गांधी परिवार से क्या है नेशनल हेराल्ड का नाता, ED ने आखिर क्यों भेजा समन
- पूछताछ के लिए सोनिया गांधी और राहुल गांधी को समन जारी
- राहुल गांधी फिलहाल देश में नहीं, कांग्रेस का सरकार पर आरोप
- सुब्रमण्यम स्वामी ने मामला उठाया, बीजेपी ने कहा डर क्यों है
कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने बुधवार कहा कि सोनिया गांधी समन का पालन करेंगी। सिंघवी और कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने संवाददाताओं से कहा कि राहुल गांधी ने जांच एजेंसी को पेश होने की तारीख को पांच जून के बाद तक टालने के लिए पत्र लिखा है क्योंकि वह देश में नहीं हैं। सिंघवी ने कहा, मोदी सरकार जान ले कि इस प्रकार के फर्जी और मनगढ़ंत मामले दर्ज कर वह अपनी घिनौनी व कायराना साजिश में कामयाब नहीं हो सकती।
साल 2012 नवंबर महीने में सुब्रमण्यम स्वामी ने केस दर्ज कराया। केस दर्ज होने के दो साल बाद जून 2014 में अदालत ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ समन जारी किया। इसी साल अगस्त महीने में प्रवर्तन निदेशालय ईडी ने संज्ञान लिया और मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया। केस दर्ज होने के बाद अगले साल 19 दिसंबर 2015 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी समेत अन्य आरोपियों को दिल्ली की पटियाला कोर्ट ने नियमित जमानत दी। इसके अगले साल 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेताओं के खिलाफ कार्रवाई रद्द करने से इनकार कर दिया। राहत की बात यह रही कि कोर्ट ने सभी आरोपियों को व्यक्तिगत पेशी से छूट प्रदान कर दी। इसके दो साल बाद 2018 में दिल्ली हाई कोर्ट ने सोनिया और राहुल गांधी की आयकर विभाग के नोटिस के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी। इस फैसले के खिलाफ कांग्रेस की ओर से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया। हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया और कहा कि आयकर की जांच चलती रहेगी।
नेशनल हेराल्ड केस, क्या है आरोप
यह मामला नेशनल हेराल्ड अखबार से जुड़ा है। साल 1938 में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने इसकी स्थापना की। अखबार का मालिकाना हक एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड एजेएल के पास था जो दो और अखबार छापा करती थी हिंदी में नवजीवन और उर्दू में कौमी आवाज। 1956 में एजेएल को गैर व्यावसायिक कंपनी के तौर पर स्थापित किया गया और कंपनी एक्ट धारा 25 से कर मुक्त कर दिया गया। कंपनी धीरे-धीरे घाटे में चली गई। कंपनी पर 90 करोड़ का कर्ज भी चढ़ गया। इस बीच साल 2010 में यंग इंडियन के नाम से एक अन्य कंपनी बनाई गई। जिसका 76 प्रतिशत शेयर सोनिया गांधी और राहुल गांधी के पास और बाकी का शेयर मोतीलाल बोरा और आस्कर फर्नांडिस के पास था। कांग्रेस पार्टी ने अपना 90 करोड़ का लोन नई कंपनी यंग इंडियन को ट्रांसफर कर दिया। लोन चुकाने में पूरी तरह असमर्थ द एसोसिएट जर्नल ने सारा शेयर यंग इंडियन को ट्रांसफर कर दिया। इसके बदले में यंग इंडियन ने महज 50 लाख रुपये द एसोसिएट जर्नल को दिए। बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने एक याचिका दायर कर आरोप लगाया कि यंग इंडियन प्राइवेट ने केवल 50 लाख रुपये में 90 करोड़ वसूलने का उपाय निकाला जो नियमों के खिलाफ है।
कांग्रेस के आरोप पर बीजेपी बोली- चिंता किस बात की
मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में ईडी की ओर से समन जारी किए जाने के बाद कांग्रेस ने सरकार पर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को निशाना बनाने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया। वहीं सरकार ने कहा कि एजेंसियां अपना काम करती हैं और विपक्ष ने यदि कुछ गलत नहीं किया है तो उसे चिंता नहीं करनी चाहिए। कैबिनेट ब्रीफिंग में सरकार की ओर से कहा गया कि इस मुद्दे का कैबिनेट के फैसलों से कोई लेना-देना नहीं है। संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री जी. किशन रेड्डी ने सवाल किया कि कांग्रेस के दो नेता चिंतित क्यों हैं जब उन्होंने कोई गलत काम नहीं किया है।