, फिलहाल वह उतनी आलीशान जिंदगी नहीं जी रहे हैं।
मैं गरीब नहीं हूं
ऑस्ट्रेलिया के चैनल न्यूज कॉर्प से बात करते हुए चैपल ने बताया, ‘मैं निश्चित रूप से यह नहीं कहना चाहता कि ऐसा लगे कि हम बेहद तनाव में हैं, क्योंकि हम नहीं हैं, लेकिन हम विलासिता में भी नहीं रह रहे हैं। मुझे लगता है कि ज्यादातर लोग यह मानते हैं क्योंकि हमने क्रिकेट खेला है तो आज आलीशान जिंदगी जी रहे होंगे। हालांकि मैं निश्चित रूप से गरीबी का रोना भी नहीं रो रहा हूं, बात सिर्फ इतनी सी है कि हम वो फायदा नहीं उठा रहे हैं जो आज के खिलाड़ियों को मिल रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, काफी मनाने के बाद ग्रेग चैपल बेमन से अपने लिए एक GoFundMe पेज बनाने के लिए सहमत हुए।
क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया से नहीं मिली मदद
तेज गेंदबाज डेनिस लिली, विकेटकीपर रॉड मार्श और ग्रैग चैपल उस प्रतिष्ठित तिकड़ी का हिस्सा थे, जो 1970 के दशक के अंत में केरी पैकर की विश्व सीरीज क्रिकेट में शामिल हो गए थे। लेकिन लिली और मार्श के विपरीत, चैपल को अपने करियर के अंत में क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद स्थापित होने में मदद करने वाला प्रशंसापत्र नहीं मिला।
असफल और विवादित भारतीय कोच
ग्रैग चैपल का भारतीय क्रिकेट टीम के साथ बतौर कोच कड़वा अनुभव रहा। सचिन तेंदुलकर और सौरव गांगुली जैसे दिग्गज भारतीय भारतीय खिलाड़ियों के उनके संबंध मधुर नहीं रहे। 2007 के वर्ल्ड कप में टीम का इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ा। 2003 की फाइनलिस्ट टीम इस बार ग्रुप स्टेज में ही बाहर हो चुकी थी। सचिन तेंदुलकर ने ग्रेग चैपल को अहंकारी कोच बताया था, जिसका बुरा असर भारतीय क्रिकेट पर पड़ा।
शानदार क्रिकेट रिकॉर्ड
क्रिकेट करियर की बात करें तो ग्रैग चैपल ने 1970 और 80 के दशक के दौरान 87 टेस्ट मैच में 24 शतक बनाए और 48 मुकाबलों में ऑस्ट्रेलिया का नेतृत्व किया। उन्होंने जनवरी 1984 में टेस्ट से संन्यास ले लिया और ऑस्ट्रेलियाई टेस्ट इतिहास में सबसे ज्यादा रन (7110) बनाने वाले खिलाड़ी बने, उन्होंने सर डोनाल्ड ब्रैडमैन के 6996 रन के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ा था।