स्विट्जरलैंड का अमेरिका को बड़ा झटका, राफेल के लिए फ्रांस से डील पर नजर
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ग्रीस, क्रोएशिया, भारत और मिस्र के साथ डील करने के बाद फ्रांस की ऐरोनॉटिक्स कंपनी Dassault Aviation राफेल फाइटर जेट के लिए स्विट्जरलैंड से डील कर रही है। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स ने यह जानकारी दी है। स्विस एयरफोर्स के लिए एयर 2030 टेंडर 2020 में लॉन्च किया गया था। साल 2025 तक 30 से 40 एयरक्राफ्ट डिलिवर किए जाएंगे।
नए मॉडल के लिए चुनाव इस महीने के आखिर तक फेडरल काउिंसल कर सकती है। राफेल को फिनलैंड में टक्कर मिल रही है जबकि यूक्रेन और इंडोनिशेया में भी कंपनी ने डील की उम्मीद लगाई है। स्विट्जरलैंड में ऑर्डर मिलने से मैकडॉनेल डगल F/A-18C/D हॉर्नेट और Northrop F-5E/F Tiger II की जगह राफेल आ जाएगा। इनका इस्तेमाल अब सेकंडरी टास्क्स के लिए किया जाने लगा है।
राफेल का मुख्य काम एयर पलीसिंग मिशन्स को अंजाम देना होगा। राफेल के अलावा फिलहाल, लॉकहीड मार्टिन F-35, बोईंग F/A-18 सुपर हॉर्नेट और यूरोफाइटर टाइफून भी अभी विकल्प हैं।
एयरफोर्स में जल्द शामिल होंगे 10 और राफेल फाइटर प्लेन, देखें कैसे भारतीय सेना दिखा रही दम
भारतीय वायुसेना में जल्द ही 10 और राफेल फाइटर प्लेन शामिल होने जा रहे हैं। सरकार में वरिष्ठ सोर्सेज के हवाले से खबर है कि तीन राफेल अगले दो से तीन दिन में भारत पहुंच जाएंगे। वहीं, 7-8 फाइटर प्लेन और उनके ट्रेनर वर्जन अगले महीने के दूसरे पखवाड़े में भारत पहुंच सकते हैं। इन 10 विमानों के आने के बाद एयरफोर्स में राफेल फाइटर प्लेन की संख्या बढ़ कर 21 हो जाएगी। ये प्लेन अंबाला के 17 स्क्वाड्रन का हिस्सा हैं।
एलएसी विवाद में चीन को पीछे हटने पर मजबूर करने के बाद भारत इस मोर्चे पर बिल्कुल पीछे हटने के मूड में नहीं है। भारत ने चीन सीमा पर निगरानी के लिए राफेल की तैनाती की हुई है।
भारतीय नौसेना ने आईएनएस शिवालिक के साथ अमेरिकी नेवी के यूएसएस थियोडोर रोजवेल्ट कैरियर स्ट्राइक ग्रुप के साथ पूर्वी हिंद महासागर क्षेत्र में एक पैसेज एक्सरसाइज (PASSEX) में भाग लिया।
मणिपुर की राज्य सरकार की मांग पर, भारतीय वायु सेना उखरुल जिले के सिरोही हिल्स आग बुझाने के लिए बांबी बाल्टी से लैस दो Mi-17V5 हेलीकॉप्टर तैनात करने की प्रक्रिया में है। यह जानकारी शिलॉन्ग से डिफेंस पीआरओ ने दी।
अमेरिका से डील से परहेज?
अमेरिका में 1900 से ज्यादा कंपनियों के साथ लॉकहीड मार्टिन सबसे बड़े कॉन्ट्रैक्टर की भूमिका निभाता है जिससे कई सरकारें हाई-टेक जॉब क्रिएशन के लिए इसका रुख करती हैं। हालांकि, स्विट्जरलैंड में अमेरिका से डील करने को लेकर राजनीतिक समर्थन अभी नहीं है। देश के नेताओं ने बोईंग और लॉकहीड मार्टिन के साथ भी डील नहीं करने के लिए अभियान छेड़ दिया था। फेडरल असबेंली में सोशलिस्ट ग्रुप के नेता रॉजर नॉर्डमन के मुताबिक अमेरिका के F-35 बहुत महंगे होते हैं और उन्हें बाहर रखना चाहिए।
राफेल है सबसे मजबूत दावेदार
Le Matin के मुताबिक फ्रांस को फायदा मिल सकता है क्योंकि बाकी दावेदारों को चुनने पर राजनीतिक गतिरोध का सामना करना पड़ सकता है। यह भी कहा जा रहा है कि फेडरल ऑफिस ऑफ आर्मामेंट्स ने हाल ही में फ्रांस के Thales से एरियल सर्विलांस सिस्टम स्काई व्यू लिया था। अगर इसके साथ ही प्लेन भी फ्रांस का ही लिया जाए तो बेहतर समन्वय हो सकेगा।
Rafale News : जोधपुर में भारत-फ्रांस युद्धाभ्यास डेजर्ट नाइट, पहली बार देश में किसी एक्सरसाइज में शामिल हुआ फाइटर जेट राफेल, देखें तस्वीरें
उल्लेखनीय है कि पिछले साल एयर फोर्स में शामिल किए गए फ्रांस निर्मित फाइटर जेट राफेल को भारतीय पायलट्स पहली बार किसी युद्धाभ्यास में आजमा रहे हैं। फ्रांस के पायलट्स बरसों से इस विमान को उड़ा रहे हैं। ऐसे में उनके लंबे अनुभव से भारतीय पायलट्स को काफी सीखने को मिल रहा है। वहीं थार के रेगिस्तान का सिंह द्वार कहलाने वाले जोधपुर का मौसम अमूमन एकदम साफ रहता है। वहीं यहां का तापमान दोनों देशों के पायलट्स व अन्य स्टाफ के लिए पूरी तरह से माफिक है। यहां जोधपुर से सीमा क्षेत्र तक बगैर किसी रूकावट के लंबी दूरी तक उड़ान भर सकते हैं। 6 साल पहले परीक्षण के तहत जोधपुर में राफेल उड़ाने वाले पायलट्स को यहां का मौसम बहुत रास आया था। लिहाजा अब राफेल यहां युद्धाभ्यास में अपना दमखम दिखाएगा।
मिली जानकारी के अनुसार एयरफोर्स के युद्धाभ्यास के माध्यम से मुख्य रूप से हवा से हवा में मार करने की क्षमता को परखने के साथ ही कई तरह के अभ्यास किए जाते हैं। मसलन फ्रांस व भारत में से एक एयरफोर्स दुश्मन की भूमिका में होगी। दुश्मन देश का दायरा हवा में पहले से तय कर दिया जाता है। इसके बाद दुश्मन के हवाई जहाजों के हमले से स्वयं को बचाते हुए हमले बोले जाते हैं। इसके तहत दुश्मन के फाइटर्स को छकाते हुए उनके हवाई क्षेत्र में प्रवेश कर अपने लक्ष्य भेदने पर फोकस होता है।
हवा में दुश्मन के फाइटर्स से आने वाली मिसाइलों से स्वयं के विमान की रक्षा करने के साथ अपनी मिसाइल से उसे उड़ाते हुए आगे बढ़ा जाता है। इस काम के लिए डमी मिसाइल का प्रयोग किया जाता है। डमी मिसाइल के डायरेक्शन के आधार पर पता चल जाता है कि निशाना सही लगा या फिर चूक गए। रात-दिन चलने वाले अभ्यास में अलग-अलग फोरमेशन के साथ युद्धाभ्यास किया जाता है।
आपको बता दें कि इस तरह के युद्धाभ्यास में वास्तविक मिसाइल व अन्य हथियार काम में नहीं लिए जाते हैं। लेकिन डमी के माध्यम से एकदम सटीक जानकारी मिल जाती है कि किसकी कितनी और कैसी तैयारी है। दुश्मन की मिसाइल के निशाने पर आने से लेकर खुद की तरफ से किसी अन्य विमान को हवा में मार गिराए जाने का प्रत्येक डेटा रिकॉर्ड होता है। इसका विमानों के नीचे आने पर अध्ययन किया जाता है। इसके आधार पर कमियों को सुधार फिर से अभ्यास किया जाता है। यह एक सतत प्रक्रिया है।
एयरफोर्स का युद्धाभ्यास थल सेना के युद्धाभ्यास से कई मायनों में अलग होता है। इसकी तकनीक निर्भरता ज्यादा रहती है। एयरफोर्स और सेना के युद्धाभ्यास में जमीन-आसमान का अंतर तो जगजाहिर है। लेकिन, एयरफोर्स के युद्धाभ्यास में सेना की तरह वास्तविक गोला-बारूद इस्तेमाल नहीं होता है। लेकिन टारगेट पर हमले जरूरत होते हैं। वह हमले डमी मिसाइल्स से होते हैं। हवा में टारगेट पर हमले होते हैं और सब कुछ रिकॉर्ड होता चला जाता है। इसके माध्यम से परखा जाता है कि निशाना कितना सटीक था। थल सेना के युद्धाभ्यास के दौरान फायरिंग रेंज में टैंक व तोप के गोलों के धमाकों से गूंज उठती है, लेकिन एयरफोर्स के युद्धाभ्यास के दौरान फाइटर्स की तेज गर्जना तो अवश्य सुनाई देती है, लेकिन इसके आगे क्या हुआ यह आम आदमी के समझ में नहीं आ सकता है।
वहीं, सिक्यॉरिटी पॉलिसी कमिशन सदस्य प्रिस्का सीलर ग्राफ ने एक सवाल के जवाब में राफेल का ही जिक्र किया था। इसके चलते भी राफेल को आगे माना जा रहा है। हाल के सालों में क्रोएशिया ने पुराने सोवियत क्राफ्ट हटाकर वायुसेना का आधुनिकीकरण करना शुरू किया है। वह फ्रांस की वायुसेना से 1.2 अरब डॉलर में 12 राफेल ले रहा है। फ्रांस 2024 में पहले 6 एयरक्राफ्ट दिए जाएंगे और बाकी 2025 में।
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