हमास से इस बार पूरी तरह निपटने के मूड में इजरायल, बोला- मरहम पट्टी नहीं
हाइलाइट्स:
- फलस्तीन और इजरायल के बीच जारी भीषण संघर्ष खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है
- इजरायल ने कहा है कि वह बीमारी से मुक्ति चाहता है, केवल मरहम पट्टी नहीं
- अमेरिका में इजरायली राजदूत ने कहा कि यह युद्ध इजरायल और हमास के बीच है
तेल अवीव
हमास के जल्द संघर्ष विराम के दावे के बाद भी फलस्तीन और इजरायल के बीच जारी भीषण संघर्ष खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की शांति अपील को धता बताते हुए इजरायल ने कहा है कि वह बीमारी से मुक्ति चाहता है, केवल मरहम पट्टी नहीं। अमेरिका में इजरायली राजदूत गिलैड अर्दान ने कहा कि ‘यह युद्ध इजरायल और फलस्तीन के बीच नहीं है बल्कि इजरायल और आतंकी संगठन हमास के बीच है।’
अमेरिका के सीबीएस न्यूज के साथ बातचीत में गिलैड अर्दान ने कहा कि हम इस संघर्ष को नहीं चाहते थे। हमने संघर्ष को रोकने के लिए हर संभव प्रयास किया लेकिन हमास हिंसा को भड़काने के लिए प्रतिबद्ध था। अब हम सीजफायर की संभावना के बीच इस आतंकी मशीन को बर्बाद कर रहे हैं। हम इस समस्या का इलाज तलाश कर रहे हैं, न कि केवल मरहम पट्टी।’
‘अगले 24 घंटे में इजरायल के साथ सीजफायर का ऐलान’
इस बीच हमास के नेताओं ने दावा किया है कि अगले 24 घंटे में इजरायल के साथ सीजफायर का ऐलान हो सकता है। वर्ष 2014 के बाद हुए इस सबसे भीषण संघर्ष में अब तक गाजा पट्टी में कम से कम 227 लोग और इजरायल में 12 लोग मारे गए हैं। हमास ने इजरायल पर जहां करीब 4 हजार रॉकेट दागे हैं, वहीं इजरायल की सेना ने भी सैकड़ों हवाई और जमीनी हमले किए हैं।
हमास के नेताओं ने अमेरिकी टीवी चैनल सीएनएन से बातचीत में कहा कि अगले 24 घंटे में इजरायल और हमास के बीच सीजफायर का ऐलान हो सकता है। हालांकि अभी तक इस बारे में इजरायल की ओर से कोई बयान नहीं आया है। एक दिन पहले ही हमास के राजनीतिक ब्यूरो के नेता मूस अबू मारजोक ने कहा था कि उन्हें अपेक्षा है कि अगले एक या दो दिन में सीजफायर का ऐलान हो सकता है।
Ninja Missile ‘Hellfire’: गाजा में हमास पर ‘निंजा मिसाइल’ बरसा रहा इजरायल? विस्फोटक नहीं, फिर भी बेहद घातकइस मिसाइल पर 2011 से काम किया जा रहा था। इसका पहला इस्तेमाल 2017 में अलकायदा के डेप्युटी लीडर अब खैर अल-मस्री को सीरिया में मारने के लिए किया गया था। इसे लीबिया, इराक, यमन, सोमालिया और 2019 में अफगानिस्तान में इस्तेमाल किया जा चुका है। इसे Flying Ginsu भी कहते हैं। इसका निशाना इतना सटीक है कि गाड़ी में बैठे एक शख्स को मार सकता है और दूसरों को नुकसान नहीं पहुंचेगा। कहा जाता है कि ओबामा ओसामा बिन लादेन को 2011 में इसी से मारना चाहते थे लेकिन फिर नेवी की SEAL टीम को भेजने का फैसला किया।R9X मिसाइल Hellfire रॉकेट का वेरियंट हैं जिनमें विस्फोटक की जगह 6 घातक ब्लेड होते हैं। ये आमतौर पर किसी एक विशेष इंसान को टार्गेट करते हैं और विस्फोट की जगह ब्लेड से काटते हैं। अमेरिका इनका इस्तेमाल लीबिया, सीरिया और इराक में कर चुका है। इजरायल और अमेरिका के संबंधों को देखते हुए यह चर्चा तेज है कि क्या इजरायल ने खुद ऐसा हथियार बना लिया है। निंजा मिसाइल हमले में कार जैसी गाड़ियों को ज्यादा नुकसान नहीं होता है। बस एक बड़ा छेद हो जाता है। इससे हमला करने पर विस्फोट जैसे निशान नहीं मिलते हैं।बराक ओबामा के कार्यकाल में Hellfire का मॉडिफाइड वर्जन R9X बनाया गया था। मध्यपूर्व में ड्रोन हमलों में नागरिकों की मौत के चलते यह फैसला किया गया था। आतंकी महिलाओं और बच्चों के बीच में छिप जाया करते थे क्योंकि इससे उन्हें निशाना बनने का डर कम हो जाता था। इस हथियार में Hellfire मिसाइल का लेजर टार्गेटिंग सिस्टम होता है लेकिन विस्फोटक की जगह 45 किलो का मेटल होता है। इसमें 6 ब्लेड होते हैं जो टार्गेट को हिट करने से पहले खुलते हैं। इनकी वजह से किसी विशेष टार्गेट को निशाना बनाया जा सकता है। (फोटो: CPT BRIAN HARRIS, U.S. ARMY)
जो बाइडेन की सीजफायर की अपील को नहीं मान रहे नेतन्याहू
इस बीच अमेरिका ने बुधवार को कहा कि वह संयुक्त राष्ट्र के सीजफायर कराने के प्रस्ताव का विरोध करता है। अमेरिका ने यह भी कहा कि बाइडेन प्रशासन के प्रयासों से इस संकट को खत्म किया जा सकता है। अमेरिका ने इजरायल और फलस्तीन के बीच हिंसा को बंद करने के लिए संयुक्त राष्ट्र में लाए गए प्रस्ताव को 4 बार ब्लॉक कर दिया। इसके बाद फ्रांस ने प्रस्ताव को तैयार किया है।
इजरायल और फलस्तीनियों के बीच जंग का मैदान बना पूर्वी यरुशलम, जानें क्यों चर्चा में शेख जर्राहखबरों के मुताबिक इजरायली राष्ट्रवादियों के विवादित इलाके में इजरायल का दावा पेश करने के लिए ओल्ड सिटी से परेड निकालने से एक दिन पहले यह झड़प हुई है। देर रात शुरू हुई इस झड़प के बाद सोमवार को वार्षिक ‘यरुशलम दिवस’ समारोह में और हिंसा होने की आशंका बढ़ गई है। इज़राइल की पुलिस ने कई दिनों से इज़राइल और फलस्तीन के बीच जारी तनाव के बावजूद रविवार को परेड निकालने की अनुमति दे दी थी। ‘यरुशलम दिवस’ से पहले मंत्रिमंडल की एक विशेष बैठक को संबोधित करते हुए रविवार को प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा, ‘किसी भी चरमपंथी ताकत को यरुशलम में शांति को प्रभावित नहीं करने देंगे। हम निर्णायक रूप से तथा जिम्मेदारी से कानून एवं व्यवस्था लागू करेंगे।’ इजरायली पीएम ने कहा, ‘हम सभी धर्मों के लोगों की पूजा-अर्चना करने की स्वतंत्रता जारी रखेंगे, लेकिन हिंसक गतिविधियों को अंजाम नहीं देने देंगे।’अमेरिका ने यरुशलम में मौजूदा परिस्थितियों को लेकर ‘गंभीर चिंता’ व्यक्त की है। अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन ने इज़राइल के अपने समकक्ष से फोन पर बात करते हुए चिंता व्यक्त की। अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की प्रवक्ता इमली हॉर्न की ओर से जारी बयान के अनुसार, सुलिवन ने इज़राइल से ‘यरुशलम दिवस के स्मरणोत्सव के दौरान शांति बनाकर रखने की अपील की है।’ ‘यरुशलम दिवस’ इजरायल के वर्ष 1967 में पूर्वी यरुशलम पर कब्जा करने का जश्न मनाने के लिए मनाया जाता है। पूर्वी यरुशलम में हाल के हफ्तों में तनाव बढ़ गया है। इज़राइल और फलस्तीन दोनों पूर्वी यरुशलम पर अपना दावा पेश करते हैं। फलस्तीन श्रद्धालुओं की शुक्रवार देर रात भी अल-अक्सा मस्जिद परिसर में इज़राइली पुलिस के साथ झड़प हो गई थी। बताया जा रहा है कि फलस्तीनियों के उग्र होने के पीछे इजरायली कोर्ट का फैसला जिम्मेदार है।इजरायल की सेंट्रल कोर्ट ने पूर्वी यरूशलम में रह रहे 4 फलस्तीनी परिवारों को शेख जर्राह इलाके से निकालने का आदेश दिया। कोर्ट ने इन सभी जगहों पर दक्षिणपंथी इजरायली लोगों को बसाने का आदेश दिया। इजरायल के सुप्रीम कोर्ट को इस मुद्दे पर गुरुवार को फैसला देना था लेकिन अब जोरदार झड़प के बाद इस फैसले को 10 मई तक के लिए टाल दिया गया है। अगर सुप्रीम कोर्ट ने इजरायली लोगों के पक्ष में फैसला दिया तो फलस्तीनी लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ेगा। इस तनाव के बीच पुराने शहर इजरायली पुलिस ने बैरियर लगा दिया ताकि रोजा तोड़ने के लिए फलस्तीनी वहां पर जमा न हों। फलस्तीनी लोगों ने इसे अपने जमा होने के अधिकार का उल्लंघन माना। वहीं पुलिस ने कहा कि वे कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए इकट्ठा हुए हैं।यहूदियों और मुसलमानों दोनों के लिए शेख जर्राह इलाका धार्मिक लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है। इसी वजह से जब यहूदी इस इलाके में जाते हैं तो उनका वहां पर रह रहे मुसलमानों के साथ तनाव बढ़ जाता है। बताया जाता है कि शेख जर्राह का इतिहास 12वीं सदी में हुसाम अल दिन अल जर्राही के साथ शुरू होता है। हुसाम उस समय के ताकतवर इस्लामिक जनरल सलादिन का निजी चिकित्सक था। सलादिन की सेना ने यरुशलम को छीन लिया था। अरबी में जर्राह का मतलब सर्जन होता है और शेख एक टाइटल है जो धार्मिक और सामुदायिक नेताओं को दिया जाता है। बाद में इसी इलाके में जर्राही का मकबरा बनाया गया। शेख जर्राह इलाका यरुशलम के उत्तरी इलाके में स्थित है जो ओल्ड सिटी की दीवार से बाहर है। इसी के पास में हिब्रू यूनिवर्सिटी स्थित है।
इजरायल और फलस्तीन के बीच बीते 11 दिन से चल रही भीषण लड़ाई के मद्देनजनर ‘तनाव में महत्वपूर्ण कमी’ लाने की अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन की अपील के बावजूद इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने गाजा पट्टी पर सैन्य अभियान जारी रखने का बुधवार को संकल्प लिया। माना जा रहा है कि नेतन्याहू के इस बयान से संघर्ष विराम पर पहुंचने के अंतरराष्ट्रीय प्रयास जटिल हो सकते हैं।