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रोड पर मिला नोट और जेब में डाल लिया तो हो सकती है सजा, जान लीजिए क्या है खोया-पाया का नियम

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हाइलाइट्स

  • सड़क पर मिला नोट जेब में डाला तो होगी सजा
  • 10 रुपये या उससे ऊपर के नोट मिलने की देनी होगी जानकारी
  • जानकारी न देने पर हो सकती है 1 साल की सजा
नई दिल्ली: आप सड़क पर पैदल जा रहे हों और आपको अचानक कुछ रुपये पड़े मिल जाएं तो आप क्या करेंगे। तुरंत उठाकर जेब में रख लेंगे। अमूमन ज्यादातर लोग ऐसा ही करते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि आपकी यह हरकत आपको जेल भी भिजवा सकती है। जी हां भारत में कई कानूनों में से एक कानून ऐसा भी है जिसके तहत अगर आप 10 रुपये या उससे ज्यादा का नोट सड़क पर पड़े मिलने पर उसे अपने पास रख लेते हैं तो आपको 1 साल की जेल हो सकती है। ट्रेजर ट्रोव एक्ट 1878 के अनुसार, 10 रुपये से अधिक की राशि मिलने पर इसकी जानकारी आपको सरकार को देनी होगी। न देने पर सजा काटनी पड़ सकती है।

 


क्या कहता है ट्रेजर ट्रोव एक्ट 1878
भारत में कई कानून हमारी संसद में बनाए गए हैं। उनमें से एक है ट्रेजर ट्रोव एक्ट 1878। इस एक्ट के अनुसार, किसी भी व्यक्ति को 10 रुपये से अधिक राशि कहीं सड़क या कहीं ओर मिलते हैं तो आपको इसकी जानकारी सरकार को देनी होगी। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो आपको एक साल कैद की सजा सुनाई जा सकती है। अब आपको बताते हैं कि खोया-पाया का नियम क्या कहता है।

क्या है खोया-पाया नियम, जानिए सबकुछ
तुरंत मिले रुपये तो क्या करें- अगर आपको सड़क या कहीं किसी जगह 10 रुपये या उससे अधिक मिलते हैं तो आपको सबसे पहले इसकी जानकारी सरकार को देना होगी। जानकारी देते वक्त संबंधित व्यक्ति को यह बताना होगा कि आपको कितनी राशि मिली है, वह कौन सी जगह थी जहां आपको यह मिला और वह कौन सी तारीख थी जब आपको यह रुपये मिले। यह सब जानकारी देने के बाद आपको करीबी सरकारी खजाने में जाकर राजस्व अधिकारी के पास जाकर इसे जमा कराना होगा।

ट्रेजर ट्रोव एक्ट 1878 का नियम


सेक्शन 4 के तहत कलेक्टर जारी करेगा नोटिफिकेशन

नियम के तहत अगर खजाने के रूप में कोई भी चीज नजदीकी राहत कोष में व्यक्ति जमा कराता है तो वहां मौजूद कलेक्टर के भी कुछ दायित्व होते हैं। खजाना राहतकोष में जमा होने के बाद सेक्शन 4 के तहत कलेक्टर एक नोटिफिकेशन जारी करेगा। इस नोटिफिकेशन के तहत लोगों को बताया जाता है कि अगर जमा किया गया खजाना किसी संबंधित व्यक्ति का है तो व उसे आकर ले जा सकता है। वहीं इस बात का भी ध्यान रखें कि समय अवधि नोटिफिकेशन के पब्लिश होने के 4 महीने पहले या 6 महीने के बाद नहीं होना चाहिए।



अगर अपनी खोई चीज लेने नहीं गए तो?

सेक्शन 5 के तहत नियम यह भी कहता है कि अगर नोटिफिकेशन जारी होने के बाद अगर आप संबंधित खजाना चाहे वह जिस रूप में हो को लेने नहीं जाते हैं तो, आपको उस संबंधित खजाने का अधिकारी नहीं माना जाएगा। सेक्शन 5 के तहत अधिकारी के पास खजाने को लेकर जांच भी कर सकता है। इसके अनुसार, कलेक्टर खजाने से संबधित सवाल भी कर सकता है। जैसे किस व्यक्ति ने, किस जगह और किन परिस्थितियों में यह खजाना मिला है। इसके अलावा कलेक्टर यह भी पूछ सकता है कि किस व्यक्ति की ओर से और किन परिस्थितियों में संबंधित खजाने को छुपाया गया था।

ट्रेजर ट्रोव एक्ट नियम 1878 की कॉपी का अंश


अगर खजाने का मालिक नहीं मिला तो क्या होगा?

खजाने के रूप में मिली चीज का अगर मालिक नहीं मिलता है तो क्या होगा। ट्रेजर ट्रोव नियम के तहत इसकी भी व्यवस्था की गई है। संबंधित खजाने का मालिक न मिलने की सूरत में जिस व्यक्ति को यह मिला वही इसका असली मालिक घोषित कर दिया जाता है। वहीं पाए गए 10 रुपये के नोट या खजाने के रूप में कोई भी चीज के मालिक एक से ज्यादा हैं और उसे खोजने वाले व्यक्ति को इससे आपत्ति है तो ऐसे केस में कलेक्टर के पास यह हक है कि वह उस खजाने को अपने पास रख मामले को सिविल कोर्ट में लेकर जा सकता है। जहां खजाने के असली मालिक पर अदालत फैसला सुनाएगी।

कलेक्टर के फैसले पर नहीं उठा सकते सवाल
खजाना कोष के कलेक्टर पर इस कानून के तहत उनकी तरफ से लिए फैसले पर सवाल नहीं उठाया जा सकता है। खजाने के बारे में कलेक्टर का फैसला अंतिम होगा और उसे किसी भी सिविल कोर्ट में चैलेंज नहीं किया जा सकता। वहीं इस कानून के तहत जांच करने वाला कलेक्टर सिविल प्रक्रिया संहिता की ओर से दी गई किसी भी शक्ति का प्रयोग किसी सिविल न्यायालय को विचारण के लिए कर सकता है।

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