हाइलाइट्स
- एमपी के कूनो नेशनल पार्क में मजदूरों को मिला ‘प्राचीन खजाना’
- व्हाट्सएप स्टेट्स से हुआ है खुलासा, अधिकारी कर रहे इनकार
- ‘प्राचीन खजाना’ मिलने की बात आसपास के गांवों में फैली
- पालपुर राजपरिवार ने कथित खजाने पर ठोका दावा
श्योपुर: एमपी के श्योपुर जिले स्थित कूनो नेशनल पार्क (Ancient treasure trove in kuno national park) के अंदर स्टॉफ क्वार्टर के निर्माण के लिए खुदाई चल रही थी। कथित तौर पर इस दौरान दो सदियों से अधिक पुराने सिक्कों पर मजूदरों को खुदाई के दौरान ठोकर लगी। अपुष्ट रिपोर्टों का कहना है कि तांबे और चांदी के सिक्कों से भरा बर्तन कुछ फीट नीचे दब गया था, जिसे पालपुर किले क्षेत्र के करीब मजदूरों ने खोजा था। यह क्षेत्र नामीबिया से लाए गए चीतों के बाड़े से कुछ ही दूरी पर स्थित है।
वहीं, फिल्ड डायरेक्टर केएनपी शर्मा ने ऐसी किसी भी घटना पर अनभिज्ञता जाहिर की है। डीएफओ पीके वर्मा ने कहा कि वह इनपुट्स को सत्यापित करने की कोशिश कर रहे हैं। अगर सही पाया गया तो आवश्यक कार्रवाई करेंगे। हालांकि सूत्रों ने बताया कि बुधवार को सिक्कों से भरा बर्तन मिला है और इसे खोजने वाले मजदूरों ने आपस में बांट लिया है। उनमें से कई गुरुवार को साइट पर काम करने नहीं आए हैं। इसके साथ ही उनमें से कुछ मजदूरों ने इसकी तस्वीर ली थी और व्हाट्सएप स्टेट्स पर लगाया है। स्टेट्स देखने के बाद यह खबर जंगल में आग की तरह फैल गई, जिससे आसपास के गावों में उत्साह फैल गया है।वहीं, पालपुर राजघराने ने अपने किले की 260 बीघा जमीन छोड़ दी थी, जब कूनो को गिर शेरों के स्थानांतरण के लिए एक अभ्यारण घोषित किया था। उन्हें भी स्थानीय लोगों ने छिपे हुए खजाने की कथित खोज के बारे में सूचित किया है। सदियों पहले कूनो-पालपुर में शासन करने वाले राजपरिवार के वंशज आरके श्रीगोपाल देव सिंह ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए कहा कि हमने सुना है कि उन्हें सिक्कों से भरी लगभग चार बोरियां मिली हैं। वन विभाग लंबे समय से हमारी संपत्ति को गुप्त रूप से नष्ट करने की कोशिश कर रहा है। ताकि हमें इसके दावों से वंचित किया जा सके।
इससे पहले भी मिले हैं खजाने
उन्होंने कहा कि यह पहली बार नहीं है कि उन्हें खजाना मिला है। आप किले का अच्छी तरह से निरीक्षण करेंगे तो देख सकते हैं कि कई जगहों को खोदा गया है। कानूनी रूप से संपत्ति हमारी है जब तक कि कोई अंतिम समझौता नहीं हो जाता या अदालत में हमारा मामला अंतिम निर्णय तक नहीं पहुंच जाता है। उन्होंने कहा कि वन विभाग या पुरातत्व विभाग को हमारी संपत्ति पर कुछ नहीं करना चाहिए। खुदाई के दौरान उन्हें जो कुछ भी मिला है वह शाही परिवार का है।
कीमती सामान हमें सौंप दें
राजपरिवार ने कहा कि इसलिए, वह कीमती सामान हमें सौंप दें। साथ ही हमारी संपत्ति पर सभी गतिविधियों को रोक दें। अगर ऐसा नहीं होता है तो मैं उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के लिए मजबूर हो जाऊंगा। श्रीगोपाल देव सिंह पहले से ही राज्य सरकार के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। उनकी पैतृक संपत्ति कूनो अभ्यारण के मुख्य क्षेत्र में स्थित है, जहां प्रधानमंत्री ने 17 सितंबर को चीतों को छोड़ा था।
मुआवजा नहीं मिला
कूनो नदी के तट पर स्थित किला को स्थानीय स्तर पर पालपुर गढ़ी के नाम से जाना जाता है। पालपुर शाही परिवार को अपने पूर्ववर्ती जागीर के 24 गांवों के लोगों के साथ अभ्यारण घोषित होने के बाद खाली करना पड़ा था। पालपुर परिवार के वंशजों ने जब मुआवजे की मांग की तो पीडब्ल्यूडी विभाग ने अपनी सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा कि संपत्ति 100 साल से अधिक पुरानी थी और इसका मूल्य शून्य है। इस रिपोर्ट के आधार पर मुआवजे से साफ इनकार कर दिया था।
राजस्थान के एक सरकारी कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ धीरेंद्र सिंह जादौन ने कहा कि पालपुर, सबलगढ़, सुमावली और विजयपुर किले को सबलगढ़ के शासकों ने बनवाए थे, जो करौली के जादोन राजपूत थे। यह पूरा एरिया करीब 135 किमी के करीब है।