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ऑस्ट्रेलिया में मिलीं 40 करोड़ साल पुरानी कीड़ों की दो प्रजाति, खास कवच से करते थे अपनी सुरक्षा

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कैनबरा
वैज्ञानिकों ने ऑस्ट्रेलिया में कीड़ों की दो नई प्रजातियों की खोज की है जो लगभग 400 मिलियन (40 करोड़) साल पुराने हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ मिसौरी में सारा जैक्वेट के नेतृत्व में अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम को यह कामयाबी हासिल हुई है। इन प्रजातियों के नाम लेपिडोकोलियस कैलीबर्नस और लेपिडोकोलियस शुरीकेनसह है। एमयू एक्स-रे माइक्रोएनालिसिस कोर फैसिलिटी की माइक्रो-सीटी इमेजिंग क्षमताओं का इस्तेमाल करते हुए, शोधकर्ताओं ने प्राचीन कीड़ों के कवच प्लेटों के 3डी-मॉडल बनाए हैं।

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प्राचीन कीड़ों के कवच वाले कंकालों को ‘माचेरिडियन’ कहा जाता है। एमयू कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड साइंस में भूवैज्ञानिक विज्ञान के असिस्टेंट प्रफेसर जैक्वेट का मानना है कि यह अध्ययन वैज्ञानिकों को यह जानने में मदद करेगा कि पूरे जीवाश्म रिकॉर्ड में जैविक बायोलॉजिकल आर्मर्ड सिस्टम कैसे काम करता है। उन्होंने कहा कि माइक्रो-सीटी का इस्तेमाल करके हम कवच के अलग-अलग हिस्सों को बना सकते हैं।

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धीरे-धीरे विलुप्त हो गया कवच
जैक्वेट ने कहा कि इससे हमें यह जानने में मदद मिलेगी कि इस कवच ने कीड़ों की सुरक्षा कैसे की, जो दुर्भाग्य से जीवाश्म रिकॉर्ड के विलुप्त होने के दौरान गायब हो गए। इसी तरह पिछले साल वैज्ञानिकों को स्कॉटलैंड में 425 मिलियन साल पहले रहे एक millipede (कनखजूरे जैसा जीव) के जीवाश्म मिले थे। माना जा रहा था कि यह जमीन पर रहने वाले सबसे पहले जानवरों में से एक था। इसके बाद जानवरों का धरती पर विकास होता रहा है।

धरती के पहले कीड़े का जीवाश्म
Kampecaris obanensis नाम के millipede का जीवाश्म स्कॉटिश इनर हेब्रीड्स के करेरा टापू में मिला था। ये झीलों के किनारे सड़ने वाले पौधों के आसपास रहते थे। ये आज पाए जाने वाले millipeds जैसे ही थे लेकिन इनके पूर्वज नहीं थे। जीवाश्म में इसके पैर नहीं मिले हैं। माना जा रहा है कि यह arthropod की श्रेणी में आते हैं जिनमें कीड़े, मकड़े, केकड़े आदि थे।

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