सुपरटेक से मिल नोएडा में कैसे किया करप्शन का खेल, 12 अफसर के SIT के रेडार पर
हाइलाइट्स
- सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के टावरों को तोड़ने का दिया आदेश
- नोएडा अथॉरिटी की कार्यशैली पर सुप्रीम कोर्ट ने की है सख्त टिप्पणी
- कोर्ट ने कहा- नोएडा अथॉरिटी के अफसरों की बिल्डर से मिलीभगत थी
- अथॉरिटी के कई अफसरों की दिल्ली और एनसीआर में बेहिसाब प्रॉपर्टी
- योगी सरकार करा रही नोएडा अथॉरिटी की मिलीभगत की जांच
नोएडा
सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट प्रॉजेक्ट के टि्वन टावर खड़े करने में नोएडा अथॉरिटी में हुए भ्रष्टाचार पर एसआईटी की जांच का दायरा बढ़ गया है। अथॉरिटी की प्रारंभिक जांच में 7 अधिकारियों-कर्मचारियों के नाम सामने आए थे। इससे आगे एसआईटी की जांच बढ़ी है। सूत्रों की माने तो एसआईटी की जांच में 12 अधिकारी-कर्मचारियों के नाम आए हैं। इनका कार्रवाई की जद में आना लगभग तय हो चुका है।
Bhagalpur News: गर्ल्स हॉस्टल में बुर्का पहनने के फरमान पर छात्राओं का हंगामा, गेट पर किया पथराव
एसआईटी की जांच में नक्शा पास करने के लिए कमिटी बनाया जाना गलत नहीं पाया गया, लेकिन कमिटी को जो अधिकारियों की पावर ट्रांसफर की गई वह सवालों के घेरे में हैं। इसको लेकर पूर्व में अथॉरिटी में तैनात रहे दो आईएएस और एक पीसीएस अधिकारी के नाम भी एसआईटी की लिस्ट में शामिल हो गए हैं।
पावर ट्रांसफर की हो रही जांच
एसआईटी ने औद्योगिक विकास विभाग और शासन से इसको लेकर भी जानकारी मांगी है कि कोई भी प्रशासनिक अधिकारी किन परिस्थितियों में किस स्तर तक पावर ट्रांसफर कर सकता है। नोएडा अथॉरिटी में 2007 के पहले भी कमिटियां बनी हुई थी, लेकिन किसी भी कमिटी के निर्णय पर स्वीकृति की मुहर एसीईओ या सीईओ स्तर के अधिकारी से ही लगती थी।
लिस्ट में 7 नाम टॉप लिस्ट में शामिल
2013 से फिर वही व्यवस्था लागू हुई है। इसके साथ ही एसआईटी की सूची में वह 7 नाम सबसे ऊपर शामिल हैं, जो नोएडा अथॉरिटी के दोनों एसीईओ प्रारंभिक जांच कर सामने लाए थे। एसआईटी में शामिल अधिकारी भले कागजी कार्रवाई कर नोएडा से वापस हो गए हैं, लेकिन जांच रिपोर्ट अभी पूरी तरह से तैयार नहीं हुई है।
अधिकांश हो चुके हैं रिटायर
सूत्रों की माने तो इसमें दो से तीन दिन का और भी समय लग सकता है। सूत्रों की माने तो एसआईटी एफआईआर को पहले आखिरी विकल्प के तौर पर देख रही थी। लेकिन जिन भी जिम्मेदार अधिकारियों-कर्मचारियों के नाम सामने आ रहे हैं उनमें अधिकतर रिटायर हो चुके हैं। इसलिए कार्रवाई क्या की जाए इस सवाल के जवाब में एफआईआर प्रमुख विकल्पों में शामिल हो चुका है।
बारिश के कारण नहीं उड़ पाया ड्रोन
सेक्टर-93 ए में टि्वन टावर बने हैं उनकी ड्रोन से फोटोग्राफी करवाई जा रही है। यह भी एसआईटी जांच का एक हिस्सा है। दो दिनों से मौके पर ड्रोन से टि्वन टावर की विडियो बनवाई जा रही थी और फोटो भी ली जा रही थी।
टावर के ऊपर से लिए जाने वाले व्यू से यह तय होगा कि टावर नंबर-16, 17 और पास के दूसरे टावर के बीच में दूरी कितनी है। शनिवार को पूरा दिन हुई बारिश की वजह से ड्रोन उड़ाया नहीं गया। रविवार को ड्रोन फोटाग्रफी और विडियोग्राफी के बचे हुए काम पूरे किए जाएंगे।