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डिलीवरी से पहले और बाद की हर तकलीफ का इलाज है एक्सपर्ट के बताए ये 5 आसान उपाय

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योग वर्षों से व्यक्तियों के समग्र जीवन में स्वाभाविक और भरोसेमंद तरीके से योगदान देता आया है। योग शांत मन और स्वस्थ शरीर के लिए एक आध्यात्मिक मार्ग की तरह होता है। इसे गर्भावस्था के दौरान भी किया जा सकता है। प्रेग्नेंसी में जब महिलाएं अलग-अलग स्तरों पर मूड स्विंग से जूझ रही होती हैं। साथ ही थकान, पैरों में दर्द और सांस लेने में तकलीफ जैसी स्थिति का सामना कर रही होती है। ऐसे में योग अभ्यास, तकनीक और मुद्राएं ऐसी सभी स्थितियों को आसान बना सकती है।

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एचयूएमएम में लैक्टेशन कंसल्टेंट और योग विशेषज्ञ श्वेता गुप्ता बताती हैं कि स्त्री प्रकृति की सबसे प्रबल रचना है, जो बच्चे को जन्म देते समय अपने जीवन के सबसे नाजुक दौर से गुजरती है। प्रसव पूर्व किए जाने वाले योग होने वाली माताओं के लिए स्ट्रेचिंग, मानसिक केंद्रीकरण, और केंद्रित श्वास को बेहतर बनाने का एक बहुआयामी मार्ग है। प्रसव पूर्व योग के क्या लाभ हैं? इससे बेहतर नींद, तनाव और चिंता में घटाव, मांसपेशियों में ताकत, लचीलेपन और सहनशक्ति में वृद्धि, कमर दर्द, जी मिचलाना और सांस लेने की तकलीफ में घटाव जैस लाभ शामिल है।

​प्रेग्नेंसी के दौरान ये प्राणयाम है फायदेमंद

विशेषज्ञ बताती हैं कि गर्भावस्था के दौरान भ्रामरी प्राणायाम करना फायदेमंद होता है। यह एकमात्र ऐसा प्राणायाम है जो एक गर्भवती महिला प्रसव के अंतिम दिन तक कर सकती है। यह गर्भस्थ शिशु के रक्त परिसंचरण को बढ़ाता है। साथ ही मां और गर्भस्थ शिशु, दोनों के तन, मन और आत्मा की शांति को बढ़ावा देता है।

​स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए जरूरी है योग

स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए योग बहुत जरूरी होता है। नियमित योग का अभ्यास स्तनों में रक्त परिसंचरण में सुधार और प्रोलैक्टिन के स्राव में सहायता करने वाली पिट्यूटरी ग्रंथि को सकर्मक करता है। इससे स्तन के दूध के उत्पादन में सुविधा होती है। व्यायाम और योग स्तनों को फ़र्म बनाने मे भी मदद करते हैं, और गर्दन, पीठ व कंधों में तनाव को दूर करते हैं, जो आमतौर पर स्तनपान से दुखने लगते हैं। एक्सपर्ट ने स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए पाँच ऐसे व्यायाम बताए हैं जो स्तनपान में वजन घटाने और वजन संभालने में कारगर हो सकते हैं। ये व्यायाम आपके स्तनों को टोन, लिफ्ट और आपकी पीठ को आकृत भी करते हैं।

​कन्धों को घुमाना

तरीका

  1. सीधे खड़े हो जाएं और अपने पैरों को कंधे की चौड़ाई पर रखें।
  2. धीरे-धीरे अपने कंधों को आगे की ओर घुमाएं और सांस लेते हुए बड़े चक्र बनाएं। इस परिधि के आधे में श्वास छोड़ें।
  3. इसी तरह से पीछे की ओर कंधे घुमाएँ और सेट पूरा करें।
  4. आप इस व्यायाम को अपने श्वास अभ्यास के साथ कर सकते हैं ताकि इसके अधिकांश लाभ प्राप्त हो सकें।
मुख्य लाभ

  • कंधे में जमा तनाव को दूर करने के लिए उत्तम व्यायाम।
  • यह कंधे के जोड़ों में परिसंचरण में सुधार करता है।
  • मांसपेशियों, रंध्रों और जोड़ों को गर्म करने और स्ट्रेच करने में मददगार है।
  • कंधों में दर्द और जकड़न को कम करने में मदद करता है।

गर्दन का सममितीय व्यायाम

तरीका

  1. अपनी हथेली को अपने माथे पर दबाएं।
  2. गर्दन की मांसपेशियों का इस्तेमाल कर के प्रतिरोध करें।
  3. 10 सेकंड के लिए इसे जारी रखें।
  4. विश्राम करें।
  5. 5 बार दोहराएं।

मुख्य लाभ

  • पीठ दर्द कम करता है।
  • गति की सीमा बढ़ाता है।
  • गर्दन के दर्द को कम करता है।
  • थकी हुई मांसपेशियों को ताकत और लचीलापन देता है।

​राहत के लिए बाहों के छोटे चक्र

तरीका

  1. अपने पैरों को कंधे की चौड़ाई पर रखें और बाहों को फर्श के समानांतर सामने फ़ैलाएं।
  2. छोटी नियंत्रित गति से अपनी बाहों को आगे बढ़ाएं, धीरे-धीरे बड़े चक्र बनाएं जब तक कि आप अपने ट्राइसेप्स में खिंचाव महसूस न करें।
  3. लगभग 10 सेकंड के बाद चक्रों की दिशा उलट दें।

मुख्य लाभ

यह सरल और छोटी सी कसरत नई माताओं की बाहों और कंधों के दर्द और जकड़न को कम करती है। और माताओं की ऊपरी पीठ के दर्द को कम करने के लिए प्रसिद्ध है।

​तिर्छा भुजा व्यायाम

तरीका

  1. आपको अपनी बाहों को सीधा अपने सामने रखें।
  2. अब अपने कूल्हों/अन्तर्भाग का उपयोग करते हुए, अपने दाहिने हाथ को ऊपर और अपने दाहिने कंधे के पीछे घुमाएं।
  3. बायां हाथ जमीन के समानांतर और आपकी छाती पर मुड़े होने चाहिए।

लाभ

यह लिफ्ट स्तनपान करवाने वाली माताओं की अन्तर्भाग स्थिरता में सुधार और मांसपेशियों की सहनशीलता और ताकत में सुधार करती है।

डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

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