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Yogi Adityanath को हराने के लिए 4 साल बाद साथ आए Akhilesh और Shivpal Yadav

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UP Election 2022: समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी को हराने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. पार्टी 2017 में बीजेपी से मिली हार का बदला लेने की कोशिश में जुटी है. इसी प्रयास में वह छोटी पार्टियों से गठबंधन कर रही है. सपा के गठबंधन की सूची में एक और पार्टी का नाम जुड़ गया है. अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली इस पार्टी ने मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई शिवपाल यादव की पार्टी प्रगति समाजवादी पार्टी से गंठबंधन कर लिया है. इसका ऐलान सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने गुरुवार को ट्वीट करके किया.

 

अखिलेश यादव ने आज शिवपाल से उनके घर जाकर मुलाकात की. दोनों नेताओं के बीच ये मीटिंग 45 तक चली. मुलाकात के बाद अखिलेश ने शिवपाल के साथ फोटो ट्वीट की और लिखा, ‘प्रसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जी से मुलाकात हुई और गठबंधन की बात तय हुई. क्षेत्रीय दलों को साथ लेने की नीति सपा को निरंतर मजबूत कर रही है और सपा और अन्य सहयोगियों को ऐतिहासिक जीत की ओर ले जा रही है.’

 

बता दें कि अखिलेश यादव और शिवपाल यादव 4 साल बाद साथ आए हैं. और इसकी वजह बनी है बीजेपी. दरअसल, जिस तरह से बीजेपी ने 2017 के चुनाव में प्रदर्शन किया और 2022 चुनाव से पहले भी राज्य में उसका जो माहौल दिख रहा है, उससे अखिलेश को शिवपाल के साथ जाने के लिए मजबूर होना पड़ा. अखिलेश नहीं चाहते जो गलती 2017 में हुई उसे दोहराया जाए.

 


शिवपाल ने 2018 में बनाई थी अपनी पार्टी

 

बता दें कि शिवपाल यादव मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई हैं. शिवपाल 2012 से 2017 की अखिलेश सरकार में लोक निर्माण विभाग और सिंचाई मंत्री के रूप में काम कर चुके हैं.  2017 में जब अखिलेश ने मुलायम सिंह यादव से पार्टी की बागडोर संभाली तब शिवपाल ने सपा से नाता तोड़ लिया और 2018 में अपनी पार्टी बना ली थी.

 

2017 में सपा की करारी हार हुई थी. 2012 में 224 सीटों पर कब्जा करने वाली सपा उस 2017 के चुनाव में सिर्फ 47 सीट जीत पाई थी. सपा की हार की वजह परिवार का झगहा भी रहा था. शिवपाल ने हमेशा खुद को मुलायम सिंह यादव के उत्तराधिकारी के रूप में पेश किया. उन्होंने ये दावा किया था उन्होंने मुलायम सिंह यादव के साथ इस पार्टी को खड़ा किया है. वह हमेशा पार्टी में अपने संगठनात्मक कौशल के लिए जाने जाते थे. 2012 में अखिलेश के मुख्यमंत्री बनने के दौरान पार्टी में उनकी भी एक शक्तिशाली भूमिका थी.

 

पढ़ें शिवपाल और अखिलेश के बीच दुश्मनी से दोस्ती तक की कहानी

 

– 2 जून, 2016- अखिलेश ने कैबिनेट मंत्री और वरिष्ठ नेता बलराम यादव को शिवपाल की अनुमति के बाद कौमी एकता दल (क्यूईडी) के सपा में विलय में उनकी भूमिका के लिए बर्खास्त कर दिया.

 

-25 जून- सपा ने कौमी एकता दल के विलय को रद्द किया. अपने फैसले को सार्वजनिक रूप से ठुकराए जाने के बाद शिवपाल नाराज हो गए थे.

 

– 14 अगस्त- यूपी में बड़े पैमाने पर जमीन हथियाने की घटनाओं और सपा नेताओं की संलिप्तता की शिकायत के बाद शिवपाल ने इस्तीफा देने की धमकी दी.

 

– 15 अगस्त- मुलायम सिंह यादव ने बेटे अखिलेश को चेतावनी दी कि अगर शिवपाल इस्तीफा देते हैं तो पार्टी टूट जाएगी.

 

– 17 अगस्त- शिवपाल यादव कैबिनेट बैठक में नहीं पहुंचे.

 

19 अगस्त- शिवपाल अखिलेश को कॉल करते हैं और समाजवादी पार्टी एकता का प्रदर्शन करती है. शिवपाल ने यादव परिवार में मतभेदों को नकारा. अखिलेश की जमकर तारीफ की, कहा 2017 में फिर चुनी जाएगी उनकी सरकार.

 

12 सितंबर- इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा उत्तर प्रदेश में अवैध खनन की सीबीआई जांच के अपने आदेश को बरकरार रखने के तीन दिन बाद, अखिलेश यादव ने भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे दो दागी मंत्रियों – खनन मंत्री गायत्री प्रजापति और पंचायती राज मंत्री राजकिशोर सिंह को बर्खास्त कर दिया.

 

13 सितंबर- अखिलेश ने यूपी के मुख्य सचिव दीपक सिंघल को बर्खास्त किया. दीपक सिंघल को शिवपाल का करीबी कहा जाता है.

 

13 सितंबर- मुलायम ने अखिलेश को प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटा दिया. शिवपाल को सपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया. अखिलेश ने इसके बाद शिवपाल से सभी मंत्रालय छीन लिए.

 

14 सितंबर- नाराज शिवपाल को मुलायम द्वारा दिल्ली बुलाया जाता है जो संकट का समाधान निकालने की कोशिश करते हैं.

 

15 सितंबर- शिवपाल ने यूपी कैबिनेट और प्रदेश अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद तनाव और बढ़ गया. मुलायम लखनऊ पहुंचे.

 

16 सितंबर -मुलायम ने शिवपाल के इस्तीफे को खारिज कर दिया और कहा कि जब तक वह जीवित हैं, पार्टी विभाजित नहीं होगी. शिवपाल ने कहा कि वह उनके निर्देशों का पालन करेंगे.

 

20 सितंबर- शिवपाल ने अखिलेश के तीन समर्थकों को पार्टी से निकाल दिया.

 

22 सितंबर- सपा ने अखिलेश समर्थक उदयवीर सिंह को बर्खास्त कर दिया. दरअसल उदयवीर सिंह ने मुलायम को पत्र लिखा था और कहा था कि अखिलेश को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाए.

 

23 अक्टूबर- अखिलेश ने शिवपाल और तीन अन्य को कैबिनेट से निकाल दिया.

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