त्रिपुरा हिंसा: दिल्ली के दो पत्रकारों पर मुस्लिमों को उकसाने का केस
हाइलाइट्स
- त्रिपुरा पुलिस ने दिल्ली की दो पत्रकारों की रवानगी रोकी
- आज सुबह ही बयान दर्ज कराने का भेजा गया है नोटिस
- फटिकरॉय थाने में समृद्धि और स्वर्णा के खिलाफ FIR
- स्थानीय मुस्लिमों को उकसा कर बयान दिलाने का आरोप
अगरतला
त्रिपुरा पुलिस ने रविवार को दिल्ली के दो पत्रकारों को रवाना होने से रोक लिया। उन्हें इसी सुबह नोटिस जारी कर अपने बयान दर्ज कराने को कहा गया था। पत्रकारों की पहचान समृद्धि के सकुनिया और स्वर्णा झा के रूप में हुई है। दोनों गुरुवार को राज्य में कथित सांप्रदायिक तनाव को कवर करने आई थीं।
सूत्रों के अनुसार, त्रिपुरा आने के बाद वे गोमती जिले के उदयपुर इलाके में गई थीं। इसके बाद पश्चिमी त्रिपुरा के अल्पसंख्यक-बहुल मोहल्लों में। शनिवार को वे उनाकोटि जिले में पहुंची जहां के पाल बाजार इलाके में कथित रूप से एक हिंदू समूह ने निर्माणाधीन मस्जिद ढहा दी थी।
पत्रकारों पर मुस्लिमों को उकसाने का आरोप
पुलिस के अनुसार, शिकायतें मिलने के बाद फटिकरॉय थाने में मुकदमा दर्ज किया गया। आरोप है कि समृद्धि और स्वर्णा ने स्थानीय मुस्लिमों को उकसा कर उनसे विश्व हिंदू परिषद (VHP) के खिलाफ बयान दिलाया कि 23 अक्टूबर को ‘जय श्री राम’ के नारे लगाते हुए पाल बाजार की मस्जिद गिरा दी थी।
रात में ही नोटिस लेकर होटल पहुंची पुलिस
दोनों पत्रकार जिला छोड़ चुकी थीं और उत्तरी त्रिपुरा के मुख्यालय धर्मनगर के होटल में रुकी हुई थीं। पुलिस रात में ही नोटिस चिपकाने के लिए भागी-भागी पहुंची। दोनों को धर्म के आधार पर दो समूहों में नफरत भड़काने के लिए धारा 153-ए और आपराधिक साजिश रचने के लिए 420-बी का नोटिस दिया गया। हालांकि उन्हें रात में नोटिस नहीं लिया।
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एक पुलिस अधिकारी के अनुसार, ‘इसके बजाय, उन्होंने दिल्ली में किसी वकील को फोन किया और कहा कि कपिल सिब्बल से बात हो रही है। वे दिल्ली की यात्रा के लिए अगली सुबह अगरतला की लोकल ट्रेन पकड़ना चाहती थीं लेकिन पुलिस ने उन्हें होटल में रोक लिया। कुछ समय बाद, एक वकील आया और फिर उसने नोटिस रिसीव किया। हमनें उन्हें अगरतला तक जाने की इजाजत दे दी जहां उन्हें 21 नवंबर को अपना बयान दर्ज कराना होगा।’
कथित रूप से गोमती जिले की एक मस्जिद में कुरान जलाने की कहानी इन दोनों पत्रकारों ने बनाई, जिसके चलते पिछले दो दिन से महाराष्ट्र में हिंसा हुई। पुलिस का दावा है कि ये पत्रकार उस टीम का हिस्सा हैं जो पिछले दो हफ्तों से ग्रुप्स में आकर सांप्रदायिक हिंसा के बारे में झूठी जानकारी फैला रही है।
पुलिस के आरोपों पर झा ने कई ट्वीट्स में दावा किया कि उन्होंने स्थानीय लोगों से मस्जिद के बारे में बात की। झा ने एक एफआईआर की कॉपी भी शेयर की जिसमें VHP की एक रैली का जिक्र था। एक और ट्वीट में उन्होंने लोकल्स के दावों और दक्षिणपंथी समूह से लिंक के बारे में बताया।