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Antim Panghal: पिता की तपस्या है ‘अंतिम’, बेटी को चैंपियन बनाने के लिए गांव तक छोड़ा, आज सिर फख्र से ऊंचा

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हिसार: अंतिम पंघाल जब गुरुवार को विश्व चैंपियनशिप में अपने ब्रॉन्ज मेडल मैच के लिए स्टेडियम पहुंचीं तब वह उतनी ही हताश लग रहीं थीं, जितनी वेनेसा कलादजिंस्काया के खिलाफ सेमीफाइनल हार के बाद। एक दिन पहले जो कुछ हुआ था, उस अविश्वास में रोते हुए 19 वर्षीय खिलाड़ी जब मैट पर उतरी तो लग रहा था कि जैसे उनके आंसू रात भर नहीं रुके थे। सोशल मीडिया पर हिसार की इस युवा पहलवान का वीडियो भी वायरल है, जिसने बुधवार तक वर्ल्ड चैंपियनशिप में एक भी हार नहीं देखी थी (दो U20 विश्व चैंपियनशिप जीतने के बाद), वह रो रही थी और उसके कोच उसे सांत्वना दे रहे थे।

सबकुछ इतना आसान नहीं था
टूटे दिल के बावजूद अंतिम पंघाल ने बेलग्रेड में अपना पहला सीनियर विश्व चैम्पियनशिप कांस्य पदक जीता। उन्होंने दो बार की यूरोपियन चैंपियन स्वीडिश पहलवान जोना माल्मग्रेन को 16-6 से पटलते हुए पेरिस ओलिंपिक का टिकट भी हासिल कर लिया। इस जीत के बाद उनके घर-गांव-परिवार में खुशी का माहौल है। मगर यह अंतिम और उनके मां-बाप को यह खुशी इतनी आसानी से नहीं मिली।

पिता की तपस्या है ‘अंतिम’
अंतिम पंघाल मूलत: हरियाणा के हिसार के भगाना गांव की रहने वालीं हैं। पांच भाई-बहनों में सबसे छोटी अंतिम के परिवार की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि उन्हें वर्ल्ड क्लास ट्रेनिंग दिला सके। मगर किसान पिता रामनिवास ने भी जिद ठान ली थी कि बेटी को चैंपियन बनाकर रहूंगा। उन्होंने बिना सोचे-समझे अपनी डेढ़ एकड़ जमीन, गाड़ी, ट्रैक्टर से लेकर कई मशीनें बेच दी। गांव में कोचिंग की सुविधा नहीं थी तो बेटी के सपने को पंख लगाने के लिए गांव ही छोड़ दिया। शुरुआत में अंतिम ने महाबीर स्टेडियम में एक साल तक अभ्यास किया। अब बीते चार साल से हिसार के गंगवा में रहकर बाबा लालदास अखाड़ा में ट्रेनिंग करती हैं।

अंतिम पंघाल का घर (सोर्स: सोशल मीडिया)

बड़ी बहन की वह सीख
अंतिम पंघाल की बड़ी बहन सरिता कबड्डी की नेशनल प्लेयर हैं। सरिता को खेलता देख छोटी बहन अंतिम ने भी खेलने की बात कही। मगर सरिता ने अपने अनुभव से उनका मार्गदर्शन किया और समझाया कि टीम गेम में भेदभाव होता है इसलिए कबड्डी न खेलकर कुश्ती शुरू करो। कुश्ती सिंगल प्लेयर गेम है। ऐसे में मेहनत रंग लाने की संभावना ज्यादा है, उसके बाद से अंतिम ने पीछे पलटकर नहीं देखा और मैट पर रोजाना नया सबक सीखते चलीं गईं।


अब ओलिंपिक मेडल की आस
अंतिम पंघाल अब वर्ल्ड चैंपियनशिप में पदक जीतने वाली आठवीं भारतीय महिला पहलवान बन चुकीं हैं, उनसे पहले अलका तोमर (2006), गीता फोगाट (2012), बबीता फोगाट (2012), पूजा ढांडा (2018), विनेश फोगाट (2019, 2022) और सरिता मोर (2021), अंशू मलिक (रजत) यह कमाल कर चुकीं हैं। इस जीत के साथ अंतिम ने अगले साल होने वाले पेरिस ओलिंपिक का टिकट भी हासिल कर लिया। यह खेलों के महाकुंभ में कुश्ती में भारत का पहला कोटा भी है।

 

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