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दूर होगी किसानों की नाराजगी? गेहूं और सरसों समेत 6 फसलों की MSP बढ़ी

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हाइलाइट्स

  • एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) वह दर है जिस पर सरकार किसानों से अनाज खरीदती है।
  • मौजूदा समय में, सरकार खरीफ और रबी दोनों मौसमों में उगाई जाने वाली 23 फसलों के लिए एमएसपी तय करती है।
  • खरीफ (गर्मी) फसलों की कटाई के तुरंत बाद अक्टूबर से रबी (सर्दियों) फसलों की बुवाई शुरू हो जाती है। गेहूं और सरसों रबी की प्रमुख फसलें हैं।

नई दिल्ली
एक ओर किसान तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में अभी भी आंदोलन कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सरकार रोज नई-नई घोषणाओं से उन्हें यह भरोसा दिला रही है कि किसानों के हितों के साथ समझौता नहीं होगा। सरकार की ओर से ताजा कदम यह उठाया गया है कि केंद्र सरकार ने मार्केटिंग सीजन 2022-23 के लिए रबी फसलों के लिए एमएसपी (Minimum Support Price) को मंजूरी दे दी है। पिछले सीजन के एमएसपी के मुकाबले इसमें इजाफा किया गया है।

यह फैसला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने लिया। कृषि मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि सरकार ने आरएमएस 2022-23 के लिए रबी फसलों की एमएसपी में इजाफा कर दिया है, ताकि किसानों को उनके उत्पादों की लाभकारी कीमत मिल सके। मसूर की दाल व कैनोला (रेपसीड) और सरसों, प्रत्येक के एमएसपी में 400 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई है। चने के एमएसपी में 130 रुपये प्रति क्विंटल और कुसुम के फूल के एमएसपी में 114 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई है। भारत सरकार ने गेहूं के एमएसपी में 40 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की है। अब गेहूं का एमएसपी 2,015 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है। विभिन्न रबी फसलों के मामले में मार्केटिंग सीजन 2022-23 के लिए नया एमएसपी इस तरह है-

MSP

क्या है एमएसपी
एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) वह दर है जिस पर सरकार किसानों से अनाज खरीदती है। मौजूदा समय में, सरकार खरीफ और रबी दोनों मौसमों में उगाई जाने वाली 23 फसलों के लिए एमएसपी तय करती है। खरीफ (गर्मी) फसलों की कटाई के तुरंत बाद अक्टूबर से रबी (सर्दियों) फसलों की बुवाई शुरू हो जाती है। गेहूं और सरसों रबी की प्रमुख फसलें हैं।

नहीं थम रहा है किसान आंदोलन
तीन नए कृषि कानूनों को लेकर किसान अपनी मांगों से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। पिछले कई महीनों से पंजाब के हजारों किसान दिल्ली सीमा पर डटे हुए हैं और आंदोलनरत हैं। संयुक्त किसान मोर्चा के नेता राकेश टिकैत इन दिनों सरकार के खिलाफ काफी मुखर हैं और सरकार पर लगातार निशाना साध रहे हैं। हाल ही में उन्होंने मुजफ्फरनगर में किसान महापंचायत (Kisan Mahapanchayat in Muzaffarnagar) में हिस्सा लिया था। राकेश टिकैत ने कहा है कि जबतक कृषि कानूनों की वापसी नहीं होगी तबतक प्रदर्शन चलता रहेगा। किसानों और सरकार के बीच कृषि कानूनों पर हर दौर की बातचीत विफल ही रही है।

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