श्रीलंका को भारी पड़ी चीन की यारी, पहले जहरीली खाद दी, अब केस कर दिखाई सीनाजोरी
हाइलाइट्स
- ड्रैगन ने पहले श्रीलंका को जहरीली जैविक खाद दी और अब उसके ऊपर मुकदमा किया
- चीनी कंपनी ने श्रीलंका के खिलाफ सिंगापुर में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता प्रक्रिया शुरू की है
- चीनी कंपनी सीविन बायोटेक ने श्रीलंका के साथ ‘तर्कपूर्ण समझौता’ नहीं होने पर यह केस किया
कोलंबो
चीन के साथ यारी बढ़ा रहे श्रीलंका को ड्रैगन ने बड़ा झटका दिया है। ड्रैगन ने पहले श्रीलंका को जहरीली जैविक खाद दी और जब उसने लेने से मना कर दिया तो चीनी कंपनी ने अब कोलंबो पर मुकदमा ठोक दिया है। चीनी कंपनी ने श्रीलंका के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता प्रक्रिया शुरू की है। चीनी कंपनी सीविन बायोटेक ने खाद के मुद्दे के समाधान के लिए श्रीलंका के साथ ‘तर्कपूर्ण समझौता’ नहीं होने पर यह केस किया है। चीनी कंपनी का श्रीलंका के खिलाफ मुकदमा करना अपने आप में दुर्लभ घटना माना जा रहा है।
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करीब 20 हजार टन खाद लेकर चीन से श्रीलंका पहुंचा यह चीनी जहाज स्वीकार्य समझौता नहीं होने पर चीन वापस लौट रहा है। इस विवाद को सुलझाने के लिए चीन ने काफी कोशिश की थी। यहां तक कि उसने श्रीलंका को डराने का भी प्रयास किया लेकिन राजपक्षे सरकार अपने फैसले पर अडिग रही। यह जहाज अब सिंगापुर पहुंच गया है और कंपनी ने वहीं पर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता प्रक्रिया शुरू की है। इसके जरिए चीन श्रीलंका के साथ बढ़ते विवाद को सुलझाना चाहता है।
श्रीलंका ने की थी 3700 करोड़ रुपये की डील
कंपनी के अधिकारी ने बताया कि इस संबंध में श्रीलंका को एक नोटिस जारी कर दिया गया है और मध्यस्थता की प्रक्रिया को शुरू कर दिया गया है। बता दें कि श्रीलंका और चीन के बीच इन दिनों जैविक खाद को लेकर कूटनीतिक खींचतान जारी है। श्रीलंका ने खराब गुणवत्ता का हवाला देते हुए चीन से आए 20,000 टन जैविक खाद की पहली खेप को लेने से इनकार कर दिया था। इसके बाद चीन ने गुस्साते हुए श्रीलंका के एक बैंक को ब्लैकलिस्ट कर दिया। श्रीलंकाई वैज्ञानिकों का समूह भी चीन से आई इस खाद का विरोध कर रहा है।
श्रीलंका को दुनिया के पहले पूरी तरह से जैविक खेती वाले देश में बदलने के प्रयास में महिंदा राजपक्षे की सरकार ने रसायनिक खादों के इस्तेमाल को प्रतिबंधित कर दिया था। इसके ठीक बाद श्रीलंकाई सरकार ने चीन की जैविक खाद निर्माता कंपनी किंगदाओ सीविन बायो-टेक समूह के साथ लगभग 3700 करोड़ रुपये में 99000 टन जैविक खाद खरीदने का एक समझौता किया था। किगदाओ सीविन बायो-टेक समूह को समुद्री शैवाल आधारित खाद बनाने में विशेषज्ञता प्राप्त है।
जिसके बाद चीन से हिप्पो स्पिरिट नाम का एक शिप सितंबर में 20,000 टन जैविक खाद लेकर श्रीलंका पहुंचा। श्रीलंकाई सरकारी एजेंसी नेशनल प्लांट क्वारंटाइन सर्विस ने शिपमेंट को यह कहते हुए स्वीकार करने से इनकार कर दिया कि इस खाद के एक नमूने में हानिकारक बैक्टीरिया पाए गए हैं। ये श्रीलंका में जमीन के अंदर उगने वाली फसलों जैसे आलू और गाजर को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
जहरीली खाद की पेमेंट रोकने से भड़का चीन
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, श्रीलंका के कृषि विभाग के महानिदेशक डॉ अजंता डी सिल्वा ने कहा कि खाद के नमूनों के परीक्षण से पता चला है कि उर्वरक जीवाणुरहित नहीं था। चूंकि शिपमेंट को श्रीलंका में उतारने की अनुमति नहीं थी, जिसके बाद श्रीलंकाई सरकारी उर्वरक कंपनी को कोर्ट से राज्य के स्वामित्व वाले पीपुल्स बैंक के जरिए इस खाद के खेप के लिए 9 मिलियन डॉलर का भुगतान करने से रोकने का आदेश मिला।
चीन ने श्रीलंका के सरकारी बैंक को ब्लैकलिस्ट किया
इस फैसले से चीन को इतनी मिर्ची लगी कि कोलंबो स्थित चीनी दूतावास ने भुगतान नहीं करने के लिए बैंक को ब्लैकलिस्ट कर दिया। अक्टूबर के अंत में, चीनी दूतावास के आधिकारिक ट्विटर हैंडल ने सरकारी श्रीलंकाई बैंक को ब्लैकलिस्ट करने की घोषणा करते हुए घटनाओं की एक टाइमलाइन पोस्ट की। हालांकि, दूतावास ने खाद की गुणवत्ता और अनुबंध की शर्तों के बारे में कोई जानकारी नहीं दिया।