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Sukhvinder Singh Sukhu: अब ड्राइवर का बेटा चलाएगा हिमाचल प्रदेश की गाड़ी, पार्षद से CM पद तक का सफर नहीं था आसान

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19 साल पहले पहली बार MLA बने

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सुक्खू को अगर सियासत में उतरने के ढाई दशक से भी कम समय में अगर प्रदेश अध्यक्ष की कमान मिल गई तो इसके पीछे वजह उनकी काडर में लोकप्रियता और मैनेजमेंट समय प्रबंधन के कौशल को दिया जा सकता है। साल 2003 में वह पहली बार विधायक बने। उसके बाद उन्होंने 2007 और 2017 में नादौन का असेंबली में प्रतिनिधित्व किया। हालिया चुनाव वह चौथी बार विधायक चुने गए हैं।

​पार्षद से सीएम पद तक का सफर

सुक्खू का जन्म 26 मार्च 1964 को हुआ था। लॉ की ड्रिग्री हासिल करने वाले सुक्खू ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत छात्र राजनीति से तब की, जब वह गर्वमेंट कॉलेज संजौली, शिमला में पढ़ रहे थे। 1989 में वह एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष बने। इसके बाद वह यूथ कांग्रेस से जुड़े और 1998 से लेकर 2008 तक प्रदेश के यूथ कांग्रेस की कमान संभालते रहे। दो बार शिमला नगर निगम में पार्षद भी चुने गए। यूथ कांग्रेस के जमाने में भी वह प्रदेश कांग्रेस कमिटी के सचिव बन चुके थे।

दोनों परिवारों के अलग प्रभाव क्षेत्र

जहां प्रतिभा सिंह परिवार का प्रभाव शिमला और प्रदेश के ऊपरी हिस्सों में है, तो वहीं सुक्खू हमरीपुर के नादौन से तीन बार के विधायक हैं। नादौन हमीरपुर में आता है, जिसके चलते उनका प्रभावक्षेत्र हमीरपुर, ऊना और कांगड़ा में माना जाता है। वह 1980 के दशक के अंत में NSUI राज्य इकाई का नेतृत्व कर चुके हैं। वह 2000 के दशक में राज्य युवा कांग्रेस इकाई के अध्यक्ष भी रहे हैं।

वीरभद्र के समय कभी मंत्री नहीं रहे

राज परिवार से आने वाले दिवंगत वीरभद्र सिंह के सामने कभी भी सुक्खू पार्टी अध्यक्ष रहते हुए भी अपने लिए वह मान-सम्मान हासिल नहीं कर पाए, जो बतौर अध्यक्ष उन्हें मिलना चाहिए था। सुक्खू और वीरभद्र एक-दूसरे के धुर विरोधी माने जाते रहे। पिछले विधानसभा चुनावों में दोनों के बीच कड़वाहट और दूरियां इतनी बढ़ चुकी थीं कि दोनों के बीच संवाद लगभग न के बराबर रह गया था। वीरभद्र के रहते वह कभी मंत्री नहीं बने। जनवरी 2019 में सुक्खू से प्रदेश की कमान ले ली गई। वीरभद्र सिंह के जाने के बाद भी सुक्खू और राज परिवार के रिश्ते कभी भी सहज नहीं हो पाए। दोनों के बीच खींचतान आज भी जारी है।

पेशे से वकील हैं और चार बार विधायक रहे

लंबी उठापठक के बाद सुखविंदर सिंह सुक्खू को हिमापल प्रदेश में सीएम की कुर्सी मिल ही गई। पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के परिवार के साथ लगातार छत्तीस का आंकड़ा रखने वाले सुक्खू ने आखिर अपनी अनदेखी का हिसाब चुकता कर ही लिया। कभी प्रदेश अध्यक्ष रहे सुक्खू प्रदेश कांग्रेस में एक बड़ा चेहरा माने जाते रहे हैं। सुक्खू ने साल 2013 से 2019 तक प्रदेश कांग्रेस की कमान संभाली, जबकि इससे पहले वह प्रदेश में महासचिव भी रहे हैं। उन्हें संगठन का अच्छा अनुभव है। सुखविंदर सिंह सुक्खू के पिता हिमाचल प्रदेश रोडवेज में बस ड्राइवर थे। अब उनके हाथ में हिमाचल प्रदेश का स्टियरिंग है। वह पेशे से वकील हैं और चार बार विधायक रहे हैं।

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