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BSF को अधिक मजबूत करना चाहती थी यूपीए सरकार, सीएम के रूप में नरेंद्र मोदी ने किया था विरोध

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हाइलाइट्स

  • तत्कालीन गृहमंत्री चिदंबरम ने प्रस्तावित बिल पर 13 राज्यों से मांगी थी राय
  • तब पश्चिम बंगाल ने किया था समर्थन, पंजाब और असम ने नहीं दिया था साथ
  • गुजरात के सीएम के रूप में मोदी समेत भाजपा शासित राज्यों ने किया था विरोध

नई दिल्ली
कांग्रेस ने भले ही पश्चिम बंगाल, असम, पंजाब, गुजरात और राजस्थान में अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगे 50 किलोमीटर के क्षेत्र में बीएसएफ की जब्ती, तलाशी और गिरफ्तारी की शक्तियों को बढ़ाने के गृह मंत्रालय के फैसले को “संघ-विरोधी” करार दिया हो, लेकिन 2011 में, तत्कालीन यूपीए सरकार इससे एक कदम आगे निकल गई थी।

देश के किसी भी हिस्से में तलाशी, गिरफ्तारी की शक्तियां देने वाला बिल
साल 2012 में केंद्र की तत्कालीन यूपीए सरकार राज्यसभा में एक विधेयक लाई थी। इसमें बीएसएफ को देश के किसी भी हिस्से में तलाशी लेने, जब्त करने और गिरफ्तार करने की शक्तियां देने की मांग की गई थी। इस वजह से प्रस्तावित कदम का काफी विरोध हुआ था। तब भाजपा के नेतृत्व में विपक्षी दलों ने संघीय चिंताओं का हवाला देते हुए कड़ा प्रतिरोध किया था।

सीएम के रूप में मोदी ने किया था विरोध
इस विरोध ने मार्च 2012 में यूपीए को सीमा सुरक्षा बल (संशोधन) विधेयक को स्थगित करने के लिए मजबूर किया। यह गृह मामलों पर विभाग से संबंधित स्थायी समिति के बावजूद था। स्थायी समिति के तत्कालीन अध्यक्ष वैंकैया नायडू ने नवंबर 2011 में बिना किसी बदलाव के विधेयक को अपनाया। भाजपा शासित राज्यों समेत गुजरात जहां पीएम नरेंद्र मोदी उस समय सीएम थे, ने इस कदम का विरोध किया था। हालांकि, उस समय का प्रस्ताव मौजूदा एनडीए सरकार की तरफ लिए गए निर्णय से अधिक व्यापक था।

तत्काली गृहमंत्री चिदंबरम ने दिए थे कई तर्क
तत्कालीन गृह मंत्री पी चिदंबरम ने मार्च 2012 में राज्यसभा में विधेयक को पारित करने की मांग करते हुए इस बात का जिक्र किया था कि आंतरिक सुरक्षा से लेकर वामपंथी उग्रवाद का मुकाबला करने के लिए बीएसएफ को अधिकार दिए जाने की जरूरत है। उन्होंने तर्क दिया था कि बीएसएफ अधिनियम में एक सक्षम प्रावधान की आवश्यकता है ताकि बल को आंतरिक इलाकों में तलाशी, जब्ती और गिरफ्तारी की शक्तियां दी जा सकें। चिदंबरम ने इस बात पर भी प्रकाश डाला था कि सीआरपीएफ, आईटीबीपी और एसएसबी को नियंत्रित करने वाले अधिनियमों में समान सक्षम प्रावधान पहले से मौजूद हैं।

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