One Rank One Pension : केंद्र सरकार को राहत, सुप्रीम कोर्ट ने वन रैंक वन पेंशन को सही ठहराया, कहा- कोई दोष नहीं
हाइलाइट्स
- केंद्र सरकार ने 2015 में वन रैंक वन पेंशन स्कीम लागू किया था
- सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के फैसले को सही ठहराया है
- शीर्ष अदालत ने कहा है कि पेंशनभोगिया के बकाए का भुगतान 3 महीने के भीतर हो
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बुधवार को कहा कि सशस्त्र बलों में वन रैंक-वन पेंशन (One Rank One Pension) एक नीतिगत फैसला है और इसमें कोई संवैधानिक दोष नहीं है। केंद्र ने 2015 में वन रैंक वन पेंशन डिफेंस सेक्टर में लागू किया था।
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ (DY Chandrachud), जस्टिस सूर्यकांत (Justice Surya Kant) और जस्टिस विक्रम नाथ (Justice Vikram Nath) की पीठ ने कहा कि ओआरओपी का केंद्र का नीतिगत फैसला मनमाना नहीं है और सरकार के नीतिगत मामलों में न्यायालय दखल नहीं देगा।
3 महीने में हो बकाया पेंशन का भुगतान
पीठ ने निर्देश दिया कि ओआरओपी के फिर से निर्धारित करने की कवायद एक जुलाई, 2019 से की जानी चाहिए और पेंशनभोगियों को बकाया भुगतान तीन महीने में होना चाहिए। शीर्ष अदालत ने सेवानिवृत्त सैनिक संघ द्वारा दायर उस याचिका का निपटारा किया, जिसमें भगत सिंह कोश्यारी समिति की सिफारिश पर पांच साल में एक बार आवधिक समीक्षा की वर्तमान नीति के बजाय स्वत: वार्षिक संशोधन के साथ ‘वन रैंक वन पेंशन’ को लागू करने का अनुरोध किया गया था।