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ऑटो कंपनियों के लिए एक दशक में सबसे खराब दिवाली लेकिन उत्तर प्रदेश से मिली राहत

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हाइलाइट्स

  • ऑटो कंपनियों के लिए यह फेस्टिव सीजन एक दशक में सबसे खराब रहा
  • खासकर उत्तर भारत और ग्रामीण इलाकों में मांग में कमी देखी गई
  • वाहन पोर्टल के मुताबिक वीकल रजिस्ट्रेशन में 22 फीसदी कमी आई
  • इस दौरान दोपहिया वाहनों के रजिस्ट्रेशन में भी 11 फीसदी गिरावट

 

नई दिल्ली
त्योहारी सीजन (Festive season) में गाड़ियों की बिक्री (Car Sale) में तेजी की उम्मीद कर रही देश की ऑटो कंपनियों को निराशा हाथ लगी है। नवरात्रि से दिवाली तक का समय गाड़ियों की बिक्री के लिए सबसे अच्छा समय होता है। लेकिन इस साल इन कंपनियों के लिए त्योहारी सीजन करीब एक दशक में सबसे खराब रहा। खासकर उत्तर भारत में मांग बेहद कमजोर रही जहां अमूमन लोग नई गाड़ी खरीदने के लिए दिवाली का इंतजार करते हैं।

30 दिन की इस अवधि के दौरान वाहनों के रजिस्ट्रेशन में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में दहाई अंकों में गिरावट आई। सप्लाई की कमी के कारण पैसेंजर वीकल्स (PV) सेगमेंट को नुकसान हुआ है। सेमीकंडक्टर्स की कमी के कारण ऑटो कंपनियों को प्रॉडक्शन में भारी कमी करनी पड़ी। दोपहिया वाहनों की मांग में भी अप्रत्याशित कमी देखने को मिली।

बिक्री में एक तिहाई कमी
जानकारों के मुताबिक इस बार त्योहारी सीजन में गाड़ियों (पर्सनल वीकल्स) की रिटेल बिक्री में एक तिहाई कमी आई। इस दौरान करीब 305,000 गाड़ियां डीलरों को भेजी जबकि पिछले साल समान अवधि में 455,000 यूनिट्स की डिलिवरी की गई। सरकार के वाहन पोर्टल (VAHAN portal) के मुताबिक इस त्योहारी सीजन में 238,776 की बिक्री हुई जो संख्या 2020 में 305,916 यूनिट थी। यानी पिछले साल के मुकाबले इसमें 22 फीसदी गिरावट आई है। वाहन पोर्टल देश के 85 फीसदी रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिसेज के आंकड़ों को एकत्र करता है।

फेस्टिव सीजन का हाल

इस दौरान 10.7 लाख दोपहिया वाहनों का रजिस्ट्रेशन हुआ जो पिछले साल के मुकाबले 11 फीसदी कम है। यहां तक कि ट्रैक्टर्स के रजिस्ट्रेशन में भी 13 फीसदी गिरावट आई जो ग्रामीण इलाकों में दबाव की स्थिति का संकेत है। यह डेटा 7 से 15 दिन के अंतराल में आता है, इसलिए दिवाली के आसपास के रजिस्ट्रेशन नंबर्स को कैप्चर करने के लिए कुछ दिन और लग सकते हैं।

एंट्री लेवल में मांग में कमी
फेडरेशन ऑफ ऑटोमोटिव डीलर्स एसोसिएशन (FADA) के प्रेजिडेंट विंकेश गुलाटी के मुताबिक यह त्योहारी सीजन ऑटोमोटिव डीलरों के लिए एक दशक में सबसे खराब रहा है। हम इस फेस्टिव सीजन में रिकवरी की उम्मीद कर रहे थे लेकिन हमें निराशा हाथ लगी। सेमीकंडक्टर्स की कमी के कारण सप्लाई प्रभावित हुई। साथ ही संभावित खरीदारों ने हेल्थकेयर को ज्यादा तरजीह दी। इस वजह से खासकर कार और टू-वीलर्स में एंट्री लेवल सेगमेंट में बिक्री प्रभावित हुई।

फेडरेशन के मुताबिक एंट्री लेवल पैसेंजर वीकल्स में मांग कमी थी। लेकिन कॉम्पैक्ट एसयूवी (SUV) और लग्जरी वीकल्स में मजबूत मांग थी लेकिन सप्लाई कम रही। देश की सबसे बड़ी ऑटो कंपनी मारुति सुजुकी (Maruti Suzuki) के सीनियर एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर शशांक श्रीवास्तव ने कहा कि सप्लाई साइड की चुनौतियों के कारण बिक्री में अनुमानित 30 फीसदी से अधिक गिरावट आई है। उन्होंने कहा कि पिछले साल पेंट अप डिमांड के कारण फेस्टिव पीरियड में रेकॉर्ड बिक्री हुई थी।

उत्तर प्रदेश में मिली राहत
देश के बाकी हिस्सों की तुलना में उत्तर भारत में मांग में ज्यादा कमी आई है। इसमें उत्तर प्रदेश अपवाद है। वाहन पोर्टल के आंकड़ों के मुताबिक आबादी के लिहाज से देश के सबसे बड़े राज्य में त्योहारी सीजन के दौरान वाहनों के रजिस्ट्रेशन में 3.5 फीसदी की तेजी आई। बड़े राज्यों में उत्तर प्रदेश अकेला राज्य है जहां इस त्योहारी सीजन वीकल रजिस्ट्रेशन में तेजी आई है।

देश में वाहनों की कुल बिक्री में महाराष्ट्र, कर्नाटक और केरल में रिटेल बिक्री में इस दौरान 6 से 9 फीसदी की गिरावट आई है। बिहार, दिल्ली, गुजरात, राजस्थान और हरियाणा में रिटेल रजिस्ट्रेशन में 15 से 22 फीसदी कमी आई है। इन राज्यों की देश की कुल बिक्री में 30 फीसदी हिस्सेदारी है। हालांकि ट्रकों और तिपहिया वाहनों की बिक्री इस दौरान क्रमशः 88 फीसदी और 67 फीसदी बढ़ी है। इसकी मुख्य वजह पिछले साल का लो बेस है।

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