गुजरात के पास पहुंची परमाणु बम से लैस अमेरिकी पनडुब्बी, मची सनसनी, निशाने पर चीन या पाकिस्तान?
अमेरिका ने दुनियाभर में बढ़ रहे तनाव के बीच अरब सागर में गुजरात और पाकिस्तान की जलसीमा के पास अपनी महाविनाशक परमाणु पनडुब्बी को तैनात किया है। यही नहीं अमेरिका ने परमाणु बम से लैस मिसाइलों को ले जाने में सक्षम पनडुब्बी ‘यूएसएस वेस्ट वर्जीनिया’ को तैनात करने की खबर का सार्वजनिक रूप से ऐलान भी किया है। विश्लेषकों के मुताबिक अमेरिका का यह ऐलान अपने आप में बहुत ही दुर्लभ मामला है। अमेरिका अपनी परमाणु पनडुब्बी के गश्त के दौरान आमतौर पर उसके स्थान का खुलासा नहीं करता है। इसी वजह से इसे बहुत ही असामान्य घटना माना जा रहा है। अमेरिका के सेंट्रल कमांड ने बताया कि यह ‘यूएसएस वेस्ट वर्जीनिया’ परमाणु पनडुब्बी ओहियो क्लास की थी। आइए जानते हैं कि अमेरिका के निशाने पर कौन सा देश है और यह परमाणु पनडुब्बी कितना खतरनाक है…
ट्राइडेंट डी5 मिसाइल में तैनात किए जा सकते हैं 14 एटम बम
अमेरिकी सैन्य अधिकारी जनरल कुरिल्ला ने कहा कि ये परमाणु पनडुब्बी देश के न्यूक्लियर ट्रायड का सबसे प्रमुख अंग हैं। उन्होंने कहा कि ओहियो क्लास की यह पनडुब्बी हमले में बचने की ताकत, तैयारी और समुद्र में अमेरिकी सेना और रणनीतिक बलों की क्षमता को दर्शाती है। अमेरिकी नौसेना के पास इस समय पर 14 ओहियो क्लास की बलिस्टिक मिसाइल सबमरीन है जिसे एसएसबीएन कहा जाता है। परमाणु ऊर्जा से चलने वाली इस पनडुब्बी को मूल रूप से 24 परमाणु बम से लैस ट्राइडेंट मिसाइलों को ले जाने के लिए बनाया गया है। हालांकि बाद में रूस से समझौते के बाद इसे 20 मिसाइल कर दिया गया है। वर्तमान समय में अमेरिका ट्राइडेंट डी5 मिसाइल का इस्तेमाल करता है जो एक साथ कई लक्ष्यों को तबाह करने की ताकत रखती है। मात्र एक ट्राइडेंट डी5 मिसाइल 14 परमाणु बम एक साथ ले जा सकती है और दुश्मन के 14 लक्ष्यों को पलभर में तबाह कर सकती है। अमेरिकी नौसेना में 4 और ओहियो क्लास की पनडुब्बी हैं जिसे अब गाइडेड मिसाइल सबमरीन (SSGN) में बदला जा चुका है।
टॉमहॉक मिसाइलों की बारिश कर सकती है ओहियो पनडुब्बी
अमेरिका की यह पनडुब्बी दुनिया में अपनी खास ताकत के लिए जानी जाती है। यह है टॉमहॉक क्रूज मिसाइल जिसका अमेरिका ने अफगानिस्तान से लेकर दुनिया की कई जंग में किया है। इसे अमेरिकी ब्रह्मास्त्र कहा जाता है। ओहियो क्लास की पनडुब्बी 154 टॉमहॉक क्रूज मिसाइलें ले जा सकती है। विशेषज्ञों के मुताबिक यह ओहियो क्लास पनडुब्बी एक साथ कई तरह के काम कर सकती है। यह ड्रोन सिस्टम, विशेष अभियानों के लिए मदरशिप, पानी के अंदर जासूसी और कमांड पोस्ट की भूमिका निभा सकती है। द ड्राइव की रिपोर्ट के मुताबिक ओहियो क्लास की पनडुब्बी का अरब सागर में जाना और उसका ऐलान किया जाना अपने आप में बहुत ही दुर्लभ मामला है। अमेरिकी नौसेना हमेशा अपने परमाणु प्रतिरोधक क्षमता के सबसे महत्वपूर्ण हथियार के बारे में चुप्पी साधे रहती है। रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका ने जासूसी के खतरे के देखते हुए इस पनडुब्बी के स्थान और समय का खुलासा नहीं किया है। अमेरिका ने पहले भी अपने दुश्मनों को संदेश देने के लिए इस तरह के असामान्य गश्त का ऐलान समय-समय पर किया है।
परमाणु पनडुब्बी से अमेरिका ने दोस्तों और दुश्मनों को दिया संदेश
अमेरिकी सेना के शीर्ष अधिकारी माइकल कुरिल्ला ने इस परमाणु पनडुब्बी के अरब सागर में पहुंचने का ऐलान किया है। खबरों के मुताबिक इससे यह पता चलता है कि अरब सागर में अमेरिका के पास कितनी महाविनाशक ताकत है। द ड्राइव की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका ने अपनी इस ‘यूएसएस वेस्ट वर्जीनिया’ परमाणु पनडुब्बी को अरब सागर में भेजकर न केवल अपने राजनीतिक विरोधियों ईरान, रूस और चीन बल्कि अमेरिका के दोस्तों और भागीदारों को भी को संदेश दिया है। सेंट्रल कमांड की ओर से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि अरब सागर में एक अज्ञात स्थान पर जनरल कुरिल्ला ने इस परमाणु पनडुब्बी का स्वागत किया। इस बयान में यह नहीं बताया गया है कि किस तरह से जनरल कुरिल्ला और अन्य सैन्य अधिकारी सबमरीन के अंदर गए। साथ ही यह यात्रा कब हुई। जनरल कुरिल्ला ने बताया कि वह इस पनडुब्बी के चालक दल की क्षमता को देखकर बहुत प्रभावित हुए। सेंट्रल कमांड के बयान से पता चलता है कि जासूसी के तमाम खतरों के बाद भी यह परमाणु पनडुब्बी सतह पर आई थी।
अमेरिका के निशाने पर चीन, सऊदी अरब या ईरान?
परमाणु बम से लैस पनडुब्बी को भेजकर अमेरिका ने एक तीर से कई शिकार करने की कोशिश की है। यह परमाणु पनडुब्बी ऐसे समय पर अरब सागर में आई है जब रूस को हथियारों की आपूर्ति को लेकर ईरान और अमेरिका के बीच तनाव काफी बढ़ा हुआ है। ईरान रूस को बड़े पैमाने पर ड्रोन और मिसाइलों की सप्लाइ कर रहा है। यही नहीं अमेरिका का दोस्त कहा जाने वाला सऊदी अरब भी बाइडन को आंखें दिखा रहा है। सऊदी प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान रूस के साथ तेल कटौती को लेकर हाथ मिला चुके हैं। वहीं परमाणु हथियारों के विशेषज्ञ हांस क्रिस्टेंशन का कहना है कि अमेरिका ने अरब सागर में परमाणु मिसाइलों से लैस पनडुब्बी को तैनात करके चीनी ड्रैगन को कड़ा संदेश दिया है। चीन अपने गोबी के पठार में सैंकड़ों की तादाद में मिसाइल साइलो बना रहा है। इन साइलों में चीन अपनी परमाणु हथियारों से लैस मिसाइलों को छिपा सकता है। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने इस परमाणु पनडुब्बी को अरब सागर में तैनात करके चीन को संदेश दिया है। उन्होंने बताया कि अरब सागर से चीन के मिसाइल साइलो स्थल की दूरी मात्र 3284 किमी है जो अमेरिकी मिसाइलों की जद में आता है। अमेरिका अपनी किलर मिसाइलों से चीन के इन ठिकानों को तबाह कर सकता है।
अमेरिका ने बनाया खास परमाणु बम, ट्राइडेंट से कर सकता है वार
अमेरिकी सेना के इस पास इस समय खास तौर पर तैयार किया गया W76-2 परमाणु बम पहुंच गया है। इस परमाणु बम को एक छोटे इलाके को तबाह करने के लिए बनाया गया है। इस परमाणु बम को ‘यूएसएस वेस्ट वर्जीनिया’ की ट्राइडेंट डी5 मिसाइल से ही दागा जा सकता है। इसको रूस को लक्ष्य करके बनाया गया है ताकि वह कम क्षमता के परमाणु बम का इस्तेमाल करने से परहेज करे। अमेरिका और चीन के बीच इस समय ताइवान को लेकर तनाव चरम पर है। अमेरिका ने चीन के ताइवान पर हमले की आशंका को लेकर कई बार चेताया है। वहीं उत्तर कोरिया भी लगातार मिसाइलों का परीक्षण करके तनाव को भड़काए हुए है। कहा जा रहा है कि उत्तर कोरिया कभी भी परमाणु बम का परीक्षण कर सकता है। ड्राइव की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका ने अपने इस महाविनाश के हथियार का अरब सागर में सार्वजनिक रूप से प्रदर्शन करके यह साफ बता दिया है कि वह इस इलाके में परमाणु ताकत के साथ मौजूद है और जरूरत पड़ने पर वह करारा जवाब भी देगा।