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China Taiwan War: अंजाम भुगतना पड़ेगा… ताइवान को लेकर आगबबूला हुआ चीन, अब इस देश को खुलेआम धमकाया

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हाइलाइट्स

  • चीन ने चेक रिपब्लिक प्रतिनिधिमंडल के ताइवान दौरे पर तीखी प्रतिक्रिया दी
  • चेक नेताओं के दौरे को चीनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन बताया
  • लिथुआनिया से ताइवान मुद्दे पर पहले ही रिश्ता तोड़ चुका है चीन
बीजिंग: चीन ने ताइवान के साथ दोस्ती बढ़ाने को लेकर अब एक और यूरोपीय देश चेक रिपब्लिक को धमकी दी है। चीन ने कहा है कि अगर उसने ताइवान के साथ संबंधों को मजबूत किया तो इसका अंजाम भुगतना पड़ेगा। चेक रिपब्लिक में चीनी दूतावास ने कहा कि चेक प्रतिनिधिमंडल की ताइवान यात्रा चीन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का गंभीर उल्लंघन है। दरअसल,चेक रिपब्लिक का एक प्रतिनिधिमंडल ताइवान का दौरा करने वाला है। इस दौरान ताइवान और चेक रिपब्लिक के बीच व्यापार, पर्यटन और चिप समेत कई मुद्दों पर बात भी हो सकती है। इससे पहले चीन ने ताइवान मुद्दे पर एक दूसरे यूरोपीय देश लिथुआनिया से संबंध तोड़ लिया था। ताइवान के विदेश मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि सीनेटर और चेक एकेडमी ऑफ साइंसेज के पूर्व अध्यक्ष जिरी द्रहोस के नेतृत्व में 14 सदस्यीय चेक प्रतिनिधिमंडल छह दिवसीय यात्रा के साथ रविवार को ताइवान पहुंचेगा।

चीन बोला- यह हमारे संप्रभुता का उल्लंघन
इसी के बाद चीनी दूतावास ने एक बयान में कहा कि यह कदम ताइवान स्वतंत्रता की वकालत करने वाली अलगाववादी ताकतों के लिए खुला समर्थन है। यह चीन की राष्ट्रीय संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का गंभीर उल्लंघन है। इतना ही नहीं, यह अंतरराष्ट्रीय संबंधों और द्विपक्षीय राजनीतिक प्रतिबद्धताओं के बुनियादी मानदंडों का गंभीर उल्लंघन है। दूतावास ने कहा कि चेक प्रतिनिधिमंडल की ताइवान यात्रा चीन और चेक गणराज्य के बीच द्विपक्षीय संबंधों के राजनीतिक आधार को कमजोर करती है।

ताइवान के साथ इन क्षेत्रों में संबंधों को मजबूत करेगा चेक रिपब्लिक
चेक एकेडमी ऑफ साइंसेज के पूर्व अध्यक्ष जिरी द्रहोस ने गुरुवार को ताइवान की सेंट्रल न्यूज एजेंसी को बताया कि यूरोपीय देश, ताइवान के साथ संस्कृति, विज्ञान और सॉफ्ट पावर के अन्य क्षेत्रों में संबंधों को मजबूत करने का इरादा रखते हैं। शुक्रवार को चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने चेक पक्ष से वन चाइना सिद्धांत का सम्मान करने का आग्रह किया।

नैन्सी पेलोसी की ताइवान यात्रा पर चिढ़ गया था चीन
इसी साल अगस्त की शुरुआत में अमेरिकी हाउस स्पीकर नैन्सी पेलोसी की ताइवान यात्रा पर चीन ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। चीन ने ताइवान के जलीय सीमा में अब तक का सबसे बड़ा युद्धाभ्यास भी किया था। इस दौरान चीन ने ताइवान के ऊपर से कई मिसाइलें भी लॉन्च की थी। हफ्तों तक चीनी लड़ाकू विमानों ने ताइवान की वायु सीमा में प्रवेश कर शक्ति प्रदर्शन किया था। इससे चीन और ताइवान में तनाव चरम पर पहुंच गया था। चीन ने पेलोसी की यात्रा की निंदा करते हुए इसे अलगाववाद के समर्थन के तौर पर माना था।इन देशों ने ताइवान में भेजे अपने प्रतिनिधिमंडल
चीन के इतना चिढ़ने के बावजूद फ्रांस, लिथुआनिया, अमेरिका और जापान सहित कई देशों ने ताइवान में अपने प्रतिनिधिमंडल भेजे हैं। जापान ने तो युद्ध की स्थिति में ताइवान से अपने नागरिकों को निकालने को लेकर प्लान बनाने पर बातचीत भी शुरू कर दी है। 1949 से ताइवान खुद को स्वतंत्र देश के तौर पर पेश करता है। हालांकि, चीन का दावा है कि ताइवान उसका अभिन्न अंग है और वह शक्ति का इस्तेमाल कर भी उसे अपने में शामिल कर सकता है।

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