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गगनयान कार्यक्रम में ISRO को बड़ी सफलता, मिशन का इंजन टेस्ट में पास

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हाइलाइट्स

  • इसरो ने गगनयान मिशन के लिए क्रायोजेनिक इंजन का टेस्ट किया
  • 729 सेकंड तक किया गया गुणवत्ता परीक्षण, पूरी तरह पास
  • अगले साल लॉन्च किया जाएगा भारत का पहला ह्यूमन स्पेसफ्लाइट मिशन

बेंगलुरु
भारत के गगनयान कार्यक्रम की राह में एक महत्वपूर्ण सफलता मिली है। ISRO ने देश के पहले ह्यूमन स्पेसफ्लाइट मिशन में इस्तेमाल होने वाले जीएसएलवी रॉकेट के लिए क्रायोजेनिक इंजन का सफलतापूर्वक टेस्ट किया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने तमिलनाडु के महेंद्रगिरी में इसरो प्रणोदन परिसर (प्रोपल्शन कॉम्प्लेक्स) में गगनयान कार्यक्रम के लिए 720 सेकंड तक क्रायोजेनिक इंजन का गुणवत्ता परीक्षण किया। यह मिशन अगले साल लॉन्च होने वाला है।

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बेंगलुरु स्थित एजेंसी ने कहा है कि बुधवार को हुआ इंजन का प्रदर्शन परीक्षण के उद्देश्यों के अनुरूप रहा। इसरो ने एक बयान में कहा, ‘लंबी अवधि का यह सफल परीक्षण मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम – गगनयान के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। यह गगनयान के लिए क्रायोजेनिक इंजन की विश्वसनीयता और मजबूती सुनिश्चित करता है।’

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यह इंजन चार और परीक्षणों से गुजरेगा जो 1810 सेकंड के होंगे। इसरो ने बताया कि इसके बाद एक और इंजन के दो छोटी अवधि के परीक्षण होंगे और गगनयान कार्यक्रम के लिए क्रायोजेनिक इंजन गुणवत्ता पर खरा उतरने के लिए एक लंबी अवधि का परीक्षण होगा।

 

इसरो अध्यक्ष के सिवन ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि भारत की महत्वाकांक्षी गगनयान परियोजना का, डिजाइन वाला चरण पूरा हो गया है तथा यह परीक्षण के चरण में प्रवेश कर गया है। उन्होंने कहा था, ‘भारत की आजादी (15 अगस्त 2022) की 75वीं वर्षगांठ से पहले पहला मानवयुक्त मिशन भेजने का निर्देश है और सभी इसके लिए सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहे हैं। मुझे विश्वास है कि हम इस लक्ष्य का पूरा कर लेंगे।’

के सिवन 14 जनवरी को रिटायर हो रहे हैं और प्रख्यात रॉकेट साइंटिस्ट एस सोमनाथ अब इसरो की कमान संभालेंगे।

निजी कंपनियों के व्यापार के लिए अवसर
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के नवनियुक्त अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा है कि भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए व्यापार के अवसर प्रदान करने के लिए विकसित करने की जरूरत है। साथ ही भावी पीढ़ियों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में बदलाव करने की भी आवश्यकता है। वर्तमान में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) के निदेशक सोमनाथ को अंतरिक्ष विभाग के सचिव और अंतरिक्ष आयोग के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया है, जो उन्हें इसरो का प्रमुख बनाता है।

उन्होंने कहा कि वर्तमान में भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम इसरो तक ही सीमित है, लेकिन सरकार अब चाहती है कि इस क्षेत्र में नए लोग आएं। सोमनाथ ने अंतरिक्ष बजट को मौजूदा 15,000-16,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 20,000-50,000 करोड़ रुपये से अधिक किए जाने की आवश्यकता जताते हुए कहा, ‘लेकिन अंतरिक्ष बजट में वृद्धि केवल सरकारी धन या समर्थन से नहीं हो सकती है। जैसे दूरसंचार और हवाई यात्रा जैसे क्षेत्रों में जो बदलाव हुए, वही बदलाव यहां भी होना चाहिए। इससे रोजगार के अधिक अवसर सृजित हो सकते हैं और अनुसंधान एवं विकास बढ़ सकता है।’ उन्होंने स्पष्ट किया कि हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि इसरो का निजीकरण किया जा रहा है।

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