हलाल मीट पर हंगामा…सिखों में भी है खाने की मनाही, झटका मीट से कैसे अलग, जानिए
हाइलाइट्स
- कर्नाटक में उगादी से पहले हलाल मीट पर हंगामा खड़ा हो गया है
- बीजेपी नेता सीटी रवि ने कहा- हलाल मीट एक आर्थिक जिहाद है
- कर्नाटक में उगादी (हिंदू नववर्ष) के अगले दिन मांस चढ़ाने की परंपरा
- हिंदू समुदाय के लोगों से हलाल मीट न लेने की अपील की जा रही है
हलाल और झटका ये दो अलग-अलग तरीके हैं, जिनके जरिए मीट निकालने के लिए वार किया जाता है। हलाल मीट के लिए जानवर के सांस की नली को काट दिया जाता है, जिसकी वजह से थोड़ी देर बाद उसकी मौत हो जाती है। इस प्रक्रिया में जानवर की गर्दन को रेता जाता है। वहीं झटका मीट में जानवर की गर्दन पर एक झटके में तेज वार किया जाता है। जिससे उसकी गर्दन धड़ से अलग हो जाती है। इस्लाम में हलाल मीट को ही मान्यता दी गई है। वहीं सिख समुदाय में हलाल की जगह झटका मीट का प्रचलन है।
इस्लाम में हलाल मीट के बारे में क्या कहा गया है, इस पर लखनऊ की ऐशबाग ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने एनबीटी ऑनलाइन को बताया, ‘अगर कोई जानवर मर गया है तो इस्लाम में उसका मीट नाजायज है, इसका इस्तेमाल आप नहीं कर सकते हैं। किसी जानवर को जिबा किया जाता है तो पहले उसको कायदे से खाना खिला दीजिए और पानी पिला दीजिए। आराम से फिर उसको लिटाकर हलाल करिए। हलाल करते वक्त दुआ पढ़ी जाती है। ये सब नॉर्म्स का पालन होना चाहिए। जैसे कोई जानवर अपने आप मर गया और आपने उसको जिबा नहीं किया था तो आप उसका गोश्त नहीं खा सकते हैं।’
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने दिसंबर 2021 में पंजाब सरकार को होटलों में मीट परोसने के संबंध में निर्देश दिए थे। इसमें कहा गया कि राज्य के होटलों और रेस्तरां मालिकों को कहा जाए कि वो अपने यहां परोसे जाने वाले मांस के झटका या हलाल होने का साफ तौर पर जिक्र करें। होटल में मीट की फरमाइश करने वाले ग्राहकों को भोजन करने से पहले पता चलना चाहिए कि वह हलाल मीट खाने जा रहे हैं या फिर झटका। पत्र में कहा गया था कि यह बात संज्ञान में आ रही है कि पंजाब के होटलों में हलाल मीट ग्राहकों को परोसा जा रहा है, जबकि हलाल मांस पर सिख धर्म में बैन है। पंजाब में सिख समुदाय बहुसंख्यक है। यही नहीं दिल्ली में उत्तरी दिल्ली नगर निगम क्षेत्र में भी मीट के दुकानदारों को बताने को कहा गया था कि वे हलाल मांस बेच रहे हैं या झटका। होटल, ढाबा और रेस्तरां में भी नगर निगम क्षेत्र में पोस्टर के जरिए मीट के बारे में बताने के निर्देश दिए गए थे। उत्तर दिल्ली नगर निगम ने इस संबंध में प्रस्ताव को पास किया था।
कर्नाटक में सोशल मीडिया पर कुछ दक्षिणपंथी संगठनों की तरफ से हलाल मीट ना खरीदने की अपील की जा रही है। इसमें उगादी पर्व यानी हिंदू नव वर्ष पर हलाल मीट का इस्तेमाल न करने को कहा जा रहा है। उगादी के अगले दिन हिंदू समुदाय के बीच भगवान को मांस की भेंट चढ़ाई जाती है। इसके बाद मांस के पकवान बनाए जाते हैं और नया साल सेलिब्रेट किया जाता है। दरअसल कर्नाटक में हलाल मीट का इस्तेमाल ना करने की अपील धार्मिक मेलों के दौरान मंदिरों के आसपास मुस्लिम वेंडर्स पर बैन की घोषणा के बाद उठी है। बीजेपी नेता सीटी रवि ने कहा है कि हलाल मीट एक इकनॉमिक जिहाद है। इसे जिहाद की तरह प्रयोग किया जाता है जिससे मुस्लिम दूसरों के साथ कारोबार न करें। इसे हमारे ऊपर थोपा गया है। हलाल मीट को उनके (मुस्लिमों के) भगवान को चढ़ाया जाता है। लिहाजा हिंदू समुदाय के लिए यह मांस किसी छोड़े हुए खाने की तरह है। जब मुस्लिम हिंदुओं से मीट खरीदने से इनकार करते हैं, तो आप हिंदुओं से क्यों मुसलमानों से मीट खरीदने को कह रहे हैं?